ETV Bharat / state

उत्तराखंड में ड्रोन फॉरेंसिक पर किया जा रहा काम, इस तरह के अपराधों पर लगाएगी लगाम - Drone Forensic in Uttarakhand - DRONE FORENSIC IN UTTARAKHAND

Drone Forensic Study in Uttarakhand उत्तराखंड में ड्रोन पॉलिसी लाने के बाद अब ड्रोन फॉरेंसिक पर भी काम किया जा रहा है. जिसके तहत ड्रोन के जरिए होने वाले अपराधों पर लगाम कसी जाएगी. जिसमें किसी घटना के बाद ड्रोन को ट्रैक करना, उसकी मैन्युफैक्चरिंग, लाइसेंसिंग जांच आदि शामिल है.

Drone Forensic Study in Uttarakhand
ड्रोन फॉरेंसिक (फोटो- ईटीवी भारत ग्राफिक्स)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 19, 2024, 10:52 AM IST

Updated : May 19, 2024, 3:01 PM IST

उत्तराखंड में ड्रोन फॉरेंसिक पर किया जा रहा काम (VIDEO- ETV Bharat)

देहरादून: ड्रोन तकनीक ने पिछले कुछ सालों में तेजी से समाज में जगह बनाई है. ऐसे में ड्रोन के जरिए होने वाले अपराधों पर भी साइबर क्राइम पुलिस अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए ड्रोन फॉरेंसिक पर काम कर रही है. जी हां, उत्तराखंड में ड्रोन फॉरेंसिक पर काम किया जा रहा है. ताकि, ड्रोन से होने वाले अपराधों पर लगाम लगाई जा सके.

Drone Forensic Study in Uttarakhand
इन क्षेत्रों में ड्रोन की संभावनाएं (फोटो- ईटीवी भारत ग्राफिक्स)

सुविधा के साथ-साथ अपराध में भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: लगातार विकसित होती टेक्नोलॉजी ने जहां एक तरफ इंसानों के कामों को तो बेहद आसान बनाया है तो वहीं दूसरी तरफ टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल ने अपराधों को भी डिजिटल किया है. तकनीक के साथ-साथ अपराधों ने भी पारंपरिक तौर तरीकों को छोड़कर टेक्नोलॉजी के साथ ही नए तरीकों के अपराधों को जन्म दिया है. ऐसे में हर उस तरीके का अपराध जिसमें टेक्नोलॉजी शामिल है, उसके लिए साइबर क्राइम लगातार काम करती है.

साइबर क्राइम में मोबाइल फॉरेंसिक एक महत्वपूर्ण पहलू है. जिसमें मोबाइल के माध्यम से अंजाम दिए जाने वाले अपराधों पर नजर रखी जाती है. इसी तरह से अब ड्रोन टेक्नोलॉजी ने भी पिछले कुछ सालों में तेज गति से समाज में अपनी जगह बनाई है. ड्रोन से चालान के साथ ड्रोन से होने वाले अपराधों पर भी अब उत्तराखंड में ड्रोन फॉरेंसिक पर काम किया जा रहा है.

तकनीक के इस्तेमाल से होने वाले अपराधों में साइबर फॉरेंसिक अहम: फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी उत्तराखंड के डायरेक्टर अपर पुलिस महानिदेशक अमित सिन्हा ने बताया कि पिछले कुछ दशकों में जिस तरह से टेक्नोलॉजी ने समाज में अपनी जगह बनाई है. खासतौर पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल बढ़ा है, उतनी ही तेजी से अपराधों में भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल बढ़ा है. इनको कंट्रोल करने के लिए साइबर क्राइम और फॉरेंसिक लैब में मोबाइल फॉरेंसिक पर काम किया जाने लगा.

अमित सिन्हा ने कहा कि साइबर क्राइम से निपटने के लिए साइबर फॉरेंसिक की अहम भूमिका होती है. उनकी जल्द से जल्द कोशिश है कि साइबर फॉरेंसिक को लेकर वहां एक व्यवस्थित मापदंडों पर कार्य प्रणाली शुरू किया जाए. इसी में मोबाइल फॉरेंसिक के साथ ड्रोन फॉरेंसिक भी इसका एक हिस्सा है.

साइबर फॉरेंसिक का हिस्सा ड्रोन फॉरेंसिक: डायरेक्टर एफएसएल अमित सिंह का कहना है कि ऐसी कोई भी घटना, जिसमें टेक्नोलॉजी शामिल हो, उस घटना के बाद उसकी साइबर फॉरेंसिक की जाती है. इसी तरह से यदि घटना में मोबाइल शामिल है तो मोबाइल फॉरेंसिक और अब जिस तरह से ड्रोन का चलन बढ़ रहा है तो इस बात की आशंका लगातार बनी रहती है कि ड्रोन के जरिए अपराध भी किया जा सकते हैं.

ऐसे में ड्रोन फॉरेंसिक को लेकर पहली बार देश में पहल शुरू की जा रही है. उन्होंने कहा कि ड्रोन फॉरेंसिक में किसी भी घटना के बाद ड्रोन को ट्रैक करना, किस मैन्युफैक्चर की ओर से बनाया गया है या फिर उसकी लाइसेंसिंग आदि को लेकर रेगुलेटरी तैयार करना ड्रोन फॉरेंसिक का हिस्सा है.

विकास ही नहीं अपराध की भी ड्रोन से संभावना, निपटने के लिए ड्रोन फॉरेंसिक पर काम: फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री निदेशक अमित सिन्हा ने बताया कि ड्रोन पिछले कुछ सालों में पुलिस के लिए बेहद लाभकारी और उपयोगी साबित हुआ है. आज देहरादून शहर में पूरा ट्रैफिक मैनेजमेंट रूम के माध्यम से किया जा रहा है. आईटीडीए में उन्होंने ड्रोन से टेली मेडिसिन जैसे महत्वपूर्ण प्रयोग किए थे.

इतना ही नहीं ड्रोन से कई अपराधों में भी मदद मिल सकती है, लेकिन इसी के समानांतर ड्रोन से यदि कोई घटना घटती है तो उसे किस तरह से स्टडी किया जाना है. किस तरह से उसके जीपीएस को ट्रैक किया जा सकता है. ड्रोन के फ्लाइट कंट्रोलर की चिप को कैसे स्टडी किया जाए, यह सब ट्रेनिंग लेने के लिए एक टीम तैयार की जा रही है, जो कि ड्रोन फॉरेंसिक पर काम कर रही है. यह तकरीबन देश में पहली दफा उत्तराखंड में किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें-

उत्तराखंड में ड्रोन फॉरेंसिक पर किया जा रहा काम (VIDEO- ETV Bharat)

देहरादून: ड्रोन तकनीक ने पिछले कुछ सालों में तेजी से समाज में जगह बनाई है. ऐसे में ड्रोन के जरिए होने वाले अपराधों पर भी साइबर क्राइम पुलिस अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए ड्रोन फॉरेंसिक पर काम कर रही है. जी हां, उत्तराखंड में ड्रोन फॉरेंसिक पर काम किया जा रहा है. ताकि, ड्रोन से होने वाले अपराधों पर लगाम लगाई जा सके.

Drone Forensic Study in Uttarakhand
इन क्षेत्रों में ड्रोन की संभावनाएं (फोटो- ईटीवी भारत ग्राफिक्स)

सुविधा के साथ-साथ अपराध में भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: लगातार विकसित होती टेक्नोलॉजी ने जहां एक तरफ इंसानों के कामों को तो बेहद आसान बनाया है तो वहीं दूसरी तरफ टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल ने अपराधों को भी डिजिटल किया है. तकनीक के साथ-साथ अपराधों ने भी पारंपरिक तौर तरीकों को छोड़कर टेक्नोलॉजी के साथ ही नए तरीकों के अपराधों को जन्म दिया है. ऐसे में हर उस तरीके का अपराध जिसमें टेक्नोलॉजी शामिल है, उसके लिए साइबर क्राइम लगातार काम करती है.

साइबर क्राइम में मोबाइल फॉरेंसिक एक महत्वपूर्ण पहलू है. जिसमें मोबाइल के माध्यम से अंजाम दिए जाने वाले अपराधों पर नजर रखी जाती है. इसी तरह से अब ड्रोन टेक्नोलॉजी ने भी पिछले कुछ सालों में तेज गति से समाज में अपनी जगह बनाई है. ड्रोन से चालान के साथ ड्रोन से होने वाले अपराधों पर भी अब उत्तराखंड में ड्रोन फॉरेंसिक पर काम किया जा रहा है.

तकनीक के इस्तेमाल से होने वाले अपराधों में साइबर फॉरेंसिक अहम: फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी उत्तराखंड के डायरेक्टर अपर पुलिस महानिदेशक अमित सिन्हा ने बताया कि पिछले कुछ दशकों में जिस तरह से टेक्नोलॉजी ने समाज में अपनी जगह बनाई है. खासतौर पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल बढ़ा है, उतनी ही तेजी से अपराधों में भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल बढ़ा है. इनको कंट्रोल करने के लिए साइबर क्राइम और फॉरेंसिक लैब में मोबाइल फॉरेंसिक पर काम किया जाने लगा.

अमित सिन्हा ने कहा कि साइबर क्राइम से निपटने के लिए साइबर फॉरेंसिक की अहम भूमिका होती है. उनकी जल्द से जल्द कोशिश है कि साइबर फॉरेंसिक को लेकर वहां एक व्यवस्थित मापदंडों पर कार्य प्रणाली शुरू किया जाए. इसी में मोबाइल फॉरेंसिक के साथ ड्रोन फॉरेंसिक भी इसका एक हिस्सा है.

साइबर फॉरेंसिक का हिस्सा ड्रोन फॉरेंसिक: डायरेक्टर एफएसएल अमित सिंह का कहना है कि ऐसी कोई भी घटना, जिसमें टेक्नोलॉजी शामिल हो, उस घटना के बाद उसकी साइबर फॉरेंसिक की जाती है. इसी तरह से यदि घटना में मोबाइल शामिल है तो मोबाइल फॉरेंसिक और अब जिस तरह से ड्रोन का चलन बढ़ रहा है तो इस बात की आशंका लगातार बनी रहती है कि ड्रोन के जरिए अपराध भी किया जा सकते हैं.

ऐसे में ड्रोन फॉरेंसिक को लेकर पहली बार देश में पहल शुरू की जा रही है. उन्होंने कहा कि ड्रोन फॉरेंसिक में किसी भी घटना के बाद ड्रोन को ट्रैक करना, किस मैन्युफैक्चर की ओर से बनाया गया है या फिर उसकी लाइसेंसिंग आदि को लेकर रेगुलेटरी तैयार करना ड्रोन फॉरेंसिक का हिस्सा है.

विकास ही नहीं अपराध की भी ड्रोन से संभावना, निपटने के लिए ड्रोन फॉरेंसिक पर काम: फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री निदेशक अमित सिन्हा ने बताया कि ड्रोन पिछले कुछ सालों में पुलिस के लिए बेहद लाभकारी और उपयोगी साबित हुआ है. आज देहरादून शहर में पूरा ट्रैफिक मैनेजमेंट रूम के माध्यम से किया जा रहा है. आईटीडीए में उन्होंने ड्रोन से टेली मेडिसिन जैसे महत्वपूर्ण प्रयोग किए थे.

इतना ही नहीं ड्रोन से कई अपराधों में भी मदद मिल सकती है, लेकिन इसी के समानांतर ड्रोन से यदि कोई घटना घटती है तो उसे किस तरह से स्टडी किया जाना है. किस तरह से उसके जीपीएस को ट्रैक किया जा सकता है. ड्रोन के फ्लाइट कंट्रोलर की चिप को कैसे स्टडी किया जाए, यह सब ट्रेनिंग लेने के लिए एक टीम तैयार की जा रही है, जो कि ड्रोन फॉरेंसिक पर काम कर रही है. यह तकरीबन देश में पहली दफा उत्तराखंड में किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें-

Last Updated : May 19, 2024, 3:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.