जयपुर : प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर एक बार फिर राजस्थान में सियासी बयान बाजी तेज हो गई है. सोशल मीडिया के जरिए पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया तो बुधवार देर रात को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने पलटवार किया. राठौड़ ने पार्टी मुख्यालय लर मीडिया से बात करते हुए कहा कि पूर्व सीएम अशोक गहलोत घड़ियाली आंसू बहाना बंद करें. उनके राज्य में पुलिस मजबूर थी, आज पुलिस मजबूत है. कानूनी व्यवस्था का पालन कैसे किया जाना चाहिए, उन्हें हमारी सरकार से सीखना चाहिए. जहां तक लोकतंत्र की बात है तो पूर्व सीएम को पहले अपने शिष्य को समझाना चाहिए ताकि सदन का गतिरोध टूटे.
लोकतंत्र शर्मसार हुआ : भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि जब अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे, तब उनकी अपने उपमुख्यमंत्री से लड़ाई चलती रहती थी. आपसी लड़ाई में विधायक होटलों में रहे, उन्हें तो सरकार चलाने का समय ही कब मिला. उन्होंने आरोप लगाया कि माफियाओं को पनपाने का काम गहलोत सरकार ने किया. भाजपा सरकार ने तो माफियाओं पर लगाम लगाकर अपराध को रोकने का काम किया है. कांग्रेस विधानसभा में हर दिन नया विवाद खड़ा करना चाहती है. सदन में बजट प्रस्तुत होने के बाद कांग्रेस ने खासकर इनके प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जो वातावरण बनाया है, उससे लोकतंत्र शर्मसार हुआ है.
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नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली असहाय : राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस पूरे प्रकरण में राजनीति कर रही है. गोविंद सिंह डोटासरा सदन को चलने नहीं देना चाहते हैं. सदन को हाईजैक करना चाहते हैं, जो संभव नहीं है. वे नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को भी बोलने का मौका नहीं देते हैं. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली असहाय दिख रहे हैं. सदन लोकतांत्रिक व्यवस्था से ही चलेगा. सबसे बड़ी बात तो यही है कि डोटासरा विधानसभा अध्यक्ष के आसन तक पहुंचे, उन्होंने वहां पहुंचकर जो आचरण किया उससे सदन की गरीमा को ठेस पहुंची है. डोटासरा ने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिन्हें दोहराना भी उचित नहीं हैं.
गहलोत सुर्खियां बटोरने का काम कर रहे हैं : मदन राठौड़ ने कहा कि अशोक गहलोत सदन में आते ही नहीं हैं, लेकिन अब विधानसभा गतिरोध मामले में अचानक आकर सुर्खियां बटोरने का काम कर रहे हैं. डोटासरा ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी बात नहीं मानी, जबकि गहलोत को अपने चहेते व्यक्ति डोटासरा को अच्छे से समझाना चाहिए था. गहलोत और विधानसभा स्पीकर के मकान में ज्यादा दूरी नहीं है, वो खुद जाकर भी स्पीकर से माफी मांग सकते थे. उन्होंने भी सदन का सम्मान नहीं किया. डोटासरा भी पहले तो विधानसभा अध्यक्ष के ऑफिस में वादा करके आए, लेकिन सदन में बदल गए और खेद प्रकट नहीं करके वादा खिलाफी की. कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए और सदन को चलाने में सहयोग करना चाहिए.
सदन की गरिमा को तार-तार किया : मदन राठौड़ ने कहा कि सदन और आसन का सम्मान करते हुए नियमों का पालन करना एक व्यवस्था होती है, इसलिए कांग्रेस नेताओं को सदन की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने सदन और सदन के बाहर भी ऐसे शब्दों का उपयोग किया जो गरिमापूर्ण नहीं थे. डोटासरा ने सदन की गरिमा को तार-तार किया है. संविधान की रक्षा का नाटक करने वाले लोगों ने संविधान और सदन का मजाक बनाया है. कांग्रेस संविधान का पालन नहीं करती है बल्कि इसे अपनी जेब में रखती है. विधानसभा अध्यक्ष का भावुक होना अपने आप में बहुत बड़ा संदेश है. डोटासरा इसे भांप चुके हैं कि उनके शब्द सही नहीं थे. अब इसी झल्लाहट में वे अपनी बातों से मुकरते जा रहे हैं.
अपराध चरम पर था : मदन राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार के समय प्रदेश में अपराध चरम पर था, लेकिन भजनलाल सरकार ने आते ही अपराध पर लगाम लगाने का काम किया है. हमारी सरकार ने तत्काल अपराध पर नियंत्रण किया है और अपराधियों को जेल की हवा खिलाई है. कांग्रेस राज्य में अपराधियों में को डर नहीं था, लेकिन आज अपराधी इस कदर डरे हुए हैं कि वह अन्य राज्यों में चले गए हैं. आज जब प्रदेश शांतिपूर्ण वातावरण में जीवन यापन कर रहा है तो उसे समय पूर्व सीएम अशोक गहलोत अनर्गल बयानबाजी करके माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस सरकार ने प्रदेश की बहन बेटियों, व्यापारियों, किसान, आमजन को कभी सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई वह आज कानून व्यवस्था की दुहाई दे रहे है.