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उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा की उत्तराखंड शासन से हुई वार्ता, सुरक्षित भविष्य का मिला भरोसा

उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने कहा सरकार की रिव्यू पिटीशन से उन्हें समस्या नहीं, वार्ता को सकारात्मक बताया

UPNL EMPLOYEES UNITED FRONT
उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने शासन से वार्ता की (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 26, 2024, 9:34 AM IST

Updated : Nov 26, 2024, 1:06 PM IST

देहरादून: सोमवार को उपनल कर्मचारी संयुक्त मोर्चा की शासन स्तर पर बैठक हुई. उपनल कर्मचारी लगातार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर कर्मचारियों को समान कार्य और समान वेतन के साथ नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं. इधर इस वार्ता में सरकार ने नियमितीकरण मामले में नियमावली बना कर कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य का भरोसा दिया है.

उपनल संयुक्त मोर्चा की सरकार से वार्ता: उत्तराखंड में उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार ने जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पुनर्विचार याचिका दायर की है, तो वहीं दूसरी तरफ आंदोलन पर उतारू कर्मचारियों से सरकार की वार्ता भी जारी है. अपने चरणबद्ध आंदोलन के क्रम में उपनल कर्मियों ने 11 नवंबर को एक महाआक्रोश रैली का आयोजन किया था. इसके बाद 25 नवंबर को शासन स्तर से वार्ता के लिए उपनल कर्मियों को बुलाया गया था. उसी क्रम में सोमवार 25 नवंबर को उपनल कर्मियों के प्रतिनिधिमंडल ने शासन स्तर पर वार्ता की.

उपनल कर्मियों को नौकरी बची रहने का भरोसा (VIDEO- ETV Bharat)

वार्ता से उपनल कर्मियों को जगी उम्मीद: शासन स्तर पर हुई इस वार्ता में में उपनल कर्मचारी संगठन को ओर से संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने बताया कि सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी, संयुक्त सचिव सैनिक कल्याण सुनील सिंह एवं एमडी उपनल के साथ शासन में सकारात्मक वार्ता हुई है. उन्होंने कहा कि शासन ने उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली तैयार कर शीघ्र सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया. शासन स्तर से आश्वासन मिला कि जब तक मामला लंबित है, तब तक विभागों में सभी कर्मचारियों को यथावत रखा जाएगा.

उपनल संयुक्त मोर्चा को रिव्यू पिटीशन से दिक्कत नहीं: सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर करने के फैसले पर उपनल कर्मचारी संघ का कहना है कि यह हर एक वादी का संवैधानिक अधिकार है. उसको लेकर उनका कुछ खास विरोध नहीं है. उन्होंने कहा कि हां एक संवैधानिक प्रक्रिया है, लेकिन उन्हें भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट इस पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर देगा. यही नहीं शासन में मुख्य सचिव द्वारा सभी 65 विभागों को जहां पर भी उपनाल कर्मचारी कार्यरत हैं, उन्हें रिव्यू पिटीशन दायर करने के लिए कहा गया है. हालांकि उपनल कर्मचारी का कहना है कि रिव्यू पिटीशन एक हो, चाहे कितनी हों उससे फर्क नहीं पड़ता है. लेकिन उसका विषय क्या है वह महत्वपूर्ण है.

सरकार को मानना पड़ेगा सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: उपनल कर्मचारी संघ के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहुत विचार विमर्श के बाद उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण का फैसला लिया गया है. उत्तराखंड सरकार को इसे मानना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि उनके पास पूरा अधिकार है कि वह कोर्ट में जाएं और कर्मचारी संगठन हर एक मोर्चे पर सरकार के साथ वार्ता करना चाहता है. नियमितीकरण को लेकर कर्मचारी संगठन पूरी तरह से लामबंद हैं.
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उपनल संयुक्त मोर्चा की सरकार से वार्ता: उत्तराखंड में उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार ने जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पुनर्विचार याचिका दायर की है, तो वहीं दूसरी तरफ आंदोलन पर उतारू कर्मचारियों से सरकार की वार्ता भी जारी है. अपने चरणबद्ध आंदोलन के क्रम में उपनल कर्मियों ने 11 नवंबर को एक महाआक्रोश रैली का आयोजन किया था. इसके बाद 25 नवंबर को शासन स्तर से वार्ता के लिए उपनल कर्मियों को बुलाया गया था. उसी क्रम में सोमवार 25 नवंबर को उपनल कर्मियों के प्रतिनिधिमंडल ने शासन स्तर पर वार्ता की.

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वार्ता से उपनल कर्मियों को जगी उम्मीद: शासन स्तर पर हुई इस वार्ता में में उपनल कर्मचारी संगठन को ओर से संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने बताया कि सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी, संयुक्त सचिव सैनिक कल्याण सुनील सिंह एवं एमडी उपनल के साथ शासन में सकारात्मक वार्ता हुई है. उन्होंने कहा कि शासन ने उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली तैयार कर शीघ्र सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया. शासन स्तर से आश्वासन मिला कि जब तक मामला लंबित है, तब तक विभागों में सभी कर्मचारियों को यथावत रखा जाएगा.

उपनल संयुक्त मोर्चा को रिव्यू पिटीशन से दिक्कत नहीं: सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर करने के फैसले पर उपनल कर्मचारी संघ का कहना है कि यह हर एक वादी का संवैधानिक अधिकार है. उसको लेकर उनका कुछ खास विरोध नहीं है. उन्होंने कहा कि हां एक संवैधानिक प्रक्रिया है, लेकिन उन्हें भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट इस पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर देगा. यही नहीं शासन में मुख्य सचिव द्वारा सभी 65 विभागों को जहां पर भी उपनाल कर्मचारी कार्यरत हैं, उन्हें रिव्यू पिटीशन दायर करने के लिए कहा गया है. हालांकि उपनल कर्मचारी का कहना है कि रिव्यू पिटीशन एक हो, चाहे कितनी हों उससे फर्क नहीं पड़ता है. लेकिन उसका विषय क्या है वह महत्वपूर्ण है.

सरकार को मानना पड़ेगा सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: उपनल कर्मचारी संघ के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहुत विचार विमर्श के बाद उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण का फैसला लिया गया है. उत्तराखंड सरकार को इसे मानना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि उनके पास पूरा अधिकार है कि वह कोर्ट में जाएं और कर्मचारी संगठन हर एक मोर्चे पर सरकार के साथ वार्ता करना चाहता है. नियमितीकरण को लेकर कर्मचारी संगठन पूरी तरह से लामबंद हैं.
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Last Updated : Nov 26, 2024, 1:06 PM IST
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