लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब तक 39 सीटों पर लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुका है. 41 सीटों पर अब चुनाव बाकी रह गया है. इन 41 सीटों पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की चाल विपक्षी दलों के कई उम्मीदवारों का समीकरण बिगाड़ सकती हैं.
बीएसपी के इन सीटों पर सबसे ज्यादा नौ मुस्लिम उम्मीदवार हैं और जिन सीटों पर इन मुस्लिम प्रत्याशियों की दावेदारी है, वहां पर मुस्लिम और दलित कांबिनेशन भी अच्छा है. ऐसे में विपक्षी दलों के उम्मीदवारों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. वीआईपी सीटों पर भी बीएसपी के चेहरे नतीजा बदल सकते हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वांचल और अवध की ज्यादातर सीटों पर कब्जा जमाया था. बहुजन समाज पार्टी के हिस्से में भी इस चुनाव में आधा दर्जन सीटें आई थीं, लेकिन अब जौनपुर और नगीना लोकसभा सीट से जीते सांसदों को छोड़कर अन्य आठ सांसद विभिन्न पार्टियों में अपने लिए जगह बना लिए. वे दूसरे राजनीतिक दलों से चुनाव मैदान में हैं.
समाजवादी पार्टी ने पूर्वाचल और अवध क्षेत्र में पिछले कुछ चुनाव में मुसलमानों पर दांव लगाया लेकिन इस बार के चुनाव में सपा ने अपनी स्ट्रेटजी चेंज करते हुए पिछड़ों को महत्व दिया है जबकि बहुजन समाज पार्टी ने इन्हीं पूर्वांचल और अवध क्षेत्र की नौ सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार कर विपक्षी दलों का गुणा गणित बिगाड़ने की चाल चल दी है.
वैसे तो बहुजन समाज पार्टी का कर वोट बैंक दलित है और इसके सहारे ही अन्य जाति और वर्गों का समर्थन पाकर बीएसपी चुनाव मैदान में बाजी मारती आई आई है, लेकिन पिछले कुछ नतीजे देख कर मायावती को एहसास हुआ कि उसका कोर वोटर उसके साथ पूरी तरह से खड़ा हुआ नजर नहीं आ रहा है.
लिहाजा, बीएसपी सुप्रीमो ने इस बार दलित मुस्लिम और दलित ब्राह्मण का समीकरण बनाकर मैदान में उतरने का फैसला लिया और यह पार्टी की तरफ से घोषित उम्मीदवारों की सूची में नजर भी आया है. पार्टी ने मुसलमानों दलितों के साथ ही ब्राह्मण दलित प्रत्याशियों को खूब टिकट दिया है.
ये हैं नौ सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी
- लखनऊ सीट से सरवर मलिक
- गोरखपुर सीट से जावेद सिमनानी
- वाराणसी सीट से अतहर जमाल लारी
- महाराजगंज सीट से मोहम्मद मौसमे आलम
- आजमगढ़ सीट से महमूद अहमद
- संत कबीर नगर सीट से नदीम अशरफ
- अंबेडकर नगर सीट से कमर हयात अंसारी
- डुमरियागंज सीट से मोहम्मद नदीम मिर्जा
- श्रावस्ती सीट से मोइनुद्दीन अहमद खान
इन नौ सीटों पर अगर वीवीआईपी सीटों की बात की जाए तो वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मैदान में हैं. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साझा प्रत्याशी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय यहां से उम्मीदवार हैं.
बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर मुस्लिम चेहरे अतहर जमाल लारी को मैदान में उतारा है. लखनऊ लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर राजनाथ सिंह मैदान में हैं. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साझा प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा हैं तो बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम चेहरे सरवर मलिक को मैदान में उतारा है.
गोरखपुर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने अपने सांसद और फिल्म अभिनेता रवि किशन पर फिर से दांव लगाया है, जबकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साझा प्रत्याशी के रूप में फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद मैदान में हैं. बहुजन समाज पार्टी ने यहां से मुस्लिम चेहरे जावेद सिमनानी को टिकट दिया है.
आजमगढ़ लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां पर बहुजन समाज पार्टी ने महमूद अहमद को टिकट दिया है. यहां से लोकसभा उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा था, लेकिन गुड्डू जमाली अब समाजवादी पार्टी में चले गए हैं.
वहां एमएलसी बना दिए गए हैं. ऐसे में बीएसपी ने नए प्रत्याशी को मौका दिया है. भारतीय जनता पार्टी में इस सीट पर अपने सांसद और भोजपुरी फिल्म अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ को मैदान में उतारा है जबकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साझा प्रत्याशी के रूप में धर्मेंद्र यादव मैदान में हैं.
बहुजन समाज पार्टी ने जिन मुस्लिम सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं उन सीटों की स्थिति की अगर बात करें तो लखनऊ में सबसे ज्यादा 23 फीसद मुस्लिम 14 फीसद ब्राह्मण और 2.08 फीसद दलित मतदाता हैं.
श्रावस्ती में 28% मुस्लिम 17 परसेंट दलित मतदाता, अंबेडकर नगर में 28% दलित और 15% मुस्लिम, डुमरियागंज में 26 परसेंट मुस्लिम और 19 परसेंट दलित, संत कबीर नगर में 18 परसेंट मुस्लिम और 28 परसेंट दलित, आजमगढ़ में 15.7 मुस्लिम और 28% दलित, गोरखपुर में 19% दलित और 1.09 फीसद मुस्लिम, महाराजगंज में मुस्लिम 12.2% और दलित 22 फीसद हैं.
ये भी पढ़ेंः चुनावी सीजन में ये 12 काम हैं अपराध; संभलकर! लपेटे में आए तो हो सकती है 3 साल तक की जेल