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पंडित नेहरू ही नहीं ठियोग के सूरत राम भी थे भारत में पहले प्रधानमंत्री, यहां 16 अगस्त को मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस - INDEPENDENCE DAY 2024

ठियोग प्रजामंडल ने रियासत के खिलाफ आंदोलन चलाकर 16 अगस्त, 1947 को पहली जनतांत्रिक सरकार बनाई थी. सूरतराम प्रकाश इस सरकार के प्रधानमंत्री बने थे. उनके साथ अन्य आठ सदस्यीय मंत्रिमंडल ने भी सरकार में शामिल होकर शपथ ली थी. इसकी कारण आज भी ठियोग में स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम 16 अगस्त को ही मनाया जाता है.

सूरत राम प्रकाश अपने मंत्रिमंडल के साथ
सूरत राम प्रकाश अपने मंत्रिमंडल के साथ (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 15, 2024, 1:39 PM IST

Updated : Aug 15, 2024, 5:54 PM IST

शिमला/ठियोग: भारत आज स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. देश के बच्चे-बच्चे को ये मालूम होगा कि 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ था. आजादी के बाद प्रथम लोकसभा चुनाव होने के उपरांत चाचा नेहरू यानी पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले पीएम बने थे, लेकिन बहुत ही कम लोगों को ये मालूम होगा कि आजादी के एक और परवाने सूरतराम प्रकाश देश की पहली जनतांत्रिक सरकार के प्रधानमंत्री बने थे.

ठियोग में बनी थी प्रजातांत्रिक सरकार (ETV BHARAT)

जी हां, शिमला की समीपवर्ती ठियोग रियासत का शासन मानने से इनकार करने वाले स्वतंत्र चेतना के मालिक सूरतराम प्रकाश ने पांच हजार आम जन के अभिवादन के साथ ठियोग के पोटेटो ग्राउंड ( अब नेहरू ग्राउंड) में देश की पहली जनतांत्रिक सरकार बनाई थी. उनके साथ आठ सदस्यीय मंत्रिमंडल ने भी सरकार में शामिल होकर शपथ ली थी. यह 16 अगस्त, 1947 की बात है. उस समय देश की रियासतों का भारत संघ में विलय नहीं हुआ था. ठियोग रियासत भी उनमें से एक थी, लेकिन यहां सूरतराम प्रकाश व अन्यों ने रियासत का शासन मानने से इनकार किया था.

सूरत राम प्रकाश अपने मंत्रिमंडल के साथ
सूरत राम प्रकाश अपने मंत्रिमंडल के साथ (फाइल फोटो) (ETV BHARAT)

1942 में शुरू हुआ ठियोग का प्रजामंडल

आजादी से पहले भारत छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा था. अधिकांश रियासतों के शासक अत्याचारी थे. हिमाचल में भी छोटी-बड़ी कई रियासतें थीं, उन्ही में से एक रियासत थी ठियोग. हिमाचल के लोग रियासतों के शासक, जिन्हें राणा कहा जाता था, के अत्याचारों से तंग थे. राणा शासक जनता से बेगार करवाते थे और उन्हें शारीरिक यातना दिया करते थे. ठियोग के शासक राणा कर्मचंद ठाकुर थे. सैंज उनकी राजधानी थी. पूरे हिमाचल में रियासती राजाओं के खिलाफ प्रजामंडल आंदोलन शुरू हुआ था. ये आंदोलन 1942 में ही शुरू हो गया था. अंग्रेजों के साथ-साथ आम जनता अंग्रेजों के पिट्ठू रियासती शासकों से भी लोहा ले रही थी.

सूरतराम प्रकाश और उनके साथियों ने रियासत से हासिल की थी आजादी

आजादी के बाद रियासतों का देश में विलय होना शुरू हुआ. सरदार पटेल की सख्ती के बावजूद कई रियासतें भारत में शामिल नहीं होना चाहती थीं. ठियोग में भी ऐसा ही था, लेकिन यहां की आजाद चेतना पसंद अवाम ने सूरतराम प्रकाश व अन्य प्रजामंडल आंदोलनकारियों के साथ मिलकर रियासत से आजादी हासिल कर ली.

महात्मा गांधी ने किया था सलाम

ठियोग के पोटैटो ग्राउंड में 16 अगस्त को पहली जनतांत्रिक सरकार बनी. सूरतराम प्रकाश के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही बुद्धिराम वर्मा, नंदराम बाबू, दिलाराम बाबू, सीताराम कंवर व मास्टर सीताराम आदि ने शपथ ली. यह सरकार छह महीने तक चली. सूरतराम प्रकाश व उनके साथियों के सरकार बनाने के हौसले को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी 18 अगस्त को आकाशवाणी दिल्ली से सलाम किया था. यही कारण है कि आज भी ठियोग में पोटेटे ग्राउंड में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है.

भारत में शामिल होने वाली पहली रियासत

रियासतों के विलय के समय देश में शामिल होने वाली पहली रियासत भी ठियोग ही थी. यहां के नेताओं के बापू गांधी सहित सरदार पटेल और अन्य नेताओं से अच्छे संबंध थे. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी ठियोग के पोटेटो ग्राउंड में रैली की थी. चूंकि ठियोग व आसपास के इलाकों में खूब आलू पैदा होता था और यहां मैदान में आलू की मंडी लगती थी, इसलिए इसे पोटेटो ग्राउंड कहा जाता था. आजादी के बाद से ही पोटेटो ग्राउंड में जश्न मनाया जाता है. ये परंपरा आज भी जारी है.

ये भी पढ़ें: इन विशेषज्ञों ने स्थिर हिमाचल को नई पहचान दी, देश से लेकर विदेश तक शंघाई देवभूमि

शिमला/ठियोग: भारत आज स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. देश के बच्चे-बच्चे को ये मालूम होगा कि 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ था. आजादी के बाद प्रथम लोकसभा चुनाव होने के उपरांत चाचा नेहरू यानी पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले पीएम बने थे, लेकिन बहुत ही कम लोगों को ये मालूम होगा कि आजादी के एक और परवाने सूरतराम प्रकाश देश की पहली जनतांत्रिक सरकार के प्रधानमंत्री बने थे.

ठियोग में बनी थी प्रजातांत्रिक सरकार (ETV BHARAT)

जी हां, शिमला की समीपवर्ती ठियोग रियासत का शासन मानने से इनकार करने वाले स्वतंत्र चेतना के मालिक सूरतराम प्रकाश ने पांच हजार आम जन के अभिवादन के साथ ठियोग के पोटेटो ग्राउंड ( अब नेहरू ग्राउंड) में देश की पहली जनतांत्रिक सरकार बनाई थी. उनके साथ आठ सदस्यीय मंत्रिमंडल ने भी सरकार में शामिल होकर शपथ ली थी. यह 16 अगस्त, 1947 की बात है. उस समय देश की रियासतों का भारत संघ में विलय नहीं हुआ था. ठियोग रियासत भी उनमें से एक थी, लेकिन यहां सूरतराम प्रकाश व अन्यों ने रियासत का शासन मानने से इनकार किया था.

सूरत राम प्रकाश अपने मंत्रिमंडल के साथ
सूरत राम प्रकाश अपने मंत्रिमंडल के साथ (फाइल फोटो) (ETV BHARAT)

1942 में शुरू हुआ ठियोग का प्रजामंडल

आजादी से पहले भारत छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा था. अधिकांश रियासतों के शासक अत्याचारी थे. हिमाचल में भी छोटी-बड़ी कई रियासतें थीं, उन्ही में से एक रियासत थी ठियोग. हिमाचल के लोग रियासतों के शासक, जिन्हें राणा कहा जाता था, के अत्याचारों से तंग थे. राणा शासक जनता से बेगार करवाते थे और उन्हें शारीरिक यातना दिया करते थे. ठियोग के शासक राणा कर्मचंद ठाकुर थे. सैंज उनकी राजधानी थी. पूरे हिमाचल में रियासती राजाओं के खिलाफ प्रजामंडल आंदोलन शुरू हुआ था. ये आंदोलन 1942 में ही शुरू हो गया था. अंग्रेजों के साथ-साथ आम जनता अंग्रेजों के पिट्ठू रियासती शासकों से भी लोहा ले रही थी.

सूरतराम प्रकाश और उनके साथियों ने रियासत से हासिल की थी आजादी

आजादी के बाद रियासतों का देश में विलय होना शुरू हुआ. सरदार पटेल की सख्ती के बावजूद कई रियासतें भारत में शामिल नहीं होना चाहती थीं. ठियोग में भी ऐसा ही था, लेकिन यहां की आजाद चेतना पसंद अवाम ने सूरतराम प्रकाश व अन्य प्रजामंडल आंदोलनकारियों के साथ मिलकर रियासत से आजादी हासिल कर ली.

महात्मा गांधी ने किया था सलाम

ठियोग के पोटैटो ग्राउंड में 16 अगस्त को पहली जनतांत्रिक सरकार बनी. सूरतराम प्रकाश के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही बुद्धिराम वर्मा, नंदराम बाबू, दिलाराम बाबू, सीताराम कंवर व मास्टर सीताराम आदि ने शपथ ली. यह सरकार छह महीने तक चली. सूरतराम प्रकाश व उनके साथियों के सरकार बनाने के हौसले को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी 18 अगस्त को आकाशवाणी दिल्ली से सलाम किया था. यही कारण है कि आज भी ठियोग में पोटेटे ग्राउंड में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है.

भारत में शामिल होने वाली पहली रियासत

रियासतों के विलय के समय देश में शामिल होने वाली पहली रियासत भी ठियोग ही थी. यहां के नेताओं के बापू गांधी सहित सरदार पटेल और अन्य नेताओं से अच्छे संबंध थे. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी ठियोग के पोटेटो ग्राउंड में रैली की थी. चूंकि ठियोग व आसपास के इलाकों में खूब आलू पैदा होता था और यहां मैदान में आलू की मंडी लगती थी, इसलिए इसे पोटेटो ग्राउंड कहा जाता था. आजादी के बाद से ही पोटेटो ग्राउंड में जश्न मनाया जाता है. ये परंपरा आज भी जारी है.

ये भी पढ़ें: इन विशेषज्ञों ने स्थिर हिमाचल को नई पहचान दी, देश से लेकर विदेश तक शंघाई देवभूमि

Last Updated : Aug 15, 2024, 5:54 PM IST
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