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हाईकोर्ट ने कहा- बेटियों को पूजने वाले देश में बच्चियों से दुष्कर्म पूरे समाज के खिलाफ अपराध

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सही कदम नहीं उठाया गया, तो न्याय व्यवस्था से आम जनता का भरोसा उठ जाएगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Photo Credit: ETV Bharat
हाईकोर्ट ने कहा- चार वर्ष की मासूम बच्ची जिसे अपने साथ हो रहे अपराध का मतलब भी नहीं पता (Photo Credit: ETV Bharat)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जिस देश में बेटियों की पूजा की जाती है, वहां बच्चियों से दुष्कर्म जैसी घटनाएं पूरे समाज के खिलाफ अपराध हैं. कोर्ट ने कहा कि चार वर्ष की मासूम बच्ची जिसे अपने साथ हो रहे अपराध का मतलब भी नहीं पता. उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश की गई. यह केवल उस बच्ची ही नहीं ही नहीं पूरे समाज के विरूद्ध गंभीर अपराध है. यह अनुच्छेद 21 में मिले जीवन के मौलिक अधिकारों का हनन है. यदि सही कदम नहीं उठाया गया, तो न्याय व्यवस्था से आम जनता का भरोसा उठ जाएगा.

कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इंकार करते हुए ट्रायल एक साल में पूरा करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने थाना कटघर , मुरादाबाद के अभियुक्त अहसान की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है. पीड़ित बच्ची 21 अप्रैल 24 को दिन में तीन बजे घर के बाहर खेल रही थी. आरोपी उसे उठा ले गया था.

परिवार ने लड़की की तलाश शुरू की. रेलवे गेट क्रासिंग के पास आवाज सुनाई दी, तो परिवार वालों को आता देख याची भाग खड़ा हुआ. बच्ची बेहोश थी. शरीर पर कई चोटें थीं. रेप की कोशिश की गई थी. वारदात की एफआईआर दर्ज की गई. याची का कहना था कि वह निर्दोष है. उसे झूठा फंसाया गया है. याची ने शिकायतकर्ता के ड्राइवर वसीम के खिलाफ शिकायत की थी. उसने गलत काम किया और भाग कर उसके घर में घुस गया और झूठी एफआईआर दर्ज कराई.

याची का यह भी कहना था कि पीड़िता के दोनों बयानों में विरोधाभास है. मेडिकल रिपोर्ट के विपरीत है. मेडिकल रिपोर्ट में अंदरूनी और बाहरी कोई चोट नहीं पाई गई. वहीं एफआईआर में शरीर पर चोटों का जिक्र किया गया है. याची ने अपने खिलाफ चार आपराधिक केसों के इतिहास का खुलासा किया है. सरकारी वकील ने जमानत का विरोध किया और कहा अपराध जघन्य है. आरोपी जमानत पर रिहा किए जाने लायक नहीं है. कोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी.

ये भी पढ़ें- यूपी में 10 में से 9 सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग, 23 को नतीजे; मिल्कीपुर उपचुनाव पर इसलिए फंसा पेंच

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जिस देश में बेटियों की पूजा की जाती है, वहां बच्चियों से दुष्कर्म जैसी घटनाएं पूरे समाज के खिलाफ अपराध हैं. कोर्ट ने कहा कि चार वर्ष की मासूम बच्ची जिसे अपने साथ हो रहे अपराध का मतलब भी नहीं पता. उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश की गई. यह केवल उस बच्ची ही नहीं ही नहीं पूरे समाज के विरूद्ध गंभीर अपराध है. यह अनुच्छेद 21 में मिले जीवन के मौलिक अधिकारों का हनन है. यदि सही कदम नहीं उठाया गया, तो न्याय व्यवस्था से आम जनता का भरोसा उठ जाएगा.

कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इंकार करते हुए ट्रायल एक साल में पूरा करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने थाना कटघर , मुरादाबाद के अभियुक्त अहसान की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है. पीड़ित बच्ची 21 अप्रैल 24 को दिन में तीन बजे घर के बाहर खेल रही थी. आरोपी उसे उठा ले गया था.

परिवार ने लड़की की तलाश शुरू की. रेलवे गेट क्रासिंग के पास आवाज सुनाई दी, तो परिवार वालों को आता देख याची भाग खड़ा हुआ. बच्ची बेहोश थी. शरीर पर कई चोटें थीं. रेप की कोशिश की गई थी. वारदात की एफआईआर दर्ज की गई. याची का कहना था कि वह निर्दोष है. उसे झूठा फंसाया गया है. याची ने शिकायतकर्ता के ड्राइवर वसीम के खिलाफ शिकायत की थी. उसने गलत काम किया और भाग कर उसके घर में घुस गया और झूठी एफआईआर दर्ज कराई.

याची का यह भी कहना था कि पीड़िता के दोनों बयानों में विरोधाभास है. मेडिकल रिपोर्ट के विपरीत है. मेडिकल रिपोर्ट में अंदरूनी और बाहरी कोई चोट नहीं पाई गई. वहीं एफआईआर में शरीर पर चोटों का जिक्र किया गया है. याची ने अपने खिलाफ चार आपराधिक केसों के इतिहास का खुलासा किया है. सरकारी वकील ने जमानत का विरोध किया और कहा अपराध जघन्य है. आरोपी जमानत पर रिहा किए जाने लायक नहीं है. कोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी.

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