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उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल की रफ्तार रोक रही चट्टानें, निर्माण कार्य हुआ धीमा, जानिये वजह - Uttarkashi Silkyara Tunnel

Silkyara Tunnel Construction Work, Uttarkashi Silkyara Tunnel उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल निर्माण कार्य में परेशानी आ रही है. यहां चट्टानें सुरंग निर्माण कार्य की रफ्तार को रोक रही हैं.

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उत्तरकाशी सिल्क्यारा टनल की रफ्तार रोक रही चट्टानें
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 6, 2024, 5:01 PM IST

Updated : Mar 6, 2024, 5:28 PM IST

उत्तरकाशी: चट्टानों की प्रकृति बड़कोट से निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के निर्माण की रफ्तार रोक रही हैं. सुरंग निर्माण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अवसादी चट्टानों की प्रकृति कुछ ऐसी है कि बड़कोट छोर से सुरंग निर्माण को ज्यादा तेजी से अंजाम दे पाना संभव नहीं है. इसकी अपेक्षा सिलक्यारा छोर से सुरंग की खुदाई ज्यादा आसान है. भूस्खलन के मलबे और रिसाव से सुरंंग में जमा पानी के बाहर नहीं निकाले जाने के चलते सिलक्यारा छोर से सुरंग निर्माण का काम फिलहाल रोका गया है.

बता दें पिछले साल नवंबर महीने में टनल हादसे के बाद से यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग में सिलक्यारा छोर से निर्माण कार्य पूरी तरह बंद है. हादसे के बाद सुरंग के बड़कोट छोर से हल्का-फुल्का निर्माण चल रहा है, लेकिन इसे वैसी गति नहीं मिल पा रही है कि जिसकी उम्मीद की जा रही थी. इसके पीछे निर्माण से जुड़े अधिकारियों का तर्क है कि सिलक्यारा-बड़कोट में जिस पहाड़ी में साढ़े चार किमी लंबी सुरंग का निर्माण हो रहा है, उसमें अवसादी चट्टानों की प्रकृति ऐसी है कि यह उत्तर की तरफ बड़कोट की ओर चट्टानें डिप कर रही हैं. जिसके कारण जब बड़कोट की ओर से सुरंग की खुदाई की जाती है तो वहां चट्टान सीधे सिर के ऊपर गिरने का खतरा रहता है. ऐसे में वहां बहुत ज्यादा संभल कर काम करना पड़ता है. यही वजह है कि जहां बड़कोट से सुरंग की करीब 1714 मीटर तक खुदाई हुई है, दक्षिण वाले सिलक्यारा छोर से यह 2340 मीटर तक खोदा जा चुका है. हादसे के बाद बड़कोट छोर से मात्र 8 मीटर ही खुदाई हो पाई है.

एनएचआईडीसीएल महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने कहाबड़कोट की ओर से सुरंग की खुदाई को तेज गति से अंजाम दे पाना संभव नहीं है. उत्तर में बड़कोट की ओर अवसादी चट्टानों की परतें डिप कर रही हैं. जिस तरफ चट्टानें डिप करती हैं उस तरफ खुदाई आसान नहीं होती है. इसी कारण बड़कोट छोर से खुदाई करते समय बोल्डर सीधे सिर पर गिरने का खतरा बना रहता है.

क्या होता है डिप: डिप उस क्षैतिज तल और झुकी हुई सतह (जैसे कि झुकी हुई परतों के बीच एक भूगर्भिक संपर्क) के बीच का कोण है, जो झुकी हुई सतह के नीचे स्ट्राइक लाइन के लंबवत मापा जाता है. सिलक्यारा में जो चट्टानें हैं, वह अवसादी चट्टानों की परतों से बनी हैं. भूगर्भ में इंडियन प्लेट तिब्बत की प्लेट से टकरा कर उसके नीचे घुस गई हैं. उसकी वजह से उत्तर में डिपिंग है. बड़कोट के उत्तर में होने से खुदाई आसान नहीं होती है.

पढे़ं- एनएचआईडीसीएल के एमडी और ईडी ने लिया सिलक्यारा सुरंग का जायजा, हादसे के बाद से बंद है निर्माण

उत्तरकाशी: चट्टानों की प्रकृति बड़कोट से निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के निर्माण की रफ्तार रोक रही हैं. सुरंग निर्माण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अवसादी चट्टानों की प्रकृति कुछ ऐसी है कि बड़कोट छोर से सुरंग निर्माण को ज्यादा तेजी से अंजाम दे पाना संभव नहीं है. इसकी अपेक्षा सिलक्यारा छोर से सुरंग की खुदाई ज्यादा आसान है. भूस्खलन के मलबे और रिसाव से सुरंंग में जमा पानी के बाहर नहीं निकाले जाने के चलते सिलक्यारा छोर से सुरंग निर्माण का काम फिलहाल रोका गया है.

बता दें पिछले साल नवंबर महीने में टनल हादसे के बाद से यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग में सिलक्यारा छोर से निर्माण कार्य पूरी तरह बंद है. हादसे के बाद सुरंग के बड़कोट छोर से हल्का-फुल्का निर्माण चल रहा है, लेकिन इसे वैसी गति नहीं मिल पा रही है कि जिसकी उम्मीद की जा रही थी. इसके पीछे निर्माण से जुड़े अधिकारियों का तर्क है कि सिलक्यारा-बड़कोट में जिस पहाड़ी में साढ़े चार किमी लंबी सुरंग का निर्माण हो रहा है, उसमें अवसादी चट्टानों की प्रकृति ऐसी है कि यह उत्तर की तरफ बड़कोट की ओर चट्टानें डिप कर रही हैं. जिसके कारण जब बड़कोट की ओर से सुरंग की खुदाई की जाती है तो वहां चट्टान सीधे सिर के ऊपर गिरने का खतरा रहता है. ऐसे में वहां बहुत ज्यादा संभल कर काम करना पड़ता है. यही वजह है कि जहां बड़कोट से सुरंग की करीब 1714 मीटर तक खुदाई हुई है, दक्षिण वाले सिलक्यारा छोर से यह 2340 मीटर तक खोदा जा चुका है. हादसे के बाद बड़कोट छोर से मात्र 8 मीटर ही खुदाई हो पाई है.

एनएचआईडीसीएल महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने कहाबड़कोट की ओर से सुरंग की खुदाई को तेज गति से अंजाम दे पाना संभव नहीं है. उत्तर में बड़कोट की ओर अवसादी चट्टानों की परतें डिप कर रही हैं. जिस तरफ चट्टानें डिप करती हैं उस तरफ खुदाई आसान नहीं होती है. इसी कारण बड़कोट छोर से खुदाई करते समय बोल्डर सीधे सिर पर गिरने का खतरा बना रहता है.

क्या होता है डिप: डिप उस क्षैतिज तल और झुकी हुई सतह (जैसे कि झुकी हुई परतों के बीच एक भूगर्भिक संपर्क) के बीच का कोण है, जो झुकी हुई सतह के नीचे स्ट्राइक लाइन के लंबवत मापा जाता है. सिलक्यारा में जो चट्टानें हैं, वह अवसादी चट्टानों की परतों से बनी हैं. भूगर्भ में इंडियन प्लेट तिब्बत की प्लेट से टकरा कर उसके नीचे घुस गई हैं. उसकी वजह से उत्तर में डिपिंग है. बड़कोट के उत्तर में होने से खुदाई आसान नहीं होती है.

पढे़ं- एनएचआईडीसीएल के एमडी और ईडी ने लिया सिलक्यारा सुरंग का जायजा, हादसे के बाद से बंद है निर्माण

Last Updated : Mar 6, 2024, 5:28 PM IST
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