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मोहल्ला क्लिनिक में फर्जी मरीजों की जांच का खुलासा होने के बाद 90 प्रतिशत तक कम हुई टेस्ट की संख्या - tests reduced in Mohalla clinics

tests reduced by 90%in Mohalla clinics: दिल्ली की मोहल्ला क्लीनिक में पिछले साल मरीजों की जांच का घोटाला सामने आने के बाद रियलिटी चेक में ये बात सामने आई है कि यहां डॉक्टर अब बहुत कम मरीजों के लिए टेस्ट लिखते हैं. दिल्ली सरकार का कहना है कि मोहल्ला क्लिनिक्स के डॉक्टरों पर टेस्ट की संख्या कम करने का दबाव भी है. साथ ही और भी कई वजहों से टेस्ट की संख्या में कमी आई है.

जांच के घोटाले का खुलासा होने के बाद 90 प्रतिशत तक कम हुई टेस्ट की संख्या
जांच के घोटाले का खुलासा होने के बाद 90 प्रतिशत तक कम हुई टेस्ट की संख्या (ETV BHARAT REPORTER)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 14, 2024, 8:50 PM IST

जांच के घोटाले का खुलासा होने के बाद 90 प्रतिशत तक कम हुई टेस्ट की संख्या (ETV BHARAT REPORTER)

नई दिल्ली: दिल्ली की आम आदमी पार्टी के मोहल्ला क्लीनिक को केजरीवाल और आप द्वारा सुलभ स्वास्थ्य सेवा के लिए एक मॉडल के रूप में प्रचारित किया गया था. पिछले साल दिसंबर में फर्जी मरीजों पर नकली परीक्षण का मामला सामने आया था. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट से पता चला है कि निजी प्रयोगशालाओं द्वारा परीक्षणों के लिए आधार और मोबाइल नंबर लिंकिंग को अनिवार्य बना देने के बाद व्यक्तियों की संख्या और परीक्षणों में 90 फीसदी तक की गिरावट आई है. इससे जाहिर होता है कि अब तक किए गए परीक्षणों में कहीं न कहीं कोई गड़बड़ जरूर थी.

मोहल्ला क्लिनिक पर मौके पर मिली स्थिति
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के तथ्यों के अलावा मोहल्ला क्लिनिक पर इस बात का रियलिटी चेक करने के लिए ईटीवी भारत के रिपोर्टर राहुल चौहान पहुंचे. तीन से चार मोहल्ला क्लिनिक पर पहुंचने पर पता चला कि डॉक्टर महीने में छह से सात मरीजों के ही टेस्ट लिख रहे हैं. अधिकतर मरीजों को दवाई ही दी जा रही है.

जरूरत होने पर ही कराते हैं टेस्ट- मोहल्ला क्लिनिक डॉक्टर

मंडावली स्थित मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टर ने बताया कि हमारे पास मरीज बहुत छोटी मोटी परेशानी लेकर ही आते हैं. जिसमें टेस्ट कराने की जरूरत नहीं होती है. इसलिए उनके टेस्ट नहीं कराते हैं. अधिकतर मरीज पेट दर्द, सर्दी जुकाम, दस्त और उल्टी, खाना हजम न होने जैसी शिकायत लेकर आते हैं. इनमें टेस्ट की जरूरत नहीं होती है. मरीजों को दवाई ही दे देते हैं.

यहां आए मरीज ने भी माना पहले दी जाती है दवा

यहां डॉक्टर को दिखाने आए सुमित ने बताया कि मुझे खाना हजम नहीं हो रहा था. खाना खाते ही शौच जाने की आ रही थी नौबता. डॉक्टर को बताने पर उसे तीन दिन की दवाई दी गई है.

मोहल्ला क्लिनिक में डॉक्टर ने बताया मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं

इसी तरह चंद्र विहार स्थित मोहल्ला क्लिनिक पहुंचने पर वह बंद मिला. इसके अलावा रिपोर्टर ने स्कूल ब्लॉक स्थित मोहल्ला क्लिनिक में जाकर टेस्ट कराने को लेकर डॉक्टर से बात की तो उन्होंने कहा कि हमें मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं है आप सीडीएमओ ऑफिस से परमिशन लेटर लेकर आएं तभी हम आपसे बात करेंगे और टेस्ट के बारे में कोई जानकारी दे पाएंगे. इसी तरह पांडव नगर और कल्याणपुरी स्थित मोहल्ला क्लिनिकों में मौजूद स्टाफ में से भी किसी ने कोई भी जानकारी नहीं देते हुए यही कहा कि हमें मीडिया से बात करने की परमिशन नहीं है.

मोहल्ला क्लिनिक मरीजों ने मीडिया में बाइट देने से किया मना

इसके अलावा रिपोर्टर ने किशन कुंज स्थित मोहल्ला क्लिनिक में जाकर देखा तो वहां पर मौजूद चार मरीजों ने मीडिया में बाइट देने से मना करते हुए मोहल्ला क्लिनिकों में कई महीने से ओआरएस नहीं आने की शिकायत की. लोगों का कहना था कि इस समय गर्मी का सीजन है बच्चों और बड़ों को अधिकतर दस्त की शिकायत हो जाती है, जिसमें डॉक्टर ओआरएस का घोल पीने के लिए बताते हैं. लेकिन, जरूरत के समय ही मोहल्ला क्लिनिकों में ओआरएस की कमी बनी हुई है.

यहां मौजूद डॉक्टर रीना यादव ने बताया कि कुछ मरीज बाहर के डॉक्टर के द्वारा लिखे हुए टेस्ट भी मोहल्ला क्लिनिक में कराने आते हैं और कुछ मरीज ऐसे भी आते हैं जो खुद की मर्जी से ही टेस्ट कराने के लिए बोलने लगते हैं. लेकिन, हम इस तरह से मरीजों के कहने से या बाहर के डॉक्टर द्वारा टेस्ट लिखने से टेस्ट नहीं कराते हैं. हमें लगता है कि इस मरीज के टेस्ट होना जरूरी है तभी हम टेस्ट लिखते हैं और मरीज का सैंपल लेकर लैब को भेजते हैं.

क्या है स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में
बता दें कि दिल्ली सरकार ने लैब जांच सेवाओं को आउटसोर्स किया है. इसके लिए दो कंपनियों मेसर्स एगिलस डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड और मेसर्स मेट्रोपोलिस हेल्थ केयर लिमिटेड को काम दिया गया है. ये सेवा प्रदाता कंपनियां मोहल्ला क्लीनिकों में लैब परीक्षण प्रदान कर रही हैं. दिल्ली सरकार के औषधालय, अस्पताल और संबंधित पॉलीक्लिनिक से मरीजों के सैंपल लेकर एजिलस डायग्नोस्टिक्स और मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड भारत की दो प्रमुख डायग्नोस्टिक कंपनियों की लैब में भेजे जा रहे थे. जिसमें जनवरी माह में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था.

'घोटाला' सामने आने के तुरंत बाद परीक्षणों की संख्या में आई भारी गिरावट

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि फरवरी 2023 में, एजिलस डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड में परीक्षण किए गए रोगियों की संख्या 62,959 थी, जो फरवरी 2024 में तेजी से घटकर 7647 हो गई. यह 87.85 प्रतिशत की गिरावट है. मार्च 2023 में 80,511 मरीजों का परीक्षण किया गया जो 78.20 प्रतिशत घटकर 17,551 रह गया. अप्रैल 2023 में, 58,163 रोगियों का परीक्षण किया गया जो अप्रैल 2024 में 67.80 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ घटकर 18,727 रह गया. यह आंकड़ा 'घोटाला' सामने आने के तुरंत बाद किए गए परीक्षणों की संख्या में भारी गिरावट को भी दर्शाता है.

स्वास्थ्य सेवाओं पर चिंता जताते हुए उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा था पत्र

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले महीने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं पर चिंता जताई थी. दिल्ली सरकार के अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में आने वाले मरीजों के नाम पर किए जा रहे लैब परीक्षणों में भी गंभीर धोखाधड़ी पाई गई थी. यह सैकड़ों करोड़ रुपये के घोटाले का संकेत है. साथ ही, एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की जांच ने मामला और उलझा दिया. उनके प्रारंभिक निष्कर्षों ने नकली या हेरफेर किए गए परीक्षणों से जुड़े संभावित घोटाले का सुझाव दिया था.

टेस्ट कम होने के दिल्ली सरकार ने बताए ये कारण
मुख्य रूप से, निम्न आय वर्ग और मध्यम आय वर्ग के मरीज दिल्ली सरकार के मुहल्ला क्लीनिक की मुफ्त परीक्षण सेवाओं का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे थे. पहले भी जो मरीज एम्स, सफदरजंग अस्पताल और आरएमएल आदि जैसे केंद्रीय सरकार के अस्पतालों से परामर्श ले रहे थे, वे भी अस्पतालों द्वारा निर्धारित मुफ्त परीक्षणों के लिए मोहल्ला क्लीनिक का दौरा कर रहे थे. यहां तक कि वे मरीज़ जो निजी डॉक्टरों और बड़े अस्पतालों से परामर्श ले रहे थे, उन्हें मोहल्ला क्लीनिक की मुफ्त परीक्षण सेवाओं का उपयोग करना बहुत सुविधाजनक और विश्वसनीय लगता है और मोहल्ला क्लीनिक उनके घर के पास स्थित हैं.

ये भी पढ़ें : विभिन्न मोहल्ला क्लिनिक में 63 प्रतिशत लोगों के गए बिना ही बड़ी संख्या में लैब ने कर दी फर्जी जांच, जांच में मिले सबूत

कंपनियों को भुगतान न करने से प्राइवेट लैब की सेवाएं प्रभावित
हालांकि, कुछ महीने पहले, दिल्ली की निर्वाचित सरकार की जानकारी के बिना, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा कई मौखिक और लिखित आदेश दिए गए हैं कि यदि मरीज को मोहल्ला क्लिनिक के अलावा किसी अन्य डॉक्टर द्वारा रेफर किया जा रहा है तो ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया जाएगा. दूसरे, मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों पर टेस्ट की संख्या कम करने का काफी दबाव है. इसके अलावा इन कंपनियों को भुगतान न करने से प्राइवेट लैब की सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं. परीक्षणों की संख्या में कमी के ये प्राथमिक कारण प्रतीत होते हैं. स्वास्थ्य सचिव को डेटा का गहन विश्लेषण करने और इसके पीछे अन्य कारणों की पहचान करने के लिए कहा जाएगा.

ये भी पढ़ें : दिल्ली में उद्घाटन के इंतजार में कूड़ेदान बन रहा मोहल्ला क्लीनिक, RWA ने लगाया पोस्टर

जांच के घोटाले का खुलासा होने के बाद 90 प्रतिशत तक कम हुई टेस्ट की संख्या (ETV BHARAT REPORTER)

नई दिल्ली: दिल्ली की आम आदमी पार्टी के मोहल्ला क्लीनिक को केजरीवाल और आप द्वारा सुलभ स्वास्थ्य सेवा के लिए एक मॉडल के रूप में प्रचारित किया गया था. पिछले साल दिसंबर में फर्जी मरीजों पर नकली परीक्षण का मामला सामने आया था. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट से पता चला है कि निजी प्रयोगशालाओं द्वारा परीक्षणों के लिए आधार और मोबाइल नंबर लिंकिंग को अनिवार्य बना देने के बाद व्यक्तियों की संख्या और परीक्षणों में 90 फीसदी तक की गिरावट आई है. इससे जाहिर होता है कि अब तक किए गए परीक्षणों में कहीं न कहीं कोई गड़बड़ जरूर थी.

मोहल्ला क्लिनिक पर मौके पर मिली स्थिति
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के तथ्यों के अलावा मोहल्ला क्लिनिक पर इस बात का रियलिटी चेक करने के लिए ईटीवी भारत के रिपोर्टर राहुल चौहान पहुंचे. तीन से चार मोहल्ला क्लिनिक पर पहुंचने पर पता चला कि डॉक्टर महीने में छह से सात मरीजों के ही टेस्ट लिख रहे हैं. अधिकतर मरीजों को दवाई ही दी जा रही है.

जरूरत होने पर ही कराते हैं टेस्ट- मोहल्ला क्लिनिक डॉक्टर

मंडावली स्थित मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टर ने बताया कि हमारे पास मरीज बहुत छोटी मोटी परेशानी लेकर ही आते हैं. जिसमें टेस्ट कराने की जरूरत नहीं होती है. इसलिए उनके टेस्ट नहीं कराते हैं. अधिकतर मरीज पेट दर्द, सर्दी जुकाम, दस्त और उल्टी, खाना हजम न होने जैसी शिकायत लेकर आते हैं. इनमें टेस्ट की जरूरत नहीं होती है. मरीजों को दवाई ही दे देते हैं.

यहां आए मरीज ने भी माना पहले दी जाती है दवा

यहां डॉक्टर को दिखाने आए सुमित ने बताया कि मुझे खाना हजम नहीं हो रहा था. खाना खाते ही शौच जाने की आ रही थी नौबता. डॉक्टर को बताने पर उसे तीन दिन की दवाई दी गई है.

मोहल्ला क्लिनिक में डॉक्टर ने बताया मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं

इसी तरह चंद्र विहार स्थित मोहल्ला क्लिनिक पहुंचने पर वह बंद मिला. इसके अलावा रिपोर्टर ने स्कूल ब्लॉक स्थित मोहल्ला क्लिनिक में जाकर टेस्ट कराने को लेकर डॉक्टर से बात की तो उन्होंने कहा कि हमें मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं है आप सीडीएमओ ऑफिस से परमिशन लेटर लेकर आएं तभी हम आपसे बात करेंगे और टेस्ट के बारे में कोई जानकारी दे पाएंगे. इसी तरह पांडव नगर और कल्याणपुरी स्थित मोहल्ला क्लिनिकों में मौजूद स्टाफ में से भी किसी ने कोई भी जानकारी नहीं देते हुए यही कहा कि हमें मीडिया से बात करने की परमिशन नहीं है.

मोहल्ला क्लिनिक मरीजों ने मीडिया में बाइट देने से किया मना

इसके अलावा रिपोर्टर ने किशन कुंज स्थित मोहल्ला क्लिनिक में जाकर देखा तो वहां पर मौजूद चार मरीजों ने मीडिया में बाइट देने से मना करते हुए मोहल्ला क्लिनिकों में कई महीने से ओआरएस नहीं आने की शिकायत की. लोगों का कहना था कि इस समय गर्मी का सीजन है बच्चों और बड़ों को अधिकतर दस्त की शिकायत हो जाती है, जिसमें डॉक्टर ओआरएस का घोल पीने के लिए बताते हैं. लेकिन, जरूरत के समय ही मोहल्ला क्लिनिकों में ओआरएस की कमी बनी हुई है.

यहां मौजूद डॉक्टर रीना यादव ने बताया कि कुछ मरीज बाहर के डॉक्टर के द्वारा लिखे हुए टेस्ट भी मोहल्ला क्लिनिक में कराने आते हैं और कुछ मरीज ऐसे भी आते हैं जो खुद की मर्जी से ही टेस्ट कराने के लिए बोलने लगते हैं. लेकिन, हम इस तरह से मरीजों के कहने से या बाहर के डॉक्टर द्वारा टेस्ट लिखने से टेस्ट नहीं कराते हैं. हमें लगता है कि इस मरीज के टेस्ट होना जरूरी है तभी हम टेस्ट लिखते हैं और मरीज का सैंपल लेकर लैब को भेजते हैं.

क्या है स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में
बता दें कि दिल्ली सरकार ने लैब जांच सेवाओं को आउटसोर्स किया है. इसके लिए दो कंपनियों मेसर्स एगिलस डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड और मेसर्स मेट्रोपोलिस हेल्थ केयर लिमिटेड को काम दिया गया है. ये सेवा प्रदाता कंपनियां मोहल्ला क्लीनिकों में लैब परीक्षण प्रदान कर रही हैं. दिल्ली सरकार के औषधालय, अस्पताल और संबंधित पॉलीक्लिनिक से मरीजों के सैंपल लेकर एजिलस डायग्नोस्टिक्स और मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड भारत की दो प्रमुख डायग्नोस्टिक कंपनियों की लैब में भेजे जा रहे थे. जिसमें जनवरी माह में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था.

'घोटाला' सामने आने के तुरंत बाद परीक्षणों की संख्या में आई भारी गिरावट

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि फरवरी 2023 में, एजिलस डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड में परीक्षण किए गए रोगियों की संख्या 62,959 थी, जो फरवरी 2024 में तेजी से घटकर 7647 हो गई. यह 87.85 प्रतिशत की गिरावट है. मार्च 2023 में 80,511 मरीजों का परीक्षण किया गया जो 78.20 प्रतिशत घटकर 17,551 रह गया. अप्रैल 2023 में, 58,163 रोगियों का परीक्षण किया गया जो अप्रैल 2024 में 67.80 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ घटकर 18,727 रह गया. यह आंकड़ा 'घोटाला' सामने आने के तुरंत बाद किए गए परीक्षणों की संख्या में भारी गिरावट को भी दर्शाता है.

स्वास्थ्य सेवाओं पर चिंता जताते हुए उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा था पत्र

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले महीने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं पर चिंता जताई थी. दिल्ली सरकार के अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में आने वाले मरीजों के नाम पर किए जा रहे लैब परीक्षणों में भी गंभीर धोखाधड़ी पाई गई थी. यह सैकड़ों करोड़ रुपये के घोटाले का संकेत है. साथ ही, एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की जांच ने मामला और उलझा दिया. उनके प्रारंभिक निष्कर्षों ने नकली या हेरफेर किए गए परीक्षणों से जुड़े संभावित घोटाले का सुझाव दिया था.

टेस्ट कम होने के दिल्ली सरकार ने बताए ये कारण
मुख्य रूप से, निम्न आय वर्ग और मध्यम आय वर्ग के मरीज दिल्ली सरकार के मुहल्ला क्लीनिक की मुफ्त परीक्षण सेवाओं का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे थे. पहले भी जो मरीज एम्स, सफदरजंग अस्पताल और आरएमएल आदि जैसे केंद्रीय सरकार के अस्पतालों से परामर्श ले रहे थे, वे भी अस्पतालों द्वारा निर्धारित मुफ्त परीक्षणों के लिए मोहल्ला क्लीनिक का दौरा कर रहे थे. यहां तक कि वे मरीज़ जो निजी डॉक्टरों और बड़े अस्पतालों से परामर्श ले रहे थे, उन्हें मोहल्ला क्लीनिक की मुफ्त परीक्षण सेवाओं का उपयोग करना बहुत सुविधाजनक और विश्वसनीय लगता है और मोहल्ला क्लीनिक उनके घर के पास स्थित हैं.

ये भी पढ़ें : विभिन्न मोहल्ला क्लिनिक में 63 प्रतिशत लोगों के गए बिना ही बड़ी संख्या में लैब ने कर दी फर्जी जांच, जांच में मिले सबूत

कंपनियों को भुगतान न करने से प्राइवेट लैब की सेवाएं प्रभावित
हालांकि, कुछ महीने पहले, दिल्ली की निर्वाचित सरकार की जानकारी के बिना, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा कई मौखिक और लिखित आदेश दिए गए हैं कि यदि मरीज को मोहल्ला क्लिनिक के अलावा किसी अन्य डॉक्टर द्वारा रेफर किया जा रहा है तो ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया जाएगा. दूसरे, मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों पर टेस्ट की संख्या कम करने का काफी दबाव है. इसके अलावा इन कंपनियों को भुगतान न करने से प्राइवेट लैब की सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं. परीक्षणों की संख्या में कमी के ये प्राथमिक कारण प्रतीत होते हैं. स्वास्थ्य सचिव को डेटा का गहन विश्लेषण करने और इसके पीछे अन्य कारणों की पहचान करने के लिए कहा जाएगा.

ये भी पढ़ें : दिल्ली में उद्घाटन के इंतजार में कूड़ेदान बन रहा मोहल्ला क्लीनिक, RWA ने लगाया पोस्टर

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