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मंडी शुल्क और किसान कल्याण शुल्क हटाने की मांग पर मंडियों में हड़ताल, 40 करोड़ से ज्यादा का कारोबार प्रभावित - JODHPUR MANDI ON STRIKE

जोधपुर की बासनी और जीरा मंडी में हड़ताल जारी है. इससे अब तक करीब 40 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है.

Silence in Jodhpur Mandi due to strike
जोधपुर मंडी में हड़ताल से सन्नाटा (ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 27, 2025, 3:42 PM IST

जोधपुर: राज्य के इस वर्ष के बजट में कृषि मंडी और खाद्य व्यापार से जुड़े लोगों का उम्मीद थी कि सरकार इस बार मंडी में अलग-अलग जींस पर लग रहे टैक्स एक और कोरोना काल में लगे किसान कल्याण सेस हटाने की घोषणा करेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके विरोध में राजस्थान खाद्य व्यापार संघ, जयपुर के आह्वान पर मंडी शुल्क और किसान कल्याण शुल्क हटाने की मांग को लेकर जोधपुर की बासनी और जीरा मंडी में गत 23 फरवरी से हड़ताल जारी है. यह हड़ताल 2 मार्च तक चलेगी. व्यापारियों कहना है कि सरकार और अधिकारी धरातल के हालात नहीं समझ रहे हैं. हड़ताल के चलते किसानों की जींस की बोली नहीं लग रही है. अगर समाधान नहीं हुआ, तो 15 मार्च से मंडियों में होने वाली नई आवक को लेकर भी परेशानी होगी.

मंडी शुल्क व सेस के विरोध में मंडी में कामकाज बंद (ETV Bharat Jodhpur)

करोड़ों का व्यापार बाधित: जोधपुर की बासनी और जीरा मंडी में प्रतिदिन लगभग 5-5 करोड़ का व्यापार होता है. ऐसे में इस हड़ताल के कारण अब तक 4 दिनों में दोनों मंडियों में 40 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हो चुका है. जीरा मंडी के अध्यक्ष पुरुषोत्तम मूंदड़ा ने बताया कि बार-बार आग्रह करने के बावजूद सरकार कोरोना सेस हटाने पर ध्यान नहीं दे रही है. जिससे व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि यह मंडी टैक्स से अतिरिक्त लगता है. इससे टैक्स बढ़ गया है. इसके कारण मंडी के बाहर सीधी खरीद का नुकसान सरकार को हो रहा है.

पढ़ें: सेस के विरोध में उतरे मंडी व्यापारी, प्रदेश की 247 मंडियां रही बंद, करोड़ों का व्यापार प्रभावित - MANDI TRADERS PROTEST

एक जैसा हो मंडी टैक्स सभी जींसों पर: प्रदेश की मंडियों में तिलहन पर 1% , मोटे अनाज, जीरा, ईसबगोल पर 0.50% , दलहन और किराना की अन्य वस्तुओं पर 1.60% मंडी टैक्स लग रहा है. इसके अलावा, मई 2020 में कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने 0.50% कृषक कल्याण सेस अतिरिक्त रूप से वसूलना शुरू कर दिया था. मंडी शुल्क और कृषक कल्याण फीस के कारण किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. कई व्यापारी किसानों के नाम पर पड़ोसी राज्यों में कृषि जिन्स बेच रहे हैं, जिससे राजस्थान से व्यापार का पलायन हो रहा है.

पढ़ें: बाड़मेर में कृषि मंडी दो दिन और रहेगी बंद, व्यापारियों ने की ये मांग - KRISHI MANDI CLOSED

सरकार का नुकसान नहीं समझ पा रहे अधिकारी: मूंदड़ा ने बताया कि राज्य में टैक्स दर अधिक होने के कारण कृषि जिन्स अन्य राज्यों में भेजी जा रही हैं. इनमें दिल्ली में चना, मूंग, उड़द, गुजरात में ग्वार, रायड़ा, जीरा, ईसबगोल, चना, अरंडी, हरियाणा में चना, मूंगफली, ग्वार, रायड़ा, तारामीरा जा रहा है. क्योंकि वहां कृषि जिन्स पर कर कम है. दूसरे राज्यों में जींस जाने से सरकार को मिलने वाला जीएसटी भी नहीं मिल रहा है. सरकार को अभी राजस्थान में होने वाले उत्पाद का आधा भी मंडी टैक्स नहीं मिल रहा है. लेकिन अधिकारी सरकार को सही स्थिति नहीं बता रहे हैं.

पढ़ें: राजस्थान के मसाला उद्योग पर मंडी टैक्स और सेस का असर, व्यापारी गुजरात-पंजाब की मंडियों में बेच रहे अपना माल - AGRO INDUSTRIES

दिहाड़ी मजदूर हो रहे बेरोजगार: जोधपुर की कृषि मंडियों में माल की तुलाई और भराई का काम बाहर के मजदूर करते हैं जो ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं. चार दिन से मंडियों के बंद रहने से सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हैं. यह लोग मंडी में पालदारी कर अपना पेट पालते हैं, लेकिन अब परेशान हैं. मजदूर दिलीप यादव ने बताया कि अगर हड़ताल खत्म नहीं हुई, तो हमको पलायन करना पड़ेगा. उनकी मांग है कि डबल इंजन की सरकार को जल्दी निर्णय लेना चाहिए.

जोधपुर: राज्य के इस वर्ष के बजट में कृषि मंडी और खाद्य व्यापार से जुड़े लोगों का उम्मीद थी कि सरकार इस बार मंडी में अलग-अलग जींस पर लग रहे टैक्स एक और कोरोना काल में लगे किसान कल्याण सेस हटाने की घोषणा करेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके विरोध में राजस्थान खाद्य व्यापार संघ, जयपुर के आह्वान पर मंडी शुल्क और किसान कल्याण शुल्क हटाने की मांग को लेकर जोधपुर की बासनी और जीरा मंडी में गत 23 फरवरी से हड़ताल जारी है. यह हड़ताल 2 मार्च तक चलेगी. व्यापारियों कहना है कि सरकार और अधिकारी धरातल के हालात नहीं समझ रहे हैं. हड़ताल के चलते किसानों की जींस की बोली नहीं लग रही है. अगर समाधान नहीं हुआ, तो 15 मार्च से मंडियों में होने वाली नई आवक को लेकर भी परेशानी होगी.

मंडी शुल्क व सेस के विरोध में मंडी में कामकाज बंद (ETV Bharat Jodhpur)

करोड़ों का व्यापार बाधित: जोधपुर की बासनी और जीरा मंडी में प्रतिदिन लगभग 5-5 करोड़ का व्यापार होता है. ऐसे में इस हड़ताल के कारण अब तक 4 दिनों में दोनों मंडियों में 40 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हो चुका है. जीरा मंडी के अध्यक्ष पुरुषोत्तम मूंदड़ा ने बताया कि बार-बार आग्रह करने के बावजूद सरकार कोरोना सेस हटाने पर ध्यान नहीं दे रही है. जिससे व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. क्योंकि यह मंडी टैक्स से अतिरिक्त लगता है. इससे टैक्स बढ़ गया है. इसके कारण मंडी के बाहर सीधी खरीद का नुकसान सरकार को हो रहा है.

पढ़ें: सेस के विरोध में उतरे मंडी व्यापारी, प्रदेश की 247 मंडियां रही बंद, करोड़ों का व्यापार प्रभावित - MANDI TRADERS PROTEST

एक जैसा हो मंडी टैक्स सभी जींसों पर: प्रदेश की मंडियों में तिलहन पर 1% , मोटे अनाज, जीरा, ईसबगोल पर 0.50% , दलहन और किराना की अन्य वस्तुओं पर 1.60% मंडी टैक्स लग रहा है. इसके अलावा, मई 2020 में कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने 0.50% कृषक कल्याण सेस अतिरिक्त रूप से वसूलना शुरू कर दिया था. मंडी शुल्क और कृषक कल्याण फीस के कारण किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. कई व्यापारी किसानों के नाम पर पड़ोसी राज्यों में कृषि जिन्स बेच रहे हैं, जिससे राजस्थान से व्यापार का पलायन हो रहा है.

पढ़ें: बाड़मेर में कृषि मंडी दो दिन और रहेगी बंद, व्यापारियों ने की ये मांग - KRISHI MANDI CLOSED

सरकार का नुकसान नहीं समझ पा रहे अधिकारी: मूंदड़ा ने बताया कि राज्य में टैक्स दर अधिक होने के कारण कृषि जिन्स अन्य राज्यों में भेजी जा रही हैं. इनमें दिल्ली में चना, मूंग, उड़द, गुजरात में ग्वार, रायड़ा, जीरा, ईसबगोल, चना, अरंडी, हरियाणा में चना, मूंगफली, ग्वार, रायड़ा, तारामीरा जा रहा है. क्योंकि वहां कृषि जिन्स पर कर कम है. दूसरे राज्यों में जींस जाने से सरकार को मिलने वाला जीएसटी भी नहीं मिल रहा है. सरकार को अभी राजस्थान में होने वाले उत्पाद का आधा भी मंडी टैक्स नहीं मिल रहा है. लेकिन अधिकारी सरकार को सही स्थिति नहीं बता रहे हैं.

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दिहाड़ी मजदूर हो रहे बेरोजगार: जोधपुर की कृषि मंडियों में माल की तुलाई और भराई का काम बाहर के मजदूर करते हैं जो ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं. चार दिन से मंडियों के बंद रहने से सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हैं. यह लोग मंडी में पालदारी कर अपना पेट पालते हैं, लेकिन अब परेशान हैं. मजदूर दिलीप यादव ने बताया कि अगर हड़ताल खत्म नहीं हुई, तो हमको पलायन करना पड़ेगा. उनकी मांग है कि डबल इंजन की सरकार को जल्दी निर्णय लेना चाहिए.

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