देहरादून: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी एक्शन में है. बीजेपी ने उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से तीन पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. दो लोकसभा सीटों को अभी होल्ड पर रखा गया है. वहीं, बात अगर कांग्रेस की करें तो वो अभी लोकसभा कैंडिडेट्स के मंथन पर ही अटकी है. दो लोकसभा चुनाव में बैक टू बैक हार के बाद कांग्रेस फूंक फूंक कर कदम रख रही है. जिसके कारण कांग्रेस लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के ऐलान में समय लगा रही है. कांग्रेस की लोकसभा लिस्ट आने से पहले ईटीवी भारत आपको उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का कौन नेता दमदार हैं उनके बारे में बताने जा रहा है. आने वाले दिनों में हो सकता है कि कांग्रेस की लोकसभा चुनाव कैंडिडेट्स लिस्ट में इन नामों पर मुहर लगे.
लोकसभा चुनाव के लिए ये हो सकती है कांग्रेस कैंडिडेट्स लिस्ट
लोकसभा सीट | कौन हो सकता है दमदार कैंडिडेट |
टिहरी लोकसभा सीट | प्रीतम सिंह |
पौड़ी लोकसभा सीट | गणेश गोदियाल |
हरिद्वार लोकसभा सीट | हरीश रावत, हरक सिंह रावत |
नैनीताल लोकसभा सीट | यशपाल आर्य, भुवन कापड़ी, दीपक बलूटिया, रणजीत रावत |
अल्मोड़ा लोकसभा सीट | यशपाल आर्य, प्रदीप टम्टा |
टिहरी लोकसभा सीट पर प्रीतम सिंह:सबसे पहले टिहरी लोकसभा सीट की बात करते हैं. इस सीट पर भाजपा ने सिटिंग सांसद माला राज लक्ष्मी को दोबारा मैदान में उतारा है. माला राज्य लक्ष्मी इस लोकसभा सीट से लगातार दो बार जीत दर्ज कर चुकी है. उनके परिवार का भी अच्छा खासा इस क्षेत्र में दबदबा है. कांग्रेस से 6 बार के विधायक प्रीतम सिंह इस वक्त इस सीट पर सबसे बड़ा चेहरा हैं. प्रीतम सिंह साफ छवि के नेता हैं. उनका चकराता,जौनसार, देहरादून क्षेत्र में अच्छा खासा दबदबा है. प्रीतम सिंह का लंबा चौड़ा जनाधार है. 2002 से लेकर 2007 और 2012 से लेकर 2017 तक वह कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. इतना ही नहीं जब देश में मोदी लहर चल रही थी तब साल 2022 और साल 2017 के विधानसभा के चुनाव में भी प्रीतम सिंह बड़े मार्जिन से जीते. वे राजनीति में अच्छा खासा अनुभव रखते हैं उनकी कार्यशैली से कार्यकर्ता जुड़ाव महसूस करते हैं. प्रीतम सिंह दो बार टिहरी लोकसभा सीट से लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं.
हरिद्वार सीट पर हरीश रावत कर सकते हैं कमाल : इसके बाद हरिद्वार लोकसभा सीट की बात करते हैं. हरिद्वार लोकसभी सीट से अभी बीजेपी ने कैंडिडेट घोषित नहीं किया है. बताया जा रहा है कि बीजेपी इस बार हरिद्वार से किसी और को चुनावी मैदान में उतार सकती है. बात अगर कांग्रेस की करें तो शहर या ग्रामीण क्षेत्र का कोई नेता फ़िलहाल इस सीट पर ऐसा नहीं जो मौजूदा समय में जीत का दम भर रहा हो. हरिद्वार से पूर्व में सांसद, पूर्व सीएम हरीश रावत और हरक सिंह रावत दोनों ही नेता इस सीट पर मजबूत फाइट दे सकतें है. हरीश रावत 5 बार सांसद रह चुके हैं. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में उनका अच्छा खासा जनाधार भी है. साल 2009 में वह हरिद्वार लोकसभा सीट से सांसद भी बन चुके हैं. इसके बाद ही उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया था. यह बात भी सही है कि हरीश रावत कई विधानसभा चुनाव पूर्व में हर भी चुके हैं. भले ही जनता के बीच उनकी छवि कुछ भी हो लेकिन मौजूदा समय में हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी सबसे अधिक मजबूत है. यहीं से उनके सबसे अधिक विधायक भी हैं. लिहाजा कांग्रेस पार्टी अगर किसी ठीक चेहरे को यहां से टिकट देती है तो बीजेपी को वह काफी हद तक रोकने में कामयाब हो सकती है.
हरक सिंह भी दमदार दावेदार: हरीश रावत के साथ ही हरक सिंह रावत भी हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. हरक सिंह रावत भी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कई बार विधायक रह चुके हैं. उनके पास सरकार में मंत्री रहने का एक लंबा चौड़ा अनुभव है. ऋषिकेश देहरादून के साथ-साथ हरिद्वार में भी उनकी अच्छी खासी पकड़ है. मौजूदा समय में हरक सिंह रावत ED की पूछताछ के पचड़े में फंसे हुए हैं.
पौड़ी लोकसभा सीटे से गणेश गोदियाल: उत्तराखंड में पौड़ी लोकसभा सीट का अपना अलग ही महत्व है. यह सीट काफी हॉट मानी जाती है. बीजेपी ने इस सीट पर भी अभी तक किसी भी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. बात अगर कांग्रेस की करें तो इस क्षेत्र में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा गणेश गोदियाल हैं. गणेश गोदियाल दो बार विधायक रह चुके हैं. वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. इसके साथ ही उनकी छवि इस क्षेत्र में एक बेहतर नेता की है. गणेश गोदियाल साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत से वह महज कुछ ही वोटों से हारे थे. गणेश गोदियाल पूर्व में मंदिर समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. पौड़ी लोकसभा क्षेत्र में आने वाले बदरीनाथ केदारनाथ जैसे क्षेत्र की जनता भी उन्हें बखूबी पहचानती है. ऐसे में पौड़ी लोकसभा सीट के गणेश गोदियाल कांग्रेस के खेवनहार हो सकते हैं.
नैनीताल लोकसभा सीट पर यशपाल आर्य:बात अगर कुमाऊं की करें तो नैनीताल और अल्मोड़ा दो लोकसभा क्षेत्र हैं. नैनीताल से बीजेपी ने अजय भट्ट को टिकट दिया है. अल्मोड़ा से अजय टम्टा को उतारा है. नैनीताल लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस के पास यशपाल आर्य, भुवन कापड़ी दो बड़े चेहरे हैं. यशपाल आर्य का इस पूरे क्षेत्र में राजनीतिक तौर पर कद बेहद बड़ा है. यशपाल आर्य 7 बार विधायक रहे हैं. पूर्व में बीजेपी और कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. पहले भी वह लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं. बता दें नैनीताल लोकसभा सीट पर सबसे अधिक मतदाता तराई से आते हैं. तराई में यशपाल आर्य का अच्छा खासा जानाधार है. इतना ही नहीं आर्य का अनुभव भी उन्हें इस सीट पर एक अलग नेता बनता है. वह मौजूदा समय में उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ वह पूर्व में मुख्यमंत्री पद के भी प्रबल दावेदार थे.
नैनीताल सीट पर भुवन कापड़ी भी मजबूत: इसके साथ ही इस सीट पर भुवन कापड़ी भी मजबूत नेता हैं. भुवन की राजनीतिक पारी इतनी लंबी नहीं है, लेकिन साल 2022 के चुनाव में उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हराकर इस पूरे क्षेत्र में अपनी एक नई पहचान स्थापित की. इसके साथ ही तराई के अलावा उन्हें पहाड़ में भी लोगों का समर्थन मिलता रहा है. भुवन कापड़ी एक बार विधायक के साथ-साथ उप नेता प्रतिपक्ष भी हैं. युवा होने के साथ उनके साथ एक बड़ी टीम भी काम करती है. साल 2017 में भुवन चुनाव हार गए थे.
नैनीताल से दीपक बलूटिया और रंजीत रावत भी दमदार दावेदार: यशपाल आर्य और भुवन कापड़ी के साथ ही नैनीताल लोकसभा सीट पर दो और बड़े दावेदार हैं. इनमेंं एक नाम दीपक बलूटिया का है. दीपक बलूटिया काफी समय ये इस इलाके में सक्रिय है. दीपक बल्यूटिया कांग्रेस के प्रवक्ता हैं. साथ ही वे पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के भतीजे हैं. दीपक बल्यूटिया का इस क्षेत्र में जनाधार भी है. इसके साथ ही उन्हें नारायण दत्त तिवारी के नाम का भी फायदा मिल सकता है. इसके अलावा दूसरे नाम की बात करें तो वो रणजीत सिंह रावत का है. रणजीत सिंह रावत किसी जमाने में हरीश रावत के करीबी माने जाते थे. उन्हें 2007 में हरीश रावत ने कांग्रेस का टिकट दिलाया था. उन्हें जिताने में भी बडी भूमिका निभाई थी. इसके बाद वे 2012, 2017 में चुनाव नहीं जीते, मगर वे इस इलाके में सक्रिय रहे. रणजीत सिंह रावत की गिनती भी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती है. इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस रावत पर भी दांव खेल सकती है.
अल्मोड़ा सीट से भी लड़ सकते हैं यशपाल आर्य: बात अगर अल्मोड़ा लोकसभा सीट की करें तो यह आरक्षित सीट है. मौजूदा समय में यहां से अजय टम्टा सांसद हैं. वे लगातार यहां से दो बार जीते हैं. इस बार बीजेपी ने उन्हें फिर से चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस यहां से यशपाल आर्य को यचुनाव लड़वाना चाहती है. यशपाल आर्य इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार को अच्छी खासी फाइट दे सकते हैं. खुद हरीश रावत भी उनके नाम की पैरवी कर चुके हैं. यशपाल आर्य के अलावा प्रदीप टम्टा भी इस सीट पर कांग्रेस के एक दावेदार हो सकते हैं. प्रदीप अल्मोड़ा के साथ-साथ सोमेश्वर विधानसभा से विधायक के अलावा 15वीं लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. वह हाल ही में राज्यसभा में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं. राजनीतिक बैकग्राउंड से आने वाले प्रदीप टम्टा कांग्रेस के अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस क्षेत्र में उनकी अच्छी खासी पकड़ है.
क्या कहते हैं जानकार: राजनीतिक जानकार गजेंद्र रावत कहते हैं उत्तराखंड में कांग्रेस को बीजेपी से पीछे है. हर मोर्चे पर कांग्रेस कमतर ही नजर आती है. उन्होंने कहा कांग्रेस के पास उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों पर ऐसा कोई बड़ा नाम नहीं है जो कुछ खास कमाल दिखा पाए. इतना जरूर है की प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य, प्रदीप टम्टा के साथ साथ हरीश रावत, हरक, भुवन कापड़ी चुनावी मैदान में बीजेपी को कुछ हद तक टक्कर दे सकते हैं. भागीरथ शर्मा कहते हैं कांग्रेस हरिद्वार में अगर बेहतर चुनाव लड़ती है तो कुछ बात बन सकती है. इसी तरह से अल्मोड़ा और टिहरी पर भी कांग्रेस को बेहद सोच विचार कर कैंडिडेट चुनना होगा.
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