शिमला: आज बसंत पंचमी के मौके पर राजधानी शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में बुद्धि, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की भव्य पूजा की गई. इस अवसर पर मां सरस्वती की मूर्ति को सोलह श्रृंगार से सजाया गया. मंदिर में सुबह 8 बजे से मां की विशेष पूजा अर्चना शुरू कर दी गई. इस दौरान कमल के फूलों के साथ मां सरस्वती को पुष्पांजली अर्पित की गई और हवन किया गया.
इस मौके पर बड़ी संख्या में बच्चे मां सरस्वती का आर्शीवाद लेने के लिए कालीबाड़ी पहुंचे. विद्यार्थियों ने मां सरस्वती की पूजा के साथ किताब, कलम और वाद्य यंत्रों की भी पूजा की. इस दौरान विद्यार्थियों ने मां सरस्वती से उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद मांगा. इसके अतिरिक्त घर पर भी कई लोगों ने देवी सरस्वती की पूजा की और बच्चों ने किताबों और कलम का पूजन किया. कालीबाड़ी मंदिर में मां सरस्वती की पूजा के लिए सैकड़ों की तादाद में लोग मंदिर पहुंचे.
पूजा करने के लिए सबसे ज्यादा स्कूली बच्चे, महिलाएं और सैलानी मंदिर पहुंचे हुए थे. इसके अलावा शहर के तारा देवी, संकट मोचन, जाखू, राम मंदिर, लक्ष्मी नारायण सहित अन्य मंदिरों में बसंत पंचमी पर लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे. लोगों ने मां सरस्वती की पूजा कर सुख समृद्धि की कामना की.
कालीबाड़ी मंदिर के मुख्य पूजारी मुक्ति चक्रवर्ती ने बताया कि बसंत पंचमी का विशेष महत्व है. क्योंकि आज से बसंत ऋतु शुरू हो जाता है. आज से ही धीरे-धीरे धरती हरी भरी होने लगती है. सर्दियां खत्म होने लगता है और बसंत का आगमन शुरू हो जाता है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है.
मुक्ति चक्रवर्ती ने कहा शास्त्रों में उल्लेख है कि बसंत पंचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है. बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन मां शारदे की उपासना कर ज्ञान, बुद्धि और कला की कामना की जाती है. वहीं, बसंत पंचमी बसंत ऋतु के आगमन का भी पर्व है, इसलिए इसे ऋषि पंचमी भी कहा जाता है.
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