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हिमाचल की राजनीति में राजपूतों का दबदबा, विधानसभा और संसद में पहुंचते रहे ठाकुर, इन्हीं के हाथ आती रही सत्ता की कमान - Rajputs Dominance in Himachal

हिमाचल की राजनीति में राजपूत नेताओं का वर्चस्व रहा है. अब तक बने 7 मुख्यमंत्रियों में 6 मुख्यमंत्री राजपूत घराने से हैं. वहीं वर्तमान की बात की जाए तो विधानसभा के 62 सदस्यों में 28 राजपूत है. हिमाचल में 95.17 प्रतिशत लोग हिन्दू हैं. वहीं राजपूतों की आबादी कुल आबादी का 32.72 फीसद है. पढ़िए हिमाचल की राजनीति का संक्षिप्त इतिहास...

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
हिमाचल की राजनीति में राजपूतों का दबदबा
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 18, 2024, 7:45 AM IST

Updated : Apr 19, 2024, 6:41 AM IST

शिमला: जातिगत समीकरणों को साधने के लिए जाति विशेष की राजनीति विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की सच्चाई है. छोटे पहाड़ी राज्य की राजनीति में राजपूतों का वर्चस्व देखा गया है. यहां डॉ. वाईएस परमार से लेकर ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएम रहे हैं. कुल सात नेताओं के हाथ में हिमाचल की कमान रही. इनमें से छह राजपूत वर्ग से संबंध रखते हैं. विधानसभा और संसद में ठाकुर राज देखने को मिलता है. यहां करीब हर दूसरा विधायक राजपूत ही चुनकर आता रहा है. बात चाहे विधानसभा की हो या फिर लोकसभा की.
सत्तर लाख से अधिक की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में 95.17 फीसदी लोग हिंदू धर्म से हैं. यहां सिक्ख, ईसाई व मुस्लिम धर्म को मानने वालों की संख्या कम है. हिमाचल में अब तक सिक्ख विधायक तो चुनकर विधानसभा में पहुंचे हैं, लेकिन मुस्लिम वर्ग से कोई विधायक नहीं हुआ है. यहां हिमाचल की राजनीति में जाति विशेष के नेताओं के वर्चस्व की पड़ताल करते हैं.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
हिमाचल के अबतक के सभी 07 मुख्यमंत्री (बाएं ऊपर से) हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ वाईएस परमार, रामलाल ठाकुर, शांता कुमार एवं नीचे बाएं से वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल, जयराम ठाकुर एवं हिमाचल के वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू


सात में से छह सीएम राजपूत
हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार राजपूत थे. उनके अलावा हिमाचल की कमान संभालने का मौका रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल, जयराम ठाकुर व सुखविंदर सिंह सुक्खू को मिला है. इनमें से सिर्फ शांता कुमार ब्राह्मण समुदाय से हैं. बाकी सभी नेता राजपूत जाति से रहे हैं. प्रदेश के पहले सीएम और मौजूदा सीएम राजपूत समुदाय से हैं. इस तरह मुख्यमंत्रियों की बात करें तो सभी ठाकुर रहे हैं.
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं. इनमें से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और तीन सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए हैं. बाकी सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं. इसी प्रकार लोकसभा की 04 सीटों में से शिमला सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
हिमाचल के एकमात्र ब्राह्मण मुख्यमंत्री रहे शांता कुमार

लोकसभा में भी चुनकर जाते रहे राजपूत नेता
हिमाचल की चार लोकसभा सीटों में से तीन सामान्य वर्ग के लिए है. इन सीटों पर भी राजपूत नेताओं का दबदबा रहा है. मंडी सीट पर जीतकर संसद पहुंचने वालों में वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह, महेश्वर सिंह तो राजपरिवारों से संबंध रखने वाले नेता रहे हैं. इसके अलावा पंडित सुखराम व रामस्वरूप शर्मा ब्राह्मण नेता रहे हैं. अब कंगना व विक्रमादित्य सिंह के बीच मुकाबला है. ये दोनों राजपूत हैं. मंडी से दमदार राजपूत नेताओं में गंगा सिंह ठाकुर, कर्म सिंह ठाकुर, कौल सिंह ठाकुर, महेंद्र सिंह ठाकुर, जयराम ठाकुर आदि का नाम आता है.
हमीरपुर सीट से संसद में पहुंचने वालों में प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे अनुराग ठाकुर का नाम है. पिता-पुत्र राजपूत वर्ग से हैं. इसी प्रकार कांगड़ा सीट से शांता कुमार ब्राह्मण नेता के रूप में केंद्र में मंत्री रहे. इस सीट से किशन कपूर गद्दी वर्ग से संबंध रखते हैं। यहां से चंद्र कुमार ओबीसी वर्ग से हैं और सांसद रहे हैं. शिमला सीट आरक्षित सीट है, लिहाजा यहां से अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले नेता चुनाव जीतते रहे हैं.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
बाएं से हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ वाईएस परमार एवं पूर्व मुख्यमंत्री रामलाल ठाकुर

विधानसभा में राजपूत नेताओं का वर्चस्व
हिमाचल विधानसभा में हमेशा से ही राजपूत नेताओं का वर्चस्व रहा है. मौजूदा विधानसभा की बात करें तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू राजपूत हैं तो डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण जाति से हैं. इसके अलावा कैबिनेट में हर्षवर्धन चौहान, रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह आदि राजपूत हैं. धनीराम शांडिल अनुसूचित जाति और जगत नेगी अनुसूचित जनजाति सीट पर जीतकर मंत्री बने हैं. विपक्ष में देखें तो नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर राजपूत हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष के मौजूदा समय में 62 सदस्यों में से 28 राजपूत हैं. छह सीटें खाली हैं. उनमें राजेंद्र राणा राजपूत हैं.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
बाएं से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एवं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह

हिमाचल में राजपूत व ब्राह्मण वर्ग प्रभावी
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार हिमाचल में कुल आबादी का 50.72 प्रतिशत सवर्ण वर्ग है. इसमें सबसे अधिक राजपूत आबादी है. हिमाचल में राजपूतों की आबादी का प्रतिशत कुल आबादी का 32.72 है. इसके अलावा करीब 18 प्रतिशत ब्राह्मण हैं. राज्य में एससी आबादी 25.22 प्रतिशत और एसटी आबादी 5.71 फीसदी है. इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंध रखने वालों की जनसंख्या 13.52 प्रतिशत है. राज्य में अल्पसंख्यकों की आबादी 4.83 फीसदी है.

RAJPUTS IN HIMACHAL POLITICS
हिमाचल का जातीय समीकरण

जयराम सरकार में भी रहा राजपूतों का वर्चस्व
पूर्व की जयराम सरकार में सीएम के अलावा ताकतवर कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर राजपूत वर्ग से थे. इसके अलावा वीरेंद्र कंवर, बिक्रम सिंह ठाकुर, गोविंद ठाकुर, राकेश पठानिया भी राजपूत थे. पिछली विधानसभा में राजपूत सदस्यों की संख्या 33 थी. इनमें से 18 भाजपा के थे. विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार पहले कैबिनेट मंत्री थे और बाद में स्पीकर बने, वे भी राजपूत हैं.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
बाएं से हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर

हिमाचल से इन राजपूत नेताओं ने किया राज
हिमाचल के बड़े राजपूत नेताओं की बात की जाए तो उनमें डॉ. वाईएस परमार, वीरभद्र सिंह, रामलाल ठाकुर, प्रेम कुमार धूमल, जयराम ठाकुर व सुखविंदर सिंह सुक्खू राजपूत सीएम रहे. इसके अलावा कद्दावर राजनेताओं में मंडी से कर्म सिंह ठाकुर, गंगा सिंह ठाकुर, कौल सिंह, गुलाब सिंह, महेंद्र सिंह, शिमला से जेबीएल खाची, रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह, कुल्लू से महेश्वर सिंह ठाकुर, कुंजलाल ठाकुर, कर्ण सिंह, गोविंद ठाकुर, सुंदर ठाकुर, सिरमौर से गुमान ठाकुर, हर्षवर्धन सिंह, कुश परमार, कांगड़ा से सुजान सिंह पठानिया, मेजर विजय सिंह मनकोटिया, राकेश पठानिया आदि का नाम शामिल है. बिलासपुर से रामलाल ठाकुर बड़े राजपूत नेता रहे. महिलाओं में प्रतिभा सिंह, आशा कुमारी, चंद्रेश कुमारी का नाम आता है.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल एवं वीरभद्र सिंह

ब्राह्मण नेताओं में इनका नाम अग्रणी
यदि ब्राह्मण नेताओं की बात की जाए तो शांता कुमार दो बार राज्य के सीएम रहे. वे केंद्र में भी मंत्री रहे. इस समय डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण वर्ग से हैं. इसके अलावा पंडित सुखराम, जेपी नड्डा, सुरेश भारद्वाज, राजेंद्र गर्ग, राजेश धर्माणी आदि मंत्री रहे हैं.

अनुसूचित, ओबीसी के रहे ये बड़े नेता
हिमाचल से अनुसूचित जाति से रूपदास कश्यप, सिंघी राम, डॉ. धनीराम शांडिल, डॉ. राजीव सैजल कैबिनेट मंत्री रहे हैं. सिक्खों में हरिनारायण सैणी भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. ओबीसी से चौधरी चंद्र कुमार, सरवीण चौधरी कैबिनेट मंत्री रहे हैं. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा के अनुसार जातिगत राजनीति के प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता. अब तक कुल छह सीएम राजपूत रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि जिस जाति की आबादी अधिक है, उसी को टिकट दिया जाता रहा है. हिमाचल में एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग से कैबिनेट मंत्री तो रहे हैं, लेकिन कोई सीएम नहीं बना है. अलबत्ता विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर जरूर एससी व एसटी वर्ग से संबंध रखने वाले नेता विराजमान हुए हैं.

ये भी पढ़ें:जयराम ठाकुर 5 साल अपने मोबाइल पर लगे रहे, योजनाएं बनाते तो अच्छा होता: सीएम सुक्खू

शिमला: जातिगत समीकरणों को साधने के लिए जाति विशेष की राजनीति विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की सच्चाई है. छोटे पहाड़ी राज्य की राजनीति में राजपूतों का वर्चस्व देखा गया है. यहां डॉ. वाईएस परमार से लेकर ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएम रहे हैं. कुल सात नेताओं के हाथ में हिमाचल की कमान रही. इनमें से छह राजपूत वर्ग से संबंध रखते हैं. विधानसभा और संसद में ठाकुर राज देखने को मिलता है. यहां करीब हर दूसरा विधायक राजपूत ही चुनकर आता रहा है. बात चाहे विधानसभा की हो या फिर लोकसभा की.
सत्तर लाख से अधिक की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में 95.17 फीसदी लोग हिंदू धर्म से हैं. यहां सिक्ख, ईसाई व मुस्लिम धर्म को मानने वालों की संख्या कम है. हिमाचल में अब तक सिक्ख विधायक तो चुनकर विधानसभा में पहुंचे हैं, लेकिन मुस्लिम वर्ग से कोई विधायक नहीं हुआ है. यहां हिमाचल की राजनीति में जाति विशेष के नेताओं के वर्चस्व की पड़ताल करते हैं.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
हिमाचल के अबतक के सभी 07 मुख्यमंत्री (बाएं ऊपर से) हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ वाईएस परमार, रामलाल ठाकुर, शांता कुमार एवं नीचे बाएं से वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल, जयराम ठाकुर एवं हिमाचल के वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू


सात में से छह सीएम राजपूत
हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार राजपूत थे. उनके अलावा हिमाचल की कमान संभालने का मौका रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल, जयराम ठाकुर व सुखविंदर सिंह सुक्खू को मिला है. इनमें से सिर्फ शांता कुमार ब्राह्मण समुदाय से हैं. बाकी सभी नेता राजपूत जाति से रहे हैं. प्रदेश के पहले सीएम और मौजूदा सीएम राजपूत समुदाय से हैं. इस तरह मुख्यमंत्रियों की बात करें तो सभी ठाकुर रहे हैं.
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं. इनमें से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और तीन सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए हैं. बाकी सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं. इसी प्रकार लोकसभा की 04 सीटों में से शिमला सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
हिमाचल के एकमात्र ब्राह्मण मुख्यमंत्री रहे शांता कुमार

लोकसभा में भी चुनकर जाते रहे राजपूत नेता
हिमाचल की चार लोकसभा सीटों में से तीन सामान्य वर्ग के लिए है. इन सीटों पर भी राजपूत नेताओं का दबदबा रहा है. मंडी सीट पर जीतकर संसद पहुंचने वालों में वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह, महेश्वर सिंह तो राजपरिवारों से संबंध रखने वाले नेता रहे हैं. इसके अलावा पंडित सुखराम व रामस्वरूप शर्मा ब्राह्मण नेता रहे हैं. अब कंगना व विक्रमादित्य सिंह के बीच मुकाबला है. ये दोनों राजपूत हैं. मंडी से दमदार राजपूत नेताओं में गंगा सिंह ठाकुर, कर्म सिंह ठाकुर, कौल सिंह ठाकुर, महेंद्र सिंह ठाकुर, जयराम ठाकुर आदि का नाम आता है.
हमीरपुर सीट से संसद में पहुंचने वालों में प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे अनुराग ठाकुर का नाम है. पिता-पुत्र राजपूत वर्ग से हैं. इसी प्रकार कांगड़ा सीट से शांता कुमार ब्राह्मण नेता के रूप में केंद्र में मंत्री रहे. इस सीट से किशन कपूर गद्दी वर्ग से संबंध रखते हैं। यहां से चंद्र कुमार ओबीसी वर्ग से हैं और सांसद रहे हैं. शिमला सीट आरक्षित सीट है, लिहाजा यहां से अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले नेता चुनाव जीतते रहे हैं.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
बाएं से हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ वाईएस परमार एवं पूर्व मुख्यमंत्री रामलाल ठाकुर

विधानसभा में राजपूत नेताओं का वर्चस्व
हिमाचल विधानसभा में हमेशा से ही राजपूत नेताओं का वर्चस्व रहा है. मौजूदा विधानसभा की बात करें तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू राजपूत हैं तो डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण जाति से हैं. इसके अलावा कैबिनेट में हर्षवर्धन चौहान, रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह आदि राजपूत हैं. धनीराम शांडिल अनुसूचित जाति और जगत नेगी अनुसूचित जनजाति सीट पर जीतकर मंत्री बने हैं. विपक्ष में देखें तो नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर राजपूत हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष के मौजूदा समय में 62 सदस्यों में से 28 राजपूत हैं. छह सीटें खाली हैं. उनमें राजेंद्र राणा राजपूत हैं.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
बाएं से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एवं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह

हिमाचल में राजपूत व ब्राह्मण वर्ग प्रभावी
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार हिमाचल में कुल आबादी का 50.72 प्रतिशत सवर्ण वर्ग है. इसमें सबसे अधिक राजपूत आबादी है. हिमाचल में राजपूतों की आबादी का प्रतिशत कुल आबादी का 32.72 है. इसके अलावा करीब 18 प्रतिशत ब्राह्मण हैं. राज्य में एससी आबादी 25.22 प्रतिशत और एसटी आबादी 5.71 फीसदी है. इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंध रखने वालों की जनसंख्या 13.52 प्रतिशत है. राज्य में अल्पसंख्यकों की आबादी 4.83 फीसदी है.

RAJPUTS IN HIMACHAL POLITICS
हिमाचल का जातीय समीकरण

जयराम सरकार में भी रहा राजपूतों का वर्चस्व
पूर्व की जयराम सरकार में सीएम के अलावा ताकतवर कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर राजपूत वर्ग से थे. इसके अलावा वीरेंद्र कंवर, बिक्रम सिंह ठाकुर, गोविंद ठाकुर, राकेश पठानिया भी राजपूत थे. पिछली विधानसभा में राजपूत सदस्यों की संख्या 33 थी. इनमें से 18 भाजपा के थे. विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार पहले कैबिनेट मंत्री थे और बाद में स्पीकर बने, वे भी राजपूत हैं.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
बाएं से हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर

हिमाचल से इन राजपूत नेताओं ने किया राज
हिमाचल के बड़े राजपूत नेताओं की बात की जाए तो उनमें डॉ. वाईएस परमार, वीरभद्र सिंह, रामलाल ठाकुर, प्रेम कुमार धूमल, जयराम ठाकुर व सुखविंदर सिंह सुक्खू राजपूत सीएम रहे. इसके अलावा कद्दावर राजनेताओं में मंडी से कर्म सिंह ठाकुर, गंगा सिंह ठाकुर, कौल सिंह, गुलाब सिंह, महेंद्र सिंह, शिमला से जेबीएल खाची, रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह, कुल्लू से महेश्वर सिंह ठाकुर, कुंजलाल ठाकुर, कर्ण सिंह, गोविंद ठाकुर, सुंदर ठाकुर, सिरमौर से गुमान ठाकुर, हर्षवर्धन सिंह, कुश परमार, कांगड़ा से सुजान सिंह पठानिया, मेजर विजय सिंह मनकोटिया, राकेश पठानिया आदि का नाम शामिल है. बिलासपुर से रामलाल ठाकुर बड़े राजपूत नेता रहे. महिलाओं में प्रतिभा सिंह, आशा कुमारी, चंद्रेश कुमारी का नाम आता है.

RAJPUTS DOMINANCE IN HIMACHAL
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल एवं वीरभद्र सिंह

ब्राह्मण नेताओं में इनका नाम अग्रणी
यदि ब्राह्मण नेताओं की बात की जाए तो शांता कुमार दो बार राज्य के सीएम रहे. वे केंद्र में भी मंत्री रहे. इस समय डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण वर्ग से हैं. इसके अलावा पंडित सुखराम, जेपी नड्डा, सुरेश भारद्वाज, राजेंद्र गर्ग, राजेश धर्माणी आदि मंत्री रहे हैं.

अनुसूचित, ओबीसी के रहे ये बड़े नेता
हिमाचल से अनुसूचित जाति से रूपदास कश्यप, सिंघी राम, डॉ. धनीराम शांडिल, डॉ. राजीव सैजल कैबिनेट मंत्री रहे हैं. सिक्खों में हरिनारायण सैणी भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. ओबीसी से चौधरी चंद्र कुमार, सरवीण चौधरी कैबिनेट मंत्री रहे हैं. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा के अनुसार जातिगत राजनीति के प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता. अब तक कुल छह सीएम राजपूत रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि जिस जाति की आबादी अधिक है, उसी को टिकट दिया जाता रहा है. हिमाचल में एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग से कैबिनेट मंत्री तो रहे हैं, लेकिन कोई सीएम नहीं बना है. अलबत्ता विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर जरूर एससी व एसटी वर्ग से संबंध रखने वाले नेता विराजमान हुए हैं.

ये भी पढ़ें:जयराम ठाकुर 5 साल अपने मोबाइल पर लगे रहे, योजनाएं बनाते तो अच्छा होता: सीएम सुक्खू

Last Updated : Apr 19, 2024, 6:41 AM IST
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