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हाईकोर्ट ने स्कूल के लिए आवंटित जमीन के बेचान के खिलाफ जनहित याचिका की खारिज - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल के लिए जमीन आवंटन से जुड़ी जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

COURT DISMISSES PIL,  PIL AGAINST SALE OF LAND
राजस्थान हाईकोर्ट . (ETV Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 29, 2024, 7:51 PM IST

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर में करीब दस हजार वर्गमीटर जमीन का स्कूल को हुए आवंटन में से कुछ जमीन बेचने के मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने यह आदेश अंबेडकर नगर विकास समिति व अन्य की ओर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक प्रकरण लंबित हैं और उसकी जानकारी अदालत में नहीं दी गई. इसके अलावा ऐसे व्यक्ति जनहित याचिका दायर नहीं कर सकते. अदालत ने करीब नौ माह पहले याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था. जनहित याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी ने अदालत को बताया कि अलवर में करीब दस हजार वर्ग मीटर जमीन का स्कूल के लिए आवंटन वोकेशनल एजुकेशन ट्रस्ट को हुआ था. ट्रस्ट ने यूआईटी में आवेदन कर इसका विभाजन करा लिया और एक हिस्सा पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल की पार्टनरशिप फर्म दिव्या इन्फोटेक को बेच दिया.

पढ़ेंः हाईकोर्ट ने कोटा बार चुनाव नहीं कराने के खिलाफ दायर याचिका की खारिज

वहीं, फर्म ने यहां मुख्यमंत्री आवास योजना के लिए मंजूरी मांग ली. याचिका में कहा गया कि स्कूल के लिए आवंटित भूमि का दूसरा उपयोग नहीं जा सकता. इसका विरोध करते हुए ट्रस्ट की ओर से अधिवक्ता शोभित तिवाड़ी ने कहा कि अदालत को याचिका की मेरिट पर जाने से पहले याचिकाकर्ताओं का आचरण देखना चाहिए. एक याचिकाकर्ता नीलेश खंडेलवाल ने वर्ष 2014 में सिंघल के खिलाफ एमएलए का चुनाव लड़ा था और उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं, जबकि अन्य याचिकाकर्ता हेमंत कुमार व अन्य के खिलाफ भी आपराधिक मामले हैं. जनहित याचिका की आड़ में ब्लैकमेलिंग, राजनीतिक हित और व्यक्तिगत हित साधे जा रहे हैं. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने जनहित याचिका को हर्जाने के साथ खारिज कर दिया है.

जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर में करीब दस हजार वर्गमीटर जमीन का स्कूल को हुए आवंटन में से कुछ जमीन बेचने के मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने यह आदेश अंबेडकर नगर विकास समिति व अन्य की ओर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक प्रकरण लंबित हैं और उसकी जानकारी अदालत में नहीं दी गई. इसके अलावा ऐसे व्यक्ति जनहित याचिका दायर नहीं कर सकते. अदालत ने करीब नौ माह पहले याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था. जनहित याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी ने अदालत को बताया कि अलवर में करीब दस हजार वर्ग मीटर जमीन का स्कूल के लिए आवंटन वोकेशनल एजुकेशन ट्रस्ट को हुआ था. ट्रस्ट ने यूआईटी में आवेदन कर इसका विभाजन करा लिया और एक हिस्सा पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल की पार्टनरशिप फर्म दिव्या इन्फोटेक को बेच दिया.

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वहीं, फर्म ने यहां मुख्यमंत्री आवास योजना के लिए मंजूरी मांग ली. याचिका में कहा गया कि स्कूल के लिए आवंटित भूमि का दूसरा उपयोग नहीं जा सकता. इसका विरोध करते हुए ट्रस्ट की ओर से अधिवक्ता शोभित तिवाड़ी ने कहा कि अदालत को याचिका की मेरिट पर जाने से पहले याचिकाकर्ताओं का आचरण देखना चाहिए. एक याचिकाकर्ता नीलेश खंडेलवाल ने वर्ष 2014 में सिंघल के खिलाफ एमएलए का चुनाव लड़ा था और उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं, जबकि अन्य याचिकाकर्ता हेमंत कुमार व अन्य के खिलाफ भी आपराधिक मामले हैं. जनहित याचिका की आड़ में ब्लैकमेलिंग, राजनीतिक हित और व्यक्तिगत हित साधे जा रहे हैं. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने जनहित याचिका को हर्जाने के साथ खारिज कर दिया है.

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