देहरादून: उत्तराखंड में गर्मी बढ़ने के साथ ही डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है. वहीं इस बीच हुई बारिश ने हालत थोड़े और खराब कर दिए है. ऐसे हालत में उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया और एहतियातन जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए है.
उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने सोमवार 29 अप्रैल को डेंगू और चिकनगुनिया से बचाव को लेकर एडवाइजरी जारी की है. हालांकि ये सभी जिलाधिकारी और सीएमओ जारी की गई है, जिसमें तमाम जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए है. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से नगर निगम और सभी विभागीय सचिवों को पत्र भेजा गया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से नगर निगम को भेजे गए पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि जुलाई से नवंबर महीने के बीच डेंगू का अत्यधिक खतरा रहता है. ऐसे में कहीं भी पानी एकत्र न हो इस पर नगर निगम विशेष फोकस करें.
इसके अलावा शहरी क्षेत्र के साथ-साथ उप नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में भी डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी पर लगाम लगाने को लेकर मच्छरों का लार्वा नष्ट करने, फागिंग करने के साथ ही प्रचार-प्रसार करें. सभी विभागीय सचिवों को भेजे गए पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी को रोकने के लिए अपने-अपने स्तर से सहयोग करें ताकि सभी के सहयोग से इस बीमारी की रोकथाम की जा सके.
जिलाधिकारियों और सीएमओ को जारी किए गए निर्देश:
- डेंगू और चिकनगुनिया रोग के रोकथाम के लिए सभी विभाग प्रयास करे, ताकि डेंगू के मच्छर को पनपने से रोका जा सकें.
- डेगू-चिकनगुनिया के रोकथाम के लिए ब्लॉक वार माइक्रो प्लान बनाकर कार्रवाई की जाए.
- नगर निगमों की ओर से स्वच्छता अभियान चलाया जाए.
- डेंगू-चिकनगुनिया पर नियंत्रण के लिए लार्वा निरोधात्मक कार्रवाई की जाए.
- इसके लिए नगर निगम/नगर पालिका आशा कार्यकत्री समेत अन्य विभागों के सहयोग से टीमें बनाकर क्षेत्र में कार्रवाई की जाए.
- डेंगू-चिकनगुनिया रोग को महामारी का रूप लेने से रोकने के लिए नगर निगम की ओर से फॉगिग की जाए.
- जनजागरूकता और जनसहभागिता के लिए आईईसी संसाधनों का समुचित इस्तेमाल करें.
- डेंगू चिकनगुनिया रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग, जिला स्तर पर अन्य विभागो के साथ बैठकों का आयोजन करे.
- डेंगू के उपचार और नियंत्रण के लिए भारत सरकार की गाइडलाइन "National Guidelines for Clinical Management of Dengue fever" का सभी राजकीय और निजी चिकित्सालय अनुपालन करे.
- भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार जनपदों के चिकित्सालयों में पृथक डेंगू आइसोलेशन वार्ड, करमच्छरदानी युक्त पर्याप्त बेड की उपलब्धता, Standard Case Management को सुनिश्चित करें.
- साथ ही डेंगू आइसोलेशन वार्ड के लिए नोडल अधिकारी भी नामित करें.
- डेंगू-चिकनगुनिया रोगियों के समुचित प्रबन्धन के लिए अपने जिलों में चिकित्सा केन्द्रों को पूर्ण रूप से एक्टिव रखें.
- डेंगू पीड़ित गंभीर रोगियों के लिए प्लेटलेट्स की व्यवस्था करें.
- डेंगू जांच केंद्रों में एलिजा जांच किट और अन्य जांच सामग्री की प्रयाप्त व्यवस्था की जाए.
- डेंगू रोगियों की शुरुआती चरण मे पहचान के लिए फीवर सर्वे किये जायें, लक्षणों के आधार पर डेंगू रोग की जांच की जाए.
- डेंगू और चिकनगुनिया रोगी पाये जाने की स्थिति में रोगी के घर के आस-पास लगभग 50 घरों की परिधि में फोकल स्प्रे और सघन फीवर सर्विलेन्स एवं लार्वा निरोधात्मक कार्रवाईयां की जाए.
- डेंगू चिकनगुनिया रोग की रोकथाम के लिए आम जनमानस का सहयोग अत्यन्त जरूरी है. ऐसे में जागरूकता अभियान चलाया जाए.
- किसी भी प्रकार की आपातकालीन जरूरत को देखते हुए जिला स्तर पर जिला कार्ययोजना मे भी डेंगू के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान भी किया जाये.
- जनमानस को डेंगू सम्बन्धित जागरूकता और जानकारी देने के लिये राज्य मुख्यालय पर इंटीग्रेटेड हेल्पलाइन 104 है. ऐसे में जिला स्तर पर भी कन्ट्रोल रूम स्थापित किया जाए.
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