लखनऊ: अगले महीने से संगम नगरी प्रयागराज में शुरू होने वाले हिंदू धर्म के सबसे बड़े समारोह में न केवल आस्था और धर्म की अनोखी छठ देखने को मिलेगी. बल्कि इसके साथ ही इस बार कुंभ में बहुत सी ऐसी चीज भी होगी जिसे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कुंभ की विरासत और उसकी भव्यता के बारे में जानने का मौका मिलेगा. आस्था और धर्म का संगम महाकुंभ शुरू होने से पहले ही पूरा शहर महाकुंभ के रंग में सराबोर होने शुरू हो गया है.
महाकुंभ के आरंभ की कहानियां हो या पौराणिक कथाएं. इस बार लाइट एंड साउंड शो के साथ मंच पर भी नजर आने वाली हैं. राजधानी के कई रंगकर्मी महाकुंभ पर आधारित नाटक करने की तैयारी कर रहे हैं. कुछ ने तो रिहर्सल भी शुरू कर दी है. नाटक व थिएटर के माध्यम से महाकुम्भ में आने वाले सभी लोगों को महाकुंभ की कौन सी कहानियां, आस्था और परंपरा जुड़ी है सभी कुछ देखने को मिलने वाली हैं.
पहली बार लाइट एंड साउंड शो में दिखेगी महाकुंभ की कहानी: नवाबों के शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी शक्ति मिश्रा 'दादा' दो प्रोजेक्ट महाकुंभ पर लेकर आ रहे हैं. इसमें एक लाइट एंड साउंड शो का अयोजन के साथ ही दूसरा नाटक का भी मंचन करेंगे. शक्ति मिश्रा बताते हैं कि इसमें हिन्दू धर्म और परंपरा से जुड़े लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर हर कोई शामिल होता है.
उन्होंने बताया कि इस बार के महाकुम्भ को विशेष बनाने के लिए हम समुद्र गाथा और समुद्र मंथन नाम से दो शो करने वाले हैं. जिसमें समुद्र गाथा लाइट एंड साउंड शो है. इसमें हम महाकुंभ के आरंभ और उसकी पौराणिक कहानी को लाइट एंड साउंड शो के जरिए दिखाएंगे. वहीं समुद्र मंथन एक नाट्य प्रस्तुति है.
इस नाट्य प्रस्तुति में दानव और असुरों द्वारा अमृत प्राप्ति के लिए किए गए समुद्र मंथन की कहानी और भगवान शिव के द्वारा विष पीने की कहानी को मंच पर कलाकारों के माध्यम से दिखाएंगे. हमारे दोनों प्रोजेक्ट की तैयारी बराबर चल रही है. नाट्य प्रस्तुति के लिए तो रिहर्सल शुरू हो गई है. जनवरी में महाकुंभ के शुरू होने के बाद और फरवरी में उसकी समाप्ति के बीच यह दोनों शो होंगे.
अवधी भाषा में दिखेगा साल 2000 के पहले का कुंभ: सदियों से जैसे-जैसे समय बदला कुंभ का स्वरूप भी बदलता रहा है. अब सुविधाओं से भरपूर कुंभ नजर आता है, लेकिन सन 2000 से कुंभ का परिवेश कुछ अलग ही था. उसी आस्था और ग्रामीण परिवेश से भरे हुए कुंभ को मंच पर दिखाया जाएगा.
कहानी के लेखक और निर्देशक महेश चंद्र देवा ने बताया कि मदर सेवा संस्थान द्वारा नाटक कुम्भ महाकुम्भ की रचना किरन लता ने की है. नाटक की कहानी ग्रामीण परिवेश से ठेठ अवधी भाषा में शुरू होती है. इस नाटक के माध्यम से सन 2000 से पहले के ग्रामीण अंचल के जनजीवन को सुंदर दृश्यों से सजाने का प्रयास किया गया है.
जहां ठंड और गरीबी से परेशान लोग आस्था व सनातन पर्व का हर्ष उल्लास से स्वागत करते हैं और एक कंबल और गठरी में कुछ जरूरी सामान लेकर पैदल, बैलगाड़ी और ट्रेन से कुंभ मेले की ओर चल देते हैं. इस परिवेश के साथ ही नाटक में कुंभ की प्रासंगिता, पौराणिकता कथाओं व देवताओं और दानवओं का समुन्द्र मंथन, कुंभ और महाकुंभ में अंतर जैसी कहानियां भी नजर आएंगी.
सभी को महाकुंभ चलने को प्रेरित करेगा नाटक: युवा रंगकर्मी शुभम पांडे धार्मिक महाकुंभ 2025 जो जनवरी से शुरू होने वाला है, उसी के आगाज़ पर आधारित नाट्य प्रस्तुति "कुंभ चलित हन" का मंचन किया जाएगा, जिसके माध्यम से सभी लोगो को कुंभ में आने का निमंत्रण दिया जाएगा साथ है.
नाट्य प्रस्तुति में कुंभ या महाकुंभ क्यों होता है, कैसे समुद्र मंथन में शिव जी ने विष पिया और देवताओं ने अमृत का प्याला पिया, कैसे 12 दिनों तक समुद्रमंथन चला, जो 12 वर्ष जैसा प्रतीत हुआ. ऐसी ही कई पौराणिक गाथाओं को मंच पर कलाकारों के द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा.
इसके अलावा इसमें कई भक्ति गीत भी होंगे, जैसे इसका शुरुआती गीत "चलो रे सब कुंभ नगरी" है. इस नाटक का मंचन रंगसंगम संस्था द्वारा जनवरी में किया जाएगा. इसकी निर्देशन शुभम पांडे ही कर रहे हैं.
मंच पर दिखेगी कुंभ की पूरी कहानी: सत्यपथ संस्था की ओर से कुंभ 2025 के लिए विशेष नाट्य मंचन की तैयारी जोरों पर चल रही है. नाटक का लेखन और निर्देशन रंगकर्मी मुकेश वर्मा ने बताया कि इस नाट्य मंचन में कुंभ की पौराणिक कथा, जिसमें समुद्र मंथन, देवताओं और असुरों का संघर्ष और अमृत प्राप्ति की कहानी को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाएगा.
वहीं, नाटक में नारद मुनि, इंद्र, विष्णु, असुरराज, वासुकि नाग और धन्वंतरि जैसे प्रमुख पात्र शामिल होंगे. मंचन का उद्देश्य दर्शकों को कुंभ मेला के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व से अवगत कराना और हमारी आस्था व परंपराओं को जीवंत करना है.
मुकेश वर्मा ने बताया कि हमारा प्रयास है कि इस मंचन के माध्यम से लोगों को कुंभ के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से परिचित कराया जाए. इस नाटक का मंचन जनवरी या फरवरी में किया जाएगा जब कुंभ चल रहा होगा.
शास्त्रीय संगीत, लोक नृत्य, नाट्य कला और समकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे: प्रमुख सचिव पर्यटन डॉ. हरिओम ने बताया कि इस बार महाकुंभ में संस्कृति विभाग की ओर से चार बड़े व 20 लघु मंचों पर 35 दिन लगातार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी. जिसमें शास्त्रीय संगीत, लोक नृत्य, नाट्य कला और समकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे.
प्रयागराज में जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ-2025 में आध्यात्मिकता, संस्कृति और एकता का भी संगम होगा. महाकुंभ में प्रख्यात कलाकारों एआर रहमान, सोनू निगम, श्रेया घोषाल, सितार वादक रिखीराम, रिकी केज और कैलाश खेर आदि की प्रस्तुतियां भी लोगों को मंत्रमुग्ध करेंगी.
प्रदेश की पारंपरिक कलाओं अवधी, धोबिया, राई, मयूर और करमा नृत्य का प्रदर्शन किया जाएगा. इसके अलावा स्थानीय लोक संस्कृति की झलक प्रस्तुत करेंगे. रामलीला, कृष्णलीला और काकोरी महागाथा आदि शामिल होंगे.