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निर्जला एकादशी आज, इस बार बन रहे शुभ योग, भूलकर भी ना करें ये काम - Nirjala Ekadashi 2024

Nirjala Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एक हिंदू वर्ष में 24 एकादशी आती हैं. अधिक मास वाले हिंदू वर्ष में 26 एकादशी आती हैं. जिनका अपने आप में विशेष महत्व होता है. सभी एकादशी में से निर्जला एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. जो इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाएगा.

Nirjala Ekadashi 2024
Nirjala Ekadashi 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jun 15, 2024, 2:26 PM IST

Updated : Jun 18, 2024, 12:10 PM IST

करनाल: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. जिसे उनका आशीर्वाद जातक के परिवार पर बना रहता है और घर में सुख समृद्धि आती है. निर्जला एकादशी के दिन लोगों को जल पिलाने का भी विशेष महत्व बताया गया है. जिसे पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कि कब है निर्जला एकादशी और व्रत का विधि विधान क्या है.

कब है निर्जला एकादशी? पंडित विश्वनाथ ने बताया कि इस बार लोगों में असमंजस की स्थिति है कि निर्जला एकादशी का व्रत किस दिन रखा जाएगा. इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून के दिन रखा जाएगा और इसका पारण अगले दिन 19 जून को किया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी 18 जून को सुबह 4:45 से शुरू हो रही है जबकि इसका समापन 19 जून को सुबह 6:24 पर होगा.

निर्जला एकादशी के दिन बन रहे शुभ योग: पंडित ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार निर्जला एकादशी के व्रत के दिन कई शुभ योग बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. जो एकादशी के व्रत करने वाले जातकों के लिए काफी अच्छे माने जा रहे हैं. एकादशी के दिन 18 जून को पुष्कर योग बन रहा है. जो दोपहर 3:56 से शुरू होकर 19 जून को सुबह 5:24 तक रहेगा. शिवयोग 18 तारीख को सुबह से लेकर रात के 9:39 तक रहेगा, जबकि स्वाति नक्षत्र योग सुबह से लेकर दोपहर 3:56 तक रहेगा.

निर्जला एकादशी का महत्व और पूजा का विधि विधान: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि निर्जला एकादशी का व्रत सबसे ज्यादा कठिन व्रत होता है. क्योंकि इस व्रत को निर्जला व्रत के रूप में रखा जाता है. जिसमें व्रत रखने वाला जातक जल तक ग्रहण नहीं करता. निर्जला एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें, उसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाकर पूजा अर्चना करें, उनको पीले रंग के फल, फूल, मिठाई, वस्त्र, अक्षत और चंदन पूजा के दौरान अर्पित करें, उसके बाद व्रत रखने का प्रण लें, निर्जला एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इस दिन जातक व्रत के दौरान जल की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करता.

भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व: व्रत रखने के बाद जातक दिन में एकादशी व्रत की कथा करें और भगवान हरि के लिए कीर्तन या विष्णु पुराण पढ़ें, शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करने के उपरांत गरीबों व ब्राह्मण को भोजन दें और अपनी इच्छा अनुसार दान दक्षिणा दें. निर्जला एकादशी के दिन ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक लोगों को जल पिलाता है और दान करता है. उनको कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

एकादशी के दिन ना करें ये काम: पंडित ने बताया कि कुछ ऐसे काम होते हैं. जिनको करने की एकादशी के दिन मनाही होती है. शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी के दिन चावल व नमक का सेवन नहीं करना चाहिए, जिस दिन भूलकर भी तुलसी को स्पर्श ना करें, ना ही उसको जल अर्पित करें, माना जाता है कि तुलसी इस दिन व्रत रखती है, एकादशी के दिन मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और बेड पर सोने की बजाय जमीन पर सोना चाहिए. एकादशी के दिन नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए.

पंडित विश्वनाथ ने बताया कि एकादशी के दिन दान करने का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है. इसमें जल, अन्न और छाते का दान किया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी के व्रत वाले दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करके उन की पूजा करना बहुत लाभकारी होता है.

ये भी पढ़ें- 16 जून को है गंगा दशहरा त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व - Ganga Dussehra Festival 2024

करनाल: हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. जिसे उनका आशीर्वाद जातक के परिवार पर बना रहता है और घर में सुख समृद्धि आती है. निर्जला एकादशी के दिन लोगों को जल पिलाने का भी विशेष महत्व बताया गया है. जिसे पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कि कब है निर्जला एकादशी और व्रत का विधि विधान क्या है.

कब है निर्जला एकादशी? पंडित विश्वनाथ ने बताया कि इस बार लोगों में असमंजस की स्थिति है कि निर्जला एकादशी का व्रत किस दिन रखा जाएगा. इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून के दिन रखा जाएगा और इसका पारण अगले दिन 19 जून को किया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी 18 जून को सुबह 4:45 से शुरू हो रही है जबकि इसका समापन 19 जून को सुबह 6:24 पर होगा.

निर्जला एकादशी के दिन बन रहे शुभ योग: पंडित ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार निर्जला एकादशी के व्रत के दिन कई शुभ योग बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. जो एकादशी के व्रत करने वाले जातकों के लिए काफी अच्छे माने जा रहे हैं. एकादशी के दिन 18 जून को पुष्कर योग बन रहा है. जो दोपहर 3:56 से शुरू होकर 19 जून को सुबह 5:24 तक रहेगा. शिवयोग 18 तारीख को सुबह से लेकर रात के 9:39 तक रहेगा, जबकि स्वाति नक्षत्र योग सुबह से लेकर दोपहर 3:56 तक रहेगा.

निर्जला एकादशी का महत्व और पूजा का विधि विधान: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि निर्जला एकादशी का व्रत सबसे ज्यादा कठिन व्रत होता है. क्योंकि इस व्रत को निर्जला व्रत के रूप में रखा जाता है. जिसमें व्रत रखने वाला जातक जल तक ग्रहण नहीं करता. निर्जला एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें, उसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाकर पूजा अर्चना करें, उनको पीले रंग के फल, फूल, मिठाई, वस्त्र, अक्षत और चंदन पूजा के दौरान अर्पित करें, उसके बाद व्रत रखने का प्रण लें, निर्जला एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इस दिन जातक व्रत के दौरान जल की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करता.

भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व: व्रत रखने के बाद जातक दिन में एकादशी व्रत की कथा करें और भगवान हरि के लिए कीर्तन या विष्णु पुराण पढ़ें, शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करने के उपरांत गरीबों व ब्राह्मण को भोजन दें और अपनी इच्छा अनुसार दान दक्षिणा दें. निर्जला एकादशी के दिन ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक लोगों को जल पिलाता है और दान करता है. उनको कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

एकादशी के दिन ना करें ये काम: पंडित ने बताया कि कुछ ऐसे काम होते हैं. जिनको करने की एकादशी के दिन मनाही होती है. शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी के दिन चावल व नमक का सेवन नहीं करना चाहिए, जिस दिन भूलकर भी तुलसी को स्पर्श ना करें, ना ही उसको जल अर्पित करें, माना जाता है कि तुलसी इस दिन व्रत रखती है, एकादशी के दिन मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और बेड पर सोने की बजाय जमीन पर सोना चाहिए. एकादशी के दिन नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए.

पंडित विश्वनाथ ने बताया कि एकादशी के दिन दान करने का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है. इसमें जल, अन्न और छाते का दान किया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी के व्रत वाले दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करके उन की पूजा करना बहुत लाभकारी होता है.

ये भी पढ़ें- 16 जून को है गंगा दशहरा त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व - Ganga Dussehra Festival 2024

Last Updated : Jun 18, 2024, 12:10 PM IST
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