बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव की तैयारी राजनीतिक दल कर रहे हैं. प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में इस बार मुकाबला कांटे का होगा.विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी पूरी सीटें जीतने का दावा कर रही है.वहीं कांग्रेस विधानसभा चुनाव की हार को भूलकर अब लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर मुकाबला करने को तैयार है.इन सब के बीच ईटीवी भारत आपके लिए हर लोकसभा सीट की जानकारी लेकर आया है.इस कड़ी में आज हम बात करेंगे बिलासपुर लोकसभा सीट की.जहां हर बार बीजेपी ने मुंगेली जिले से उम्मीदवार खड़ा किया.जबकि कांग्रेस उम्मीदवार का हर बार चुनाव बिलासपुर जिले से हुआ.
छह बार बीजेपी ने मुंगेली जिले से बनाया प्रत्याशी : बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र दो जिलों से मिलकर बना है. पहला बिलासपुर और दूसरा मुंगेली. इस लोकसभा क्षेत्र में गौरेला पेंड्रा मरवाही का कुछ हिस्सा भी लगता है. राज्य बनने के बाद जितने भी लोकसभा चुनाव हुए उनमें बीजेपी ने मुंगेली जिले से ही अपना उम्मीदवार खड़ा किया है. 1991 के बाद हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी मुंगेली से बनाया.जिसमें 6 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है.
मुंगेली जिले के नेता पहुंचे संसद : मुंगेली जिले से विधायक पुन्नूलाल मोहिले तीन बार लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने.इसके बाद मुंगेली के लखनलाल साहू को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया.लखनलाल भी चुनाव जीते.वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार अरुण साव बने.अरुण साव ने भी चुनाव जीता.इसके बाद विधानसभा में विधायक बनकर सांसद पद से इस्तीफा दिया. मौजूदा समय में अरुण साव प्रदेश के डिप्टी सीएम हैं. छह बार लगातार लोकसभा चुनाव मुंगेली के उम्मीदवारों ने जीता है. यही वजह है कि इस बार भी मुंगेली जिले से ही किसी सदस्य को बीजेपी टिकट दे सकती है.
क्यों मुंगेली से ही बीजेपी ने बनाएं प्रत्याशी ?: राजनीति के जानकार कमलेश शर्मा का कहना है कि बीजेपी 1992 से लेकर अब तक जिन नेताओं को लोकसभा की टिकट दिया है, उनमें खेलन राम जांगड़े, पुन्नू लाल मोहले, लखनलाल साहू और अरुण साव, ये सभी मुंगेली जिले से आते हैं . मुंगेली जिले में सबसे ज्यादा बीजेपी सपोर्टर हैं. साथ ही साथ मुंगेली से उम्मीदवार बनाने का फायदा ये होता है कि वोटर्स अपने जिले के ही उम्मीदवार को वोट करते हैं.जबकि कांग्रेस 6 बार से बिलासपुर से उम्मीदवार खड़ा कर रही है.जिसमें उसे सफलता नहीं मिली.
''मुंगेली के मतदाता एकतरफा वोट कर बीजेपी को जीत दिलाते हैं.मुंगेली जिले में लोगों के अंदर क्षेत्रीयता को लेकर भी एक सोच रहती है .इसी सोच की वजह से मुंगेली के मतदाता बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट करते हैं. '' कमलेश शर्मा, राजनीति के जानकार
जातिगत समीकरण बनता है जीत का कारण : राजनीति के जानकार दिलीप यादव के मुताबिक जातिगत समीकरण भी जीत का कारण बनता है. दो चुनाव पहले बिलासपुर लोकसभा आरक्षित सीट थी. एससी कोटे के उम्मीदवार चुनाव लड़ते रहे हैं. इसके अलावा एससी कोटे का उम्मीदवार होने और मुंगेली जिले में एससी समाज की बहुलता भी जीत का एक कारण बनती रही है. इसके अलावा पुन्नूलाल मोहले के बाद पिछले दो चुनाव में बिलासपुर लोकसभा सीट सामान्य सीट हो गई . सामान्य सीट होने के बावजूद भी बीजेपी पिछड़े वर्ग से आने वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का मौका देती है. इससे भी बिलासपुर और मुंगेली जिले में पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. यही वजह है कि बीजेपी लगातार पिछले 6 चुनाव में बिलासपुर लोकसभा सीट अपने कब्जे में कर रही है.