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यूपी के एक शिक्षक की कठिन साधना, 15 साल से मुसहर बस्ती में जगा रहे साक्षरता की अलख, बच्चों के साथ उनके परिवार भी बन रहे शिक्षित - Teachers Day 2024

गोरखपुर के मुसहर बस्ती में शिक्षा का अलख जगाकर युवा शिक्षक अभय पाठक बच्चों को साक्षर बना रहे हैं. वह 15 साल समाज को साक्षरता के राह पर आगे बढ़ा रहा है. उनके इस प्रयासों से कई के जीवन में उजाला आ चुका है.

बच्चों के साथ उनके परिवारों को बनाया साक्षर.
बच्चों के साथ उनके परिवारों को बनाया साक्षर. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 5, 2024, 12:57 PM IST

शिक्षक के प्रयासों की जमकर होती है सराहना. (Video Credit; ETV Bharat)

गोरखपुर : जिले के एक युवा शिक्षक अभय पाठक ने अपनी मेहनत और लगन से लोगों को साक्षर बनाया. उन्होंने अपनी 15 साल की कड़ी मेहनत से अपने स्कूल क्षेत्र से सटे मुसहर बस्ती के बच्चों और उनके परिवारों में शिक्षा का अलख जगाने का काम किया. उनके पढ़ाए हुए कई बच्चे अदानी समूह में साइट इंजीनियर के रूप में कार्य कर रहे हैं. कई अन्य क्षेत्रों में भी कार्यरत हैं. उनके इस अभियान को बेसिक शिक्षा मंत्रालय ने भी गंभीरता से लिया है. उन्हें निपुण भारत योजना के लेखन मंडल का सदस्य भी बनाया गया है. शिक्षा के प्रति उनके योगदान की पूरे शहर में सराहना हो रही है. शिक्षक दिवस पर ऐसे शिक्षकों की कठिन साधना को याद करना जरूरी हो जाता है.

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह पुरस्कारों के लिए यह प्रयास नहीं कर रहे हैं. उनकी इच्छा यह रहती है कि वह बच्चों के लिए ऐसे वातावरण का सृजन करें जो शिक्षक के रूप में आत्मसंतुष्टि प्रदान करें. बच्चों को समाज में उच्च स्थान दिलाए. एक शिक्षक की पूंजी उसका ज्ञान, बच्चे, शिक्षा और बच्चों के चतुर्दिक विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता होती है. उन्हें पुरस्कार की कोई लालसा नहीं लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग के सम्मान से उनके और बेहतर करने की ताकत मिलती है.

स्कूल में नो एडमिशन का लगाना पड़ता है बोर्ड : प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को जोड़ने के लिए सरकार विशेष अभियान चला रही है. इस पर अभय पाठक का कहना है कि उनके और स्कूल के अन्य शिक्षकों के प्रयास से बच्चों की संख्या स्कूल में काफी ज्यादा है. उन्हें नो एडमिशन का बोर्ड लगाना पड़ता है. यह प्राथमिक शिक्षा में एक मिसाल है. जिस मुसहर बस्ती के बच्चों और परिवार के लोगों को उन्होंने शिक्षित करने का काम किया, उनका मूल पेशा पत्तल बनाने का होता था. अब शिक्षा के साथ यह परिवार भी आगे बढ़ चला है.

बच्चों के साथ उनके परिवार भी हो रहे शिक्षित.
बच्चों के साथ उनके परिवार भी हो रहे शिक्षित. (Photo Credit; ETV Bharat)

100 से अधिक मुसहर बस्ती के बच्चों को पढ़ाने जाते हैं गांव : बच्चे उच्च शिक्षा के साथ तकनीकी शिक्षा भी ग्रहण कर आगे निकल रहे हैं. इससे बड़ी संतुष्टि मिलती है. उन्होंने कहा कि जब वह वर्ष 2010 में प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपनी सेवा देना यहां शुरू किए तो जिस विद्यालय पर उनकी तैनाती थी, उस विद्यालय को उन्होंने एक अनुपम स्वरूप प्रदान किया. उनकी तैनाती जिले के ब्रम्हपुर ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल पर है. यहां के बौरिहवा टोले के 100 से अधिक मुसहर बस्ती के छात्र नियमित आकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. वह उनके गांव में जाते हैं. उस दौरान माना जाता था कि मुसहर बस्ती के लोग पढ़ते-लिखते नहीं हैं. उनके परिवार भी शिक्षित नहीं हैं.

अधिकारों के प्रति करते हैं जागरूक : शिक्षक ने बताया कि महिलाओं-परिवार के बीच वह अपना शिक्षण कैंप लगाते हैं. अभय कहते हैं कि वह बच्चों के सिर्फ शिक्षित ही नहीं करते उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अधिकार के प्रति भी जागरूक करते हैं. उनके माता-पिता को भी जागरूक करते हैं. यही वजह है कि जब वह वर्ष 2010 में इस स्कूल में ज्वाइन किए तो बच्चों की संख्या मात्र 50 थी. अब 300 से ऊपर है. उनके इस कार्य में विद्यालय के अन्य शिक्षकों का पूरा सहयोग मिलता है. वह बच्चों के बीच में स्वच्छता का पाठ पढ़ना और उसे क्रियान्वित करने में भी सफल रहे. इससे उस क्षेत्र में गंदगी से होने वाले संक्रामक रोग नहीं फैलते हैं.

अभय कुमार पाठक ने नशे की गिरफ्त में जकड़े हुए बच्चों को भी शिक्षा की मुख्य द्वारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई. 15 वर्षों से उनका जो निरंतर प्रयास जारी है वह लगातार जारी भी रहेगा. वह कहते हैं कि एक शिक्षक होना बड़ी बात नहीं है, शिक्षक के रूप में खुद को स्थापित करना और समाज को भी एक नया आयाम देना, शिक्षक का कर्तव्य है. इस उद्देश्य पर वह आगे बढ़ रहे हैं.

शिक्षक को मिल चुके हैं कई सम्मान.
शिक्षक को मिल चुके हैं कई सम्मान. (Photo Credit; ETV Bharat)

विभाग के अभियान में कर रहे सहयोग : राज्य पुरस्कार जब उन्हें मिलना होगा मिलेगा, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि यूपी का बेसिक शिक्षा विभाग अपने जिन तीन पाठ्यक्रमों को तैयार कर, बेसिक शिक्षा में बड़े परिवर्तन पर काम कर रहा है, जिसे बेसिक शिक्षा का बाइबिल कह सकते हैं, उसके निर्माण और लेखन में उनका योगदान है. उन्हें बेसिक शिक्षा मंत्री से लेकर शिक्षा निदेशक और जिला स्तरीय विभिन्न प्लेटफार्म पर सम्मानित किया जा चुका है.

गोरखपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी रामेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि अभय कुमार पाठक प्राथमिक शिक्षा में बेहतर कार्य करने के लिए गोरखपुर में एक रोल मॉडल शिक्षक हैं. उनको देखकर औरों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. इससे स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ रही है. पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ रही है. निश्चित रूप से वह ऐसे ही चलते रहे तो एक ने एक दिन वह राज्य और राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के हकदार जरूर बनेंगे.

यह भी पढ़ें : चलती एंबुलेंस में महिला से रेप की कोशिश, ऑक्सीजन मास्क निकाल बीमार पति को कचरे में फेंका, मौत

शिक्षक के प्रयासों की जमकर होती है सराहना. (Video Credit; ETV Bharat)

गोरखपुर : जिले के एक युवा शिक्षक अभय पाठक ने अपनी मेहनत और लगन से लोगों को साक्षर बनाया. उन्होंने अपनी 15 साल की कड़ी मेहनत से अपने स्कूल क्षेत्र से सटे मुसहर बस्ती के बच्चों और उनके परिवारों में शिक्षा का अलख जगाने का काम किया. उनके पढ़ाए हुए कई बच्चे अदानी समूह में साइट इंजीनियर के रूप में कार्य कर रहे हैं. कई अन्य क्षेत्रों में भी कार्यरत हैं. उनके इस अभियान को बेसिक शिक्षा मंत्रालय ने भी गंभीरता से लिया है. उन्हें निपुण भारत योजना के लेखन मंडल का सदस्य भी बनाया गया है. शिक्षा के प्रति उनके योगदान की पूरे शहर में सराहना हो रही है. शिक्षक दिवस पर ऐसे शिक्षकों की कठिन साधना को याद करना जरूरी हो जाता है.

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह पुरस्कारों के लिए यह प्रयास नहीं कर रहे हैं. उनकी इच्छा यह रहती है कि वह बच्चों के लिए ऐसे वातावरण का सृजन करें जो शिक्षक के रूप में आत्मसंतुष्टि प्रदान करें. बच्चों को समाज में उच्च स्थान दिलाए. एक शिक्षक की पूंजी उसका ज्ञान, बच्चे, शिक्षा और बच्चों के चतुर्दिक विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता होती है. उन्हें पुरस्कार की कोई लालसा नहीं लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग के सम्मान से उनके और बेहतर करने की ताकत मिलती है.

स्कूल में नो एडमिशन का लगाना पड़ता है बोर्ड : प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को जोड़ने के लिए सरकार विशेष अभियान चला रही है. इस पर अभय पाठक का कहना है कि उनके और स्कूल के अन्य शिक्षकों के प्रयास से बच्चों की संख्या स्कूल में काफी ज्यादा है. उन्हें नो एडमिशन का बोर्ड लगाना पड़ता है. यह प्राथमिक शिक्षा में एक मिसाल है. जिस मुसहर बस्ती के बच्चों और परिवार के लोगों को उन्होंने शिक्षित करने का काम किया, उनका मूल पेशा पत्तल बनाने का होता था. अब शिक्षा के साथ यह परिवार भी आगे बढ़ चला है.

बच्चों के साथ उनके परिवार भी हो रहे शिक्षित.
बच्चों के साथ उनके परिवार भी हो रहे शिक्षित. (Photo Credit; ETV Bharat)

100 से अधिक मुसहर बस्ती के बच्चों को पढ़ाने जाते हैं गांव : बच्चे उच्च शिक्षा के साथ तकनीकी शिक्षा भी ग्रहण कर आगे निकल रहे हैं. इससे बड़ी संतुष्टि मिलती है. उन्होंने कहा कि जब वह वर्ष 2010 में प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपनी सेवा देना यहां शुरू किए तो जिस विद्यालय पर उनकी तैनाती थी, उस विद्यालय को उन्होंने एक अनुपम स्वरूप प्रदान किया. उनकी तैनाती जिले के ब्रम्हपुर ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल पर है. यहां के बौरिहवा टोले के 100 से अधिक मुसहर बस्ती के छात्र नियमित आकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. वह उनके गांव में जाते हैं. उस दौरान माना जाता था कि मुसहर बस्ती के लोग पढ़ते-लिखते नहीं हैं. उनके परिवार भी शिक्षित नहीं हैं.

अधिकारों के प्रति करते हैं जागरूक : शिक्षक ने बताया कि महिलाओं-परिवार के बीच वह अपना शिक्षण कैंप लगाते हैं. अभय कहते हैं कि वह बच्चों के सिर्फ शिक्षित ही नहीं करते उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अधिकार के प्रति भी जागरूक करते हैं. उनके माता-पिता को भी जागरूक करते हैं. यही वजह है कि जब वह वर्ष 2010 में इस स्कूल में ज्वाइन किए तो बच्चों की संख्या मात्र 50 थी. अब 300 से ऊपर है. उनके इस कार्य में विद्यालय के अन्य शिक्षकों का पूरा सहयोग मिलता है. वह बच्चों के बीच में स्वच्छता का पाठ पढ़ना और उसे क्रियान्वित करने में भी सफल रहे. इससे उस क्षेत्र में गंदगी से होने वाले संक्रामक रोग नहीं फैलते हैं.

अभय कुमार पाठक ने नशे की गिरफ्त में जकड़े हुए बच्चों को भी शिक्षा की मुख्य द्वारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई. 15 वर्षों से उनका जो निरंतर प्रयास जारी है वह लगातार जारी भी रहेगा. वह कहते हैं कि एक शिक्षक होना बड़ी बात नहीं है, शिक्षक के रूप में खुद को स्थापित करना और समाज को भी एक नया आयाम देना, शिक्षक का कर्तव्य है. इस उद्देश्य पर वह आगे बढ़ रहे हैं.

शिक्षक को मिल चुके हैं कई सम्मान.
शिक्षक को मिल चुके हैं कई सम्मान. (Photo Credit; ETV Bharat)

विभाग के अभियान में कर रहे सहयोग : राज्य पुरस्कार जब उन्हें मिलना होगा मिलेगा, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि यूपी का बेसिक शिक्षा विभाग अपने जिन तीन पाठ्यक्रमों को तैयार कर, बेसिक शिक्षा में बड़े परिवर्तन पर काम कर रहा है, जिसे बेसिक शिक्षा का बाइबिल कह सकते हैं, उसके निर्माण और लेखन में उनका योगदान है. उन्हें बेसिक शिक्षा मंत्री से लेकर शिक्षा निदेशक और जिला स्तरीय विभिन्न प्लेटफार्म पर सम्मानित किया जा चुका है.

गोरखपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी रामेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि अभय कुमार पाठक प्राथमिक शिक्षा में बेहतर कार्य करने के लिए गोरखपुर में एक रोल मॉडल शिक्षक हैं. उनको देखकर औरों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. इससे स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ रही है. पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ रही है. निश्चित रूप से वह ऐसे ही चलते रहे तो एक ने एक दिन वह राज्य और राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के हकदार जरूर बनेंगे.

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