हिसार: आज से तीन दिवसीय राखीगढ़ी महोत्सव का आगाज हो गया है. कैबिनेट मंत्री अरविंद शर्मा ने इसका शुभारंभ किया. 22 दिसंबर 2024 तक चलने वाले इस महोत्सव में हर दिन कुछ ना कुछ खास होगा. टीले नंबर 1, 2, 3 और 4 पर विद्यार्थियों के लिए हेरिटेज वॉक का आयोजन होगा. राखीगढ़ी महोत्सव में इतिहास एवं संस्कृति के प्रति रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए एक उत्कृष्ट अवसर होगा.
राखीगढ़ी महोत्सव का आगाज: अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि इस महोत्सव के दौरान पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की ओर से पुरातत्व स्थलों की खोज और खुदाई की प्रक्रिया के बारे में सरल तरीके से बताया जाएगा. इसके साथ ही टीले नंबर 1, 2, 3 व 4 पर विद्यार्थियों के लिए हेरिटेज वॉक का आयोजन होगा. संग्रहालय का भ्रमण कराते हुए सेमिनार, व्याख्यान और वर्कशॉप के माध्यम से विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण जानकारी दी जाएगी.
पुरातात्विक टीले आकर्षण के केंद्र: राखीगढ़ी महोत्सव में खेल, संस्कृति तथा इतिहास का अद्भुत संगम नजर आएगा. प्रधान सचिव कला रामचंद्रन ने बताया कि महोत्सव में विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शनी स्टॉलें लगाई जाएगी. इनके माध्यम से लोगों को सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी, ताकि कोई भी व्यक्ति सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं रहे. स्टालों के पास मुख्य द्वार के निकट हेरिटेज वॉक बनाया गया है.
यहां प्राचीन वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है. ऊंट की सवारी के लिए प्रयोग होने वाली पिलान, शेर, सवा शेर, 50 तथा 25 किलोग्राम वजनी बाट, भारी भरकम ढोल, 200 साल पुराने 7 परतों वाले तेल वाले कूपें, लकड़ी गाड़ी के पहिए, तथा विशालकाय हुक्का और प्राचीन चरखा आकर्षण का केंद्र बनेगा.
बच्चों के मनोरंजन के लिए किड्स जोन: राखीगढ़ी महोत्सव में बच्चों के मनोरंजन के लिए किड्स जोन स्थापित किए गए हैं. उनके लिए हर दिन विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा. अतिरिक्त उपायुक्त सी जय श्रद्धा ने बताया कि महोत्सव के तीनों दिन विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन होगा. इसमें रस्साकसी, नींबू-चम्मच रेस, मटका दौड़, कुश्ती, कबड्डी तथा 100 मीटर की दौड़ शामिल हैं. विद्यार्थियों को पुरातात्विक साइटों का भ्रमण भी करवाया जाएगा.
राखीगढ़ी में क्या है खास? बता दें कि भारतीय पुरातत्व विभाग ने पुरातत्व सर्वेक्षण ने राखीगढ़ी टीला नंबर छह और सात को संरक्षित घोषित कर दिया है. इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त निदेशक एवं प्रवक्ता डॉक्टर नंदिनी भट्टाचार्य के अनुसार कुल सात टीले में से चार पहले संरक्षित घोषित किए जा चुके हैं. अभी तक राखीगढ़ी, धोलाबीरा, लोथल, पिजौर, कालीबंगा, बनावली में हड़प्पा कालीन अवशेष मिले चुके हैं.
जानकारी के अनुसार सरकार संरक्षित क्षेत्र की (40.26) एकड़ भूमि का अधिग्रहण करेगी और किसानों को सरकार द्वारा इसका मुआवजा दिया जाएगा. राखीगढ़ी को हड़प्पा कालीन संस्कृति में देश की सभ्यता में दो बड़े स्थलों में माना जाता है. इसका दूसरा क्षेत्र गुजरात के धोलावीर में है.
राखीगढ़ी में तीन बार हो चुकी खुदाई: राखीगढ़ी को सिंघु घाटी की हड़प्पा कालीन सभ्यता में सबसे बड़ा भारतीय स्थल घोषित किया गया है. खुदाई का तीसरा चरण चल रहा है. खुदाई के दौरान ही राखीगढ में पुरानी नदी के अवशेष पाए गए थे. भारतीय पुरातत्व के महानिदेशक डॉक्टर संजय मंजुल के मुताबिक अवशेषों की कार्बन डेटिंग में ये बात सामने आई थी कि यहां पांच हजार वर्ष पुरानी नदी थी.
खुदाई के दौरान क्या मिला? राखीगढ़ी में खुदाई के दौरान छह हजार वर्ष पुराने मकान की दीवारें, शंख की चूड़ी, कच्ची ईंटें, तांबा, मनका, मोहरे और मनाव कंकाल मिल चुके हैं. माना जाता है कि उस वक्त की सभ्यता यहां घर बना कर रहती थी.