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MP के नौरादेही अभ्यारण्य में नए बाघ लाने की तैयारी, टाइगर रिजर्व में चट्टानों वाले एरिया में होगा आशियाना

Tiger Nauradehi Sanctuary MP : मध्यप्रदेश के सातवें टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव वन मुख्यालय को भेजा गया है. फिलहाल टाइगर रिजर्व में 19 बाघ हैं. विस्थापन प्रक्रिया के तहत नरसिंहपुर जिले के टाइगर रिजर्व वाले इलाके में बाघों को बसाने की योजना पर काम चल रहा है.

Tiger Nauradehi Sanctuary MP
टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती नौरादेही
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 21, 2024, 10:40 AM IST

एमपी के नौरादेही अभ्यारण्य में नए बाघ लाने की तैयारी

सागर। वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने वन मुख्यालय को तीन बाघों को टाइगर रिजर्व भेजने का प्रस्ताव भेजा है. जिस इलाके में बाघों को बसाने के बारे में प्रबंधन सोच रहा है, ये इलाका खडी चट्टानों वाला विस्तृत वन क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. इस लिहाज से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. दरअसल, 2018 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण योजना के तहत नौरादेही अभ्यारण्य (वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व) में बाघों को बसाया गया था. तभी से ही यहां पर विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो गयी. हालांकि अभी तक 50 गांव ऐसे भी हैं, जिनमें बजट के अभाव में विस्थापना की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है. फिलहाल टाइगर रिजर्व के 26 गांव पूरी तरह से विस्थापित हो चुके हैं और करीब 10 गांव में विस्थापन की प्रक्रिया जारी है.

सागर और दमोह के रिजर्व एरिया में बाघों का मूवमेंट

विस्थापन की प्रक्रिया तीन जिलों में चल रही है. जिनमें सागर, दमोह और नरसिंहपुर हैं. जो गांव खाली हो चुके हैं, वहां पर टाइगर रिजर्व प्रबंधन धीरे-धीरे बाघों को बसाने के लिए व्यवस्थाएं कर रहा है. बाघ भी अपने सीमित दायरे से बाहर आकर विस्थापित गांव में अपनी टैरिटरी बना रहे हैं. दरअसल, नौरादेही अभ्यारण्य तीन जिले सागर, दमोह और नरसिंहपुर के 1197 वर्ग किमी क्षेत्रफल में बनाया गया था. सितंबर 2023 में नौरादेही अभ्यारण्य और दमोह के रानी वीरांगना दुर्गावती अभ्यारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व की अधिसूचना जारी कर दी गयी. इसके बाद पहले से चल रही विस्थापन की प्रक्रिया और तेज हो गयी और करीब 26 गांव पूरी तरह से खाली हो चुके हैं. नौरादेही अभ्यारण्य के समय पहले से मौजूद बाघ नौरादेही और सिंगपुर रेंज में अपनी टैरिटरी बनाए थे, लेकिन जैसे-जैसे गांव विस्थापित होते गए, तो बाघों ने अपना दायरा बढाना शुरू कर दिया.

Tiger Nauradehi Sanctuary MP
नौरादेही टाइगर रिजर्व में चट्टानों वाले एरिया में होगा आशियाना

नरसिंहपुर जिले में नहीं है बाघों की हलचल

मदर आफ नौरादेही कही जाने वाली बाघिन राधा ने नौरादेही से हटकर आंखीखेडा और घुघरी गांव की तरफ रुख कर लिया है. टाइगर रिजर्व में सागर और दमोह जिले से लगे इलाकों में तो बाघों की हलचल आसानी से देखने मिल जाती है. क्योंकि टाइगर रिजर्व के बाघ इसी इलाके में अपनी टैरिटरी बनाए हुए हैं. लेकिन नरसिंहपुर जिले में टाइगर रिजर्व वाले एरिया में अभी बाघ नजर नहीं आते. नरसिंहपुर जिले की टाइगर रिजर्व की डोंगरगांव रेंज में भी विस्थापन की प्रकिया चल रही है और हारीखाट गांव विस्थापित हुआ है. जहां पर काफी विस्तृत क्षेत्र होने के अलावा भौगोलिक परिस्थितियां भी हटकर हैं. यहां पर नमी वाला इलाका ज्यादा है और खड़ी चट्टाने आकर्षण का केंद्र है. इसलिए पर्यटन के लिहाज से टाइगर रिजर्व प्रबंधन यहां पर बाघों को बसाने की योजना बना रहा है और इस इलाके के लिए अलग से तीन बाघों के लिए वन मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है.

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नौरादेही में बाघ और इंसान में हो सकता है संघर्ष, बजट के अभाव में पूरा नहीं हो पाया विस्थापन और बना दिया टाइगर रिजर्व

क्या कहना है टाइगर रिजर्व प्रबंधन का

टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ.ए.ए.अंसारी कहते हैं "डोंगरगांव हमारे टाइगर रिजर्व का एरिया नरसिंहपुर जिले में आता है. इस इलाके में वनक्षेत्र काफी विस्तृत है और यहां वनों का प्रकार भी अलग तरह का है. यहां नमी ज्यादा है और खड़ी चट्टानों वाला इलाका है. अभी वहां पर विस्थापन की कार्रवाई चल रही है. अभी वहां पर हारीखाट गांव विस्थापित हुआ है. इससे टाइगर रिजर्व में बहुत बड़ा रकबा खाली हुआ है. हम वहां विस्तार कर रहे हैं और भविष्य में बाघ भी लाए जाएं."

एमपी के नौरादेही अभ्यारण्य में नए बाघ लाने की तैयारी

सागर। वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने वन मुख्यालय को तीन बाघों को टाइगर रिजर्व भेजने का प्रस्ताव भेजा है. जिस इलाके में बाघों को बसाने के बारे में प्रबंधन सोच रहा है, ये इलाका खडी चट्टानों वाला विस्तृत वन क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. इस लिहाज से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. दरअसल, 2018 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण योजना के तहत नौरादेही अभ्यारण्य (वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व) में बाघों को बसाया गया था. तभी से ही यहां पर विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो गयी. हालांकि अभी तक 50 गांव ऐसे भी हैं, जिनमें बजट के अभाव में विस्थापना की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है. फिलहाल टाइगर रिजर्व के 26 गांव पूरी तरह से विस्थापित हो चुके हैं और करीब 10 गांव में विस्थापन की प्रक्रिया जारी है.

सागर और दमोह के रिजर्व एरिया में बाघों का मूवमेंट

विस्थापन की प्रक्रिया तीन जिलों में चल रही है. जिनमें सागर, दमोह और नरसिंहपुर हैं. जो गांव खाली हो चुके हैं, वहां पर टाइगर रिजर्व प्रबंधन धीरे-धीरे बाघों को बसाने के लिए व्यवस्थाएं कर रहा है. बाघ भी अपने सीमित दायरे से बाहर आकर विस्थापित गांव में अपनी टैरिटरी बना रहे हैं. दरअसल, नौरादेही अभ्यारण्य तीन जिले सागर, दमोह और नरसिंहपुर के 1197 वर्ग किमी क्षेत्रफल में बनाया गया था. सितंबर 2023 में नौरादेही अभ्यारण्य और दमोह के रानी वीरांगना दुर्गावती अभ्यारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व की अधिसूचना जारी कर दी गयी. इसके बाद पहले से चल रही विस्थापन की प्रक्रिया और तेज हो गयी और करीब 26 गांव पूरी तरह से खाली हो चुके हैं. नौरादेही अभ्यारण्य के समय पहले से मौजूद बाघ नौरादेही और सिंगपुर रेंज में अपनी टैरिटरी बनाए थे, लेकिन जैसे-जैसे गांव विस्थापित होते गए, तो बाघों ने अपना दायरा बढाना शुरू कर दिया.

Tiger Nauradehi Sanctuary MP
नौरादेही टाइगर रिजर्व में चट्टानों वाले एरिया में होगा आशियाना

नरसिंहपुर जिले में नहीं है बाघों की हलचल

मदर आफ नौरादेही कही जाने वाली बाघिन राधा ने नौरादेही से हटकर आंखीखेडा और घुघरी गांव की तरफ रुख कर लिया है. टाइगर रिजर्व में सागर और दमोह जिले से लगे इलाकों में तो बाघों की हलचल आसानी से देखने मिल जाती है. क्योंकि टाइगर रिजर्व के बाघ इसी इलाके में अपनी टैरिटरी बनाए हुए हैं. लेकिन नरसिंहपुर जिले में टाइगर रिजर्व वाले एरिया में अभी बाघ नजर नहीं आते. नरसिंहपुर जिले की टाइगर रिजर्व की डोंगरगांव रेंज में भी विस्थापन की प्रकिया चल रही है और हारीखाट गांव विस्थापित हुआ है. जहां पर काफी विस्तृत क्षेत्र होने के अलावा भौगोलिक परिस्थितियां भी हटकर हैं. यहां पर नमी वाला इलाका ज्यादा है और खड़ी चट्टाने आकर्षण का केंद्र है. इसलिए पर्यटन के लिहाज से टाइगर रिजर्व प्रबंधन यहां पर बाघों को बसाने की योजना बना रहा है और इस इलाके के लिए अलग से तीन बाघों के लिए वन मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है.

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