कुल्लू: केंद्र सरकार के द्वारा 1 फरवरी को अपना आम बजट पेश किया जा रहा है तो वहीं, आम बजट से हिमाचल प्रदेश के बागवानों व किसानों की उम्मीदें भी लगी हुई हैं. बागवानों व किसानों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार कृषि बागवानी के क्षेत्र के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान करेगी, ताकि हिमाचल प्रदेश के किसान व बागवान इस बजट के माध्यम से अपने आप को आर्थिक रूप से बचत मजबूत कर सकें. हिमाचल प्रदेश एक कृषि, बागवानी आधारित राज्य है और यहां पर 5000 करोड़ से अधिक सेब का कारोबार होता है. ऐसे में बागवानों व किसानों के केंद्र सरकार से मांग है कि वह अपने बजट में बागवानी कृषि क्षेत्र का विशेष ध्यान रखें.
'कृषि व बागवानी उपकरणों पर GST हटाए सरकार': बागवान किशन ठाकुर का कहना है कि सरकार अपने बजट में कृषि और बागबानी में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों दवाइयां पर से जीएसटी को तुरंत हटाए. यह मुद्दा भी प्रदेश के किसानों का बागवानों ने कई बार केंद्र सरकार के समक्ष उठाया है. केंद्र सरकार के द्वारा कृषि व बागवानी उपकरणों पर 18 से 28 फीसदी जीएसटी लगाया गया है. जिससे किसानों का बागवानों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा है. कारोबारी को जीएसटी रिफंड होता है, लेकिन किसान और बागवान इसे रिफंड नहीं कर पाते हैं. ऐसे में केंद्र सरकार अपने बजट में कृषि एवं बागवानी उपकरणों दवाइयां पर से जीएसटी को हटा दे.
'प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए हो बजट का प्रावधान': बागवान सुनील कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार अपने बजट में छोटे कोल्ड स्टोर और प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान करें और केंद्र सरकार इसमें 90 फीसदी खर्च का वहन करें. बागवान का कहना है कि कृषि एवं बागवानी में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां और उपकरणों की सब्सिडी बढ़ाने के लिए भी सरकार बजट में प्रावधान करें. इसके अलावा सेब व अन्य फलों के लिए प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए भी बजट का प्रावधान करें, ताकि बागबान किसान इनके उत्पादन यहीं तैयार कर सकें और उसे बाजार में बेचकर उन्हें आर्थिक फायदा मिल सके.
'हिमाचल में 5 लाख परिवार बागवानी पर निर्भर': बागवान नरेंद्र ठाकुर का कहना है कि आज बाहरी देशों से बड़ी मात्रा में सेब का आयात हो रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह सेब का आयात शुल्क 100 फीसदी करे और सेब को विशेष उत्पाद की श्रेणी में रखे. इसके लिए भी केंद्र सरकार को बजट में प्रावधान करना चाहिए. इसके अलावा बागवानी व कृषि क्षेत्र में स्वरोजगार बेहतर तरीके से युवाओं को मिलता रहे इसके लिए भी सरकार को अपने बजट में प्रावधान करना चाहिए, क्योंकि हिमाचल प्रदेश में 5 लाख परिवार ऐसे हैं. जो बागवानी पर आधारित हैं और बागवानी के माध्यम से प्रदेश सरकार को आर्थिक रूप से भी काफी लाभ मिलता है.
'इजरायल की तरह सिंचाई तकनीक मिले': बागवान रमन का कहना है कि सेब उत्पादन के लिए सबसे बड़ी व्यवस्था सिंचाई की भी है, क्योंकि हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है और पहाड़ी क्षेत्रों में सेब का अधिक उत्पादन होता है. हिमाचल में कई नदियां तो हैं, लेकिन सिंचाई के ढांचे को आज भी मजबूत करने की काफी आवश्यकता है. भारत सरकार को बाहरी देशों से भी प्रेरणा लेनी चाहिए और इजरायल की तरह सिंचाई की तकनीक भारत में भी लागू करनी चाहिए. ताकि पहाड़ी क्षेत्रों में भी गर्मियों के मौसम में बगीचों में पानी की जरूरत पूरी हो सके.
'बाहरी देशों से आने वाले सेब पर आयात शुल्क बढ़े': बागवान हरि राम का कहना है कि ईरान, तुर्की, चिल्ली व अन्य देशों से आने वाला सेब भारत में सस्ता मिलता है, जबकि हिमाचल के बागवान विपरीत परिस्थितियों में सेब उगाते हैं. भारत एक बहुत बड़ा बाजार है और सरकार को देश के सेब उत्पादकों का हित भी ध्यान में रखना चाहिए. ऐसे में सेब को ओपन जनरल लाइसेंसिंग से मुक्त कर विशेष कैटेगरी में रखना चाहिए और बाहरी देश से आने वाले सेब पर भी आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए.
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