पटनाः लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में सबसे ज्यादा परेशानी कांग्रेस पार्टी के सामने है. यहां सीट बंटवारे के बिना ही आरजेडी ने अब तक अपने 6 प्रत्याशियों को सिंबल दे दिया है और कुछ प्रत्याशियों का नाम भी राजद ने तय कर दिया है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इंडिया गठबंधन में ऑल इज वेल है? या फिर सीट शेयरिंग कांग्रेस और आरजेडी के बीच दीवार बन गया है.
किन सीटों को लेकर है विवादः बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीट हैं. कांग्रेस 10 सीट पर अपना दावा कर रही है. कांग्रेस किशनगंज , कटिहार, सुपौल, औरंगाबाद, बेगूसराय, सासाराम, बक्सर, पटनासाहिब, पूर्णिया, दरभंगा पर चुनाव लड़ने की तैयारी है, लेकिन राजद ने औरंगाबाद सीट पर अपने प्रत्याशी को सिंबल दे दिया है वहीं पूर्णिया सीट से बीमा भारती को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहा है. बेगूसराय सीट पर भी अपने कैंडिडेट के नाम की घोषणा कर दी है. यही कारण है कि गठबंधन के घटक दलों में खटास बढ़ती जा रही है.
कांग्रेस ने दी चेतावनीः कांग्रेस प्रवक्ता असितनाथ तिवारी का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के लिए कार्यकर्ताओं का सम्मान सर्वोपरि है. कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का सम्मान यदि आहत होगा तो कांग्रेस पार्टी झुक कर समझौता नहीं करेगी. असिनाथ तिवारी में गठबंधन के घटक दलों से अनुरोध किया कि एक तरफा फैसला ना लें.
"एक तरफा फैसला लेने से गठबंधन के साथियों स्वीकार करता हूं का मनोबल नीचे गिरता है. इसीलिए गठबंधन के सभी दलों का दायित्व बनता है कि सभी दलों के कार्यकर्ताओं का सम्मान हो और गठबंधन धर्म का पालन हो"- असितनाथ तिवारी, कांग्रेस प्रवक्ता
राजद का दावा गठबंधन में सब ठीक: 6 सीटों पर एक तरफा फैसला लेने वाली राजद के नेता का अभी भी मानना है कि गठबंधन में सब कुछ ठीक है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग हो गई है, लेकिन सभी दल एक दूसरे के नेता को नीचा दिखाने का काम कर रहे हैं. जबकि इंडिया गठबंधन पूरी मजबूती के साथ अपने संकल्प को आगे लेकर बढ़ाने का काम कर रही है.
"इस बार की लड़ाई मोदी बनाम मुद्दों को लेकर है. हमारे पक्ष में जनता का समर्थन दिख रहा है यही कारण है कि कुछ लोगों में बेचैनी दिख रही है. हम पूरी मजबूती के साथ बीजेपी के खिलाफ मैदान में हैं और जनता का समर्थन हम लोगों के साथ है"- एजाज अहमद,आरजेडी प्रवक्ता
NDA के प्रत्याशी चुनावी मैदान में: वहीं एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बन गई है. भाजपा ने अपने हिस्सा के सभी 17 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिया है. जेडीयू ने भी अपने हिस्से के सभी 16 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दिया है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी का नाम पहले ही तय हो गया था. लोजपा (रामविलास) के प्रत्याशियों के नाम की घोषणा एक से दो दिन में कर दी जाएगी.
बीजेपी का महागठबंधन पर तंजः भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि लालू प्रसाद यादव से बड़ा राजनीतिक बेईमान बिहार में आज तक कोई नहीं हुआ. लालू प्रसाद यादव जिसके साथ रहते हैं उसी को ठगने का काम करते हैं, वो बिहार में ठगबंधन के मुखिया हैं. बिहार कांग्रेस के साथ वह हमेशा से ऐसा करते आए हैं.
"बिहार कांग्रेस के नेताओं को अपने चरणों में रखना लालू प्रसाद यादव की पुरानी आदत है. कांग्रेस को समाप्त कर देना लालू प्रसाद यादव की पुरानी चाल रही है. यही कारण है कि कांग्रेस से बिना पूछे लालू प्रसाद प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर रहे हैं"- कुंतल कृष्ण, भाजपा प्रवक्ता
'इंडिया गठबंधन में सिर फुटव्वल की स्थिति': बिहार में इंडिया गठबंधन पर एक्सपर्ट का भी मानना है कि अब इन लोगों के लिए बहुत देरी हो गई है. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि बिहार में इंडिया गठबंधन की स्टेरिंग सीट पर राजद बैठी हुई है. चुनाव के पहले चरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है और अभी तक गठबंधन में सीट का मामला फंसा हुआ है, जबकि एनडीए की तरफ से कहां से कौन प्रत्याशी होंगे सब कुछ तय कर लिया गया है. रवि उपाध्याय का कहना है कि इंडिया गठबंधन में सिर फुटव्वल की स्थिति बनी हुई है और लालू प्रसाद पूरे परिवार के साथ दिल्ली में होली मनाने के लिए गए हैं.
"कांग्रेस की कई परंपरागत सीट पर भी राजद ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया है और करने की तैयारी कर रहा है. औरंगाबाद सीट को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता में आंतरिक विद्रोह की स्थिति है. कटिहार और पूर्णिया में भी कुछ इसी तरीके का मामला दिख रहा है. अभी इंडिया गठबंधन में जो स्थिति दिख रही है, उसमें यह संभव है कि कांग्रेस सभी 40 सीटों पर अपने प्रत्याशी दे सकती है"- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
बिहार में टूट जाएगा इंडिया गठबंधन? इंडिया गठबंधन 2024 में केंद्र की सत्ता से बीजेपी को हटाने के लिए बना था और इस गठबंधन की शुरुआत बिहार से ही हुई थी, लेकिन विडंबना देखिये कि सबसे पहले इसके सूत्रधार नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के साथ चले गए. अब राजद और कांग्रेस के बीच में जो विवाद चल रहा है इससे साफ स्पष्ट है कि इस गठबंधन में सब कुछ सही नहीं है. अब देखना होगा कि दिल्ली में लालू यादव और कांग्रेस के शीर्ष नेता बैठकर क्या फैसला लेते हैं.
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