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पिछले साल आपदा में आए मलबे ने रोक रखा है नदी का रास्ता, तेजी से बढ़ रहा जलस्तर, 12 गांवों पर मंडराया खतरा! - Himachal Monsoon

Solan debris blocked river path: हिमाचल प्रदेश में पिछले साल आपदा में कई नदियों में मलबा भर गया. इसमे से सोलन जिले के नालागढ़ में कोयड़ी कुम्हारहट्टी में सड़क के बह जाने से इसका सारा मलबा नदी में जा गिरा. तब से लेकर अब तक नदी से मलबा साफ नहीं किया गया है. जिसके कारण नदी का रास्ता बंद है. वहीं, अब बारिश होने से नदी में तालाब बनता जा रहा है, लगातार बढ़ते जलस्तर से आसपास के कई गांवों पर खतरा मंडराने लगा है. पढ़िए पूरी खबर...

नालागढ़ में मलबे ने रोका नदी का रास्ता
नालागढ़ में मलबे ने रोका नदी का रास्ता (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 17, 2024, 1:27 PM IST

Updated : Jul 17, 2024, 3:08 PM IST

नालागढ़ में मलबे ने रोका नदी का रास्ता (ETV Bharat)

सोलन: हिमाचल प्रदेश में साल 2023 में आई आपदा अपने साथ करोड़ों की संपत्ति बहा ले गई तो कई लोगों के आशियाने टूट गए. वहीं, पांच सौ से अधिक लोगों की जिंदगी इस आपदा के भेंट चढ़ गई. आपदा को बीते एक साल का वक्त हो गया है. वहीं, एक बार फिर से मानसून ने दस्तक दे दी है. वहीं, इस मानसून सीजन में आपदा से निपटने को लेकर राज्य सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है. लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. आलम ये है कि पिछले साल नदियों में गिरे मलबे को हटाया तक नहीं गया है, जिसकी वजह से नदियों का जल स्तर बढ़ने से कई गांवों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है.

ये बात हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि सोलन जिले के नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र के कोयड़ी कुम्हारहट्टी में पिछली बरसात में सड़क ढहकर नदी में बह गई थी. जिसके बाद नई सड़क का निर्माण किया गया, लेकिन पिछले 1 साल से मलबा नहीं हटाए जाने के कारण नदी बंद पड़ी है और एक विशालकाय तालाब का रूप ले चुकी है, जो मानसून सीजन में आसपास के गांवों में तबाही ला सकता है. इस नदी के जलस्तर बढ़ने से आसपास क्षेत्र के लोग सहमे हुए हैं. क्योंकि अगर जलस्तर इसी तरह से बढ़ता रहा और नदी के पानी की निकासी न हुई कई गांवों के घरों को नुकसान हो सकता है.

पिछले साल मानसून में हुई भारी बारिश से टूट गई थी सड़क
पिछले साल मानसून में हुई भारी बारिश से टूट गई थी सड़क (ETV Bharat)

नदी के जलस्तर बढ़ने और बारिश होने की वजह से आसपास के गांवों के लोगों के खेत दलदल बन चुके हैं. जमीन लगातार खिसकती जा रही है और अब लोगों के घरों को भी खतरा बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इस बारे में प्रशासन को अवगत करा चुके हैं. स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल, पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह खुद मौके का निरीक्षण कर चुके हैं. लेकिन समस्या आज भी जस की तस बनी हुई ही है.

ग्रामीणों का कहना है अगर एक बारिश और होती है तो नदी में जलस्तर बढ़ जाएगा और मलबा टूटने की वजह से 10 से 12 गांव इसकी चपेट में आ सकते हैं. जिससे लाखों करोड़ों का नुकसान यहां पर देखने को मिल सकता है. यदि जलस्तर बढ़ा तो इस नदी में बने तालाब का पानी ताल, शीलनु पुल, सेरी चंडी, सल्लेवाल, नंगल, निचली सेरी और ऊपरी सेरी गांवों को नुकसान पहुंचा सकता है.

मलबा गिरने से नदी का जलस्तर बढ़ा
मलबा गिरने से नदी का जलस्तर बढ़ा (ETV Bharat)

ग्रामीणों का कहना कि वह प्रशासन और सरकार से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान कैसे होगा? इसके बारे में कोई ध्यान नहीं दे रहा है. नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. जमीन दलदल बन चुकी हैं. घरों को नुकसान हो रहा है. ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि इस समस्या की ओर ध्यान दिया जाए.

वहीं, इस बारे में ईटीवी भारत ने एसडीएम नालागढ़ दिव्यांशु सिंघल से बात की. एसडीएम ने कहा, "यह मामला उनके संज्ञान में लाया गया है. जल्द इसको लेकर कार्रवाई की जाएगी. संबंधित विभाग को पानी की निकासी के लिए आवश्यक आदेश दिए जाएंगे. ताकि पिछले साल की तरह इस बार आपदा में कोई नुकसान देखने को ना मिले".

नदी का जलस्तर बढ़ने से गांवों पर मंडराया खतरा
नदी का जलस्तर बढ़ने से गांवों पर मंडराया खतरा (ETV Bharat)

बता दें कि पिछली बार सोलन के दून विधानसभा क्षेत्र का साईं गांव में पहाड़ी में भूस्खलन होने के कारण अलर्ट पर आ चुका था. इसको लेकर प्रशासन ने उस गांव को खाली करवाया और आज वह गांव वीरान पड़ा है. ऐसे में इस बार इस तरह की स्थिति ना हो इसके लिए प्रशासन को अलर्ट रहने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें: मानसून ने दिया 'धोखा'! सूख गए 25 हजार सेब के पौधे, बागवानों को 12 करोड़ से अधिक का हुआ नुकसान

नालागढ़ में मलबे ने रोका नदी का रास्ता (ETV Bharat)

सोलन: हिमाचल प्रदेश में साल 2023 में आई आपदा अपने साथ करोड़ों की संपत्ति बहा ले गई तो कई लोगों के आशियाने टूट गए. वहीं, पांच सौ से अधिक लोगों की जिंदगी इस आपदा के भेंट चढ़ गई. आपदा को बीते एक साल का वक्त हो गया है. वहीं, एक बार फिर से मानसून ने दस्तक दे दी है. वहीं, इस मानसून सीजन में आपदा से निपटने को लेकर राज्य सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है. लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. आलम ये है कि पिछले साल नदियों में गिरे मलबे को हटाया तक नहीं गया है, जिसकी वजह से नदियों का जल स्तर बढ़ने से कई गांवों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है.

ये बात हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि सोलन जिले के नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र के कोयड़ी कुम्हारहट्टी में पिछली बरसात में सड़क ढहकर नदी में बह गई थी. जिसके बाद नई सड़क का निर्माण किया गया, लेकिन पिछले 1 साल से मलबा नहीं हटाए जाने के कारण नदी बंद पड़ी है और एक विशालकाय तालाब का रूप ले चुकी है, जो मानसून सीजन में आसपास के गांवों में तबाही ला सकता है. इस नदी के जलस्तर बढ़ने से आसपास क्षेत्र के लोग सहमे हुए हैं. क्योंकि अगर जलस्तर इसी तरह से बढ़ता रहा और नदी के पानी की निकासी न हुई कई गांवों के घरों को नुकसान हो सकता है.

पिछले साल मानसून में हुई भारी बारिश से टूट गई थी सड़क
पिछले साल मानसून में हुई भारी बारिश से टूट गई थी सड़क (ETV Bharat)

नदी के जलस्तर बढ़ने और बारिश होने की वजह से आसपास के गांवों के लोगों के खेत दलदल बन चुके हैं. जमीन लगातार खिसकती जा रही है और अब लोगों के घरों को भी खतरा बना हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इस बारे में प्रशासन को अवगत करा चुके हैं. स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल, पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह खुद मौके का निरीक्षण कर चुके हैं. लेकिन समस्या आज भी जस की तस बनी हुई ही है.

ग्रामीणों का कहना है अगर एक बारिश और होती है तो नदी में जलस्तर बढ़ जाएगा और मलबा टूटने की वजह से 10 से 12 गांव इसकी चपेट में आ सकते हैं. जिससे लाखों करोड़ों का नुकसान यहां पर देखने को मिल सकता है. यदि जलस्तर बढ़ा तो इस नदी में बने तालाब का पानी ताल, शीलनु पुल, सेरी चंडी, सल्लेवाल, नंगल, निचली सेरी और ऊपरी सेरी गांवों को नुकसान पहुंचा सकता है.

मलबा गिरने से नदी का जलस्तर बढ़ा
मलबा गिरने से नदी का जलस्तर बढ़ा (ETV Bharat)

ग्रामीणों का कहना कि वह प्रशासन और सरकार से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान कैसे होगा? इसके बारे में कोई ध्यान नहीं दे रहा है. नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. जमीन दलदल बन चुकी हैं. घरों को नुकसान हो रहा है. ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि इस समस्या की ओर ध्यान दिया जाए.

वहीं, इस बारे में ईटीवी भारत ने एसडीएम नालागढ़ दिव्यांशु सिंघल से बात की. एसडीएम ने कहा, "यह मामला उनके संज्ञान में लाया गया है. जल्द इसको लेकर कार्रवाई की जाएगी. संबंधित विभाग को पानी की निकासी के लिए आवश्यक आदेश दिए जाएंगे. ताकि पिछले साल की तरह इस बार आपदा में कोई नुकसान देखने को ना मिले".

नदी का जलस्तर बढ़ने से गांवों पर मंडराया खतरा
नदी का जलस्तर बढ़ने से गांवों पर मंडराया खतरा (ETV Bharat)

बता दें कि पिछली बार सोलन के दून विधानसभा क्षेत्र का साईं गांव में पहाड़ी में भूस्खलन होने के कारण अलर्ट पर आ चुका था. इसको लेकर प्रशासन ने उस गांव को खाली करवाया और आज वह गांव वीरान पड़ा है. ऐसे में इस बार इस तरह की स्थिति ना हो इसके लिए प्रशासन को अलर्ट रहने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें: मानसून ने दिया 'धोखा'! सूख गए 25 हजार सेब के पौधे, बागवानों को 12 करोड़ से अधिक का हुआ नुकसान

Last Updated : Jul 17, 2024, 3:08 PM IST
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