रुद्रपुर: उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुद्रपुर से शंखनाद रैली कर चुनावी बिगुल फूंका. जहां पीएम मोदी के रुद्रपुर के मोदी मैदान में पहुंचते ही चारों तरफ पंडाल शंख, उत्तराखंड की पारंपरिक वाद्य यंत्र रणसिंघा और तुतरी की ध्वनि से गूंज उठा. इस दौरान चारों तरफ मोदी-मोदी के नारे गूंजते सुनाई दिए. खास बात ये रही कि युद्ध के दौरान रणभेरी के रूप में बजाए जाने वाला पारंपरिक वाद्य यंत्र रणसिंघा और तुतरी की धुन भी चारों तरफ सुनाई दी.
उत्तराखंड के लोक कलाकारों और आचार्यो ने शंख की ध्वनि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षियों को चुनावी मैदान में ललकारते करते हुए जमकर निशाना साधा. बात अगर रणसिंघा की करें तो यह पारंपरिक वाद्य यंत्र है. चुनाव या अन्य मौकों पर खुद पीएम मोदी भी इसे बजाते नजर आए हैं. बीती 5 अक्टूबर 2022 को भी हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में एम्स के उद्घाटन मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पारंपरिक वाद्य यंत्र रणसिंघा बजाते नजर आए थे.
पारंपरिक वाद्य यंत्र रणसिंघा क्या है: रणसिंघा एक पारंपरिक वायु वाद्य यंत्र है. वर्तमान में इसका इस्तेमाल सामाजिक और धार्मिक समारोह के शुभारंभ पर होता है. यह देवी-देवताओं का मुख्य वाद्य यंत्र भी माना जाता है. रियासत काल के समय में इसका इस्तेमाल युद्ध क्षेत्र में रणभेरी के लिए होता था. अब चुनाव में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है. चाहे चुनाव बड़ा हो या फिर छोटा, राजनीतिक दलों के लिए किसी युद्ध से कम नहीं होता है. यही वजह है कि वो भी रणसिंघा को जरूर शामिल करते हैं.
इस विशेष वाद्य यंत्र का जिक्र पुराणों में भी मिलता है. जब किसी लोकोत्सव में इसकी धुन बजती है तो उत्सव में स्वतः ही चार चांद लग जाते हैं. रणसिंघा को वीरता का भी प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि महाभारत युद्ध आरंभ होने से पहले अन्य वाद्य यंत्रों के साथ इसकी धुन बजाई गई थी. गीता के पहले अध्याय में इसका जिक्र भी किया गया है.
वहीं, रुद्रपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शंखनाद रैली में युद्ध का प्रतीक रणसिंघा आकर्षण का केंद्र बना रहा. जहां पीएम मोदी के रैली में रणसिंघा बजाने वाले कई कलाकारों को बुलाया गया था. इस रणसिंघा ने रैली में पहुंचे लोगों का खूब ध्यान खींचा. कई लोग तो ऐसे भी थे, जिन्होंने पहले बार इस वाद्य यंत्र को देखा.
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