नैनीताल: हाईकोर्ट ने UCC समान नागरिक संहिता को चुनौती देती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. प्रो.उमा भट्ट की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज तिवारी व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से याचिका में लगाये गए आरोपों पर चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा है.
हाईकोर्ट ने इस याचिका को भी यूसीसी को चुनौती देती पूर्व में दाखिल अन्य याचिकाओं के साथ सम्बद्ध कर दिया है. इन सभी याचिकाओं की सुनवाई हेतु 1 अप्रैल की तिथि नियत है.
यूसीसी के खिलाफ हाईकोर्ट में अब तक कई याचिकाएं दायर हो चुकी हैं. इन याचिकाओं में मुख्यतः 'लिव इन रिलेशनशिप' व 'मुस्लिम समुदाय की विवाह पद्धति में किये गए बदलाव व मुस्लिम, पारसी के रीति रिवाजों की अनदेखी करने के प्रावधानों को चुनौती दी गई है.
लिव इन रिलेशन में रह रहे लोगों का कहना है कि उनसे जो फार्म रजिस्ट्रेशन के लिए भरवाया जा रहा है उसमें कई तरह की पूर्व जानकारी मांगी गई हैं. अगर वो पूर्व की जानकारी फॉर्म में भरते हैं तो उन्हें जानमाल का खतरा भी हो सकता है. यह उनकी निजता का उल्लंघन भी है.
इससे पहले 18 फरवरी को लिव इन में रह रहे एक जोड़े की याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार को 2 दिन के भीतर जबाव सबमिट करने को कहा था. राज्य और केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र और राज्य का पक्ष रखा.
वहीं याचिकाकर्ता जोड़े की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने अदालत में बताया था कि लिव इन रजिस्ट्रेशन के लिए वेबसाइट पर कई पूर्व की जानकारियां मांगी जा रही है जो किसी भी व्यक्ति की निजता का हनन है. इस दौरान ये भी कहा गया कि सरकार को किसी शख्स की निजता को जानने का हक नहीं है.
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