मंडी: हिमाचल में मानसून सीजन में हो रही बरसात के बीच ब्यास नदी उफान पर है. वहीं, दूसरी ओर नदी किनारे संकरे रास्ते को ग्रामीण जान हथेली पर रखकर पार करने को मजबूर हैं. इस संकरे रास्ते पर अगर जरा सा भी किसी का पैर फिसला तो सीधे ब्यास नदी में समां जाएगा. यह कहानी है सदर विधानसभा क्षेत्र के 9 मील के साथ लगती ग्राम पंचायत मैणी के वाशिंदों की. जिन्हें उफनती ब्यास के किनारे बनी सड़क को पार करने के लिए जान जोखिम में डालना पड़ता है.
पिछली साल ब्यास नदी में आई बाढ़ में यहां का पुराना रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद स्थानीय पंचायत द्वारा एक लाख की लागत से जो रास्ता बनाया गया, वह चार दिन भी नहीं चल सका. ऐसे में आज मैणी पंचायत के ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन के दरबार पहुंचा और इस रास्ते की दयनीय स्थिति के बारे में डीसी को अवगत कराया. वहीं, इस मौके पर ग्रामीणों ने पंचायत प्रधान पर इस रास्ते के निर्माण में धांधली करने का भी आरोप लगाया.
प्रतिनिधिमंडल के साथ आए ग्रामीण मोहन सिंह और रमेश कुमार ने कहा, "इस रास्ते से लगभग 4 से 5 गांवों के 300 से अधिक लोग रोजाना यहां से गुजरते हैं. कुछ दिन पूर्व बरसात में यह रास्ता जब एक बार फिर से टूटा तो उन्होने स्वयं श्रमदान कर इस रास्ते को दुरूस्त कर चलने लायक बनाया. इस रास्ते पर पैदल चलना खतरे से खाली नहीं है. हर समय यहां पर ब्यास नदी में गिरने का खतरा बना रहता है. लेकिन गांव के लिए अन्य कोई भी रास्ते की सुविधा ने होने के कारण उन्हें जान हथेली पर रखकर यहां से गुजरना पड़ रहा है".
मोहन सिंह और रमेश कुमार ने बताया कि महिलाओं और स्कूली बच्चों के लिए इस रास्ते को पैदल पार करना बहुत ज्यादा मुश्किल है. महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को पीठ पर बांधकर इस रास्ते को बड़ी मुश्किल से पार करती हैं. ग्रामीणों ने उपायुक्त मंडी से मिलकर इस रास्ते को जल्द से जल्द दुरूस्त करने की मांग उठाई है.
वहीं, उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने कहा, "ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा दिए गए ज्ञापन के आधार पर संबंधित खंड विकास अधिकारी को रास्ते की स्थिति के बारे में जांच करने के आदेश दे दिए गए हैं".
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