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शिमला के टिक्कर सीएचसी में डॉक्टर्स, नर्स और अन्य स्टाफ की कमी, हाईकोर्ट ने दो हफ्ते में खाली पद भरने के दिए आदेश

हिमाचल प्रदेश ने शिमला के टिक्कर सीएचसी में डॉक्टर्स, नर्सेज व अन्य स्टाफ के खाली पदों को दो हफ्ते में भरने के आदेश दिए.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

शिमला: जिला शिमला के टिक्कर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) में डॉक्टर्स, नर्सेज व अन्य स्टाफ के खाली पदों को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है. इस बारे में हाईकोर्ट ने दाखिल जनहित याचिका पर अदालत ने सरकार को दो हफ्ते में खाली पद भरने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उपरोक्त आदेश जारी किए. मामले में सरकार की ओर से अदालत में दाखिल किए गए जवाब का अवलोकन करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि जिला शिमला के टिक्कर सीएचसी की स्थिति दयनीय है.

हाईकोर्ट ने कहा कि जवाब का अवलोकन करने पर ये स्पष्ट पता चलता है कि सीएचसी में स्टाफ की कमी है. सीएचसी में मेडिकल ऑफिसर्स के तीन पद में से दो खाली हैं. यहां केवल एक ही मेडिकल ऑफिसर तैनात है. सीएचसी में न कोई चीफ फार्मासिस्ट है और न ही स्टाफ नर्स के सभी पद भरे हुए हैं. यहां स्टाफ नर्स के चार पदों में से केवल एक ही भरा हुआ है. सीएचसी में कोई आंखों का डॉक्टर नहीं है.

इसके अलावा कुल छह लिपिकों के स्थान पर केवल एक ही कार्यरत है. सीएचसी में कोई ओटीए यानी ऑपरेशन थियेटर सहायक नहीं है. इसके अलावा ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक और परामर्शदाता भी नहीं है. यहां दो डाटा एंट्री ऑपरेटर्स के स्थान पर केवल एक ही काम कर रहा है. वह भी आउटसोर्स आधार पर कार्यरत है.

कोर्ट ने कहा कि इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि ये सभी पद जो खाली पड़े हैं, फंक्शनल पद हैं. इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह इन पदों को तत्काल एक पखवाड़े के भीतर भरे. अदालत ने कहा कि ये सीएचसी एक बड़े इलाके की जनता की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करता है, लिहाजा जनहित में दाखिल किये गये मामले में मेडिकल स्टाफ की कमी के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है.

याचिका दाखिल करने वाले प्रार्थी की ओर से कहा गया है कि सीएचसी में डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों की भारी कमी है. इस दिशा में राज्य द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं. यहां खाली पदों को भरा जाना जरूरी है. फिलहाल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए दो हफ्ते का समय दिया है.

ये भी पढ़ें: दो साल से पूरा नहीं हुआ धर्मशाला में सीवरेज लाइन बिछाने का काम, विरोध कर रहे लोगों को नोटिस, हाईकोर्ट ने 2 हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

शिमला: जिला शिमला के टिक्कर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) में डॉक्टर्स, नर्सेज व अन्य स्टाफ के खाली पदों को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है. इस बारे में हाईकोर्ट ने दाखिल जनहित याचिका पर अदालत ने सरकार को दो हफ्ते में खाली पद भरने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उपरोक्त आदेश जारी किए. मामले में सरकार की ओर से अदालत में दाखिल किए गए जवाब का अवलोकन करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि जिला शिमला के टिक्कर सीएचसी की स्थिति दयनीय है.

हाईकोर्ट ने कहा कि जवाब का अवलोकन करने पर ये स्पष्ट पता चलता है कि सीएचसी में स्टाफ की कमी है. सीएचसी में मेडिकल ऑफिसर्स के तीन पद में से दो खाली हैं. यहां केवल एक ही मेडिकल ऑफिसर तैनात है. सीएचसी में न कोई चीफ फार्मासिस्ट है और न ही स्टाफ नर्स के सभी पद भरे हुए हैं. यहां स्टाफ नर्स के चार पदों में से केवल एक ही भरा हुआ है. सीएचसी में कोई आंखों का डॉक्टर नहीं है.

इसके अलावा कुल छह लिपिकों के स्थान पर केवल एक ही कार्यरत है. सीएचसी में कोई ओटीए यानी ऑपरेशन थियेटर सहायक नहीं है. इसके अलावा ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक और परामर्शदाता भी नहीं है. यहां दो डाटा एंट्री ऑपरेटर्स के स्थान पर केवल एक ही काम कर रहा है. वह भी आउटसोर्स आधार पर कार्यरत है.

कोर्ट ने कहा कि इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि ये सभी पद जो खाली पड़े हैं, फंक्शनल पद हैं. इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह इन पदों को तत्काल एक पखवाड़े के भीतर भरे. अदालत ने कहा कि ये सीएचसी एक बड़े इलाके की जनता की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करता है, लिहाजा जनहित में दाखिल किये गये मामले में मेडिकल स्टाफ की कमी के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है.

याचिका दाखिल करने वाले प्रार्थी की ओर से कहा गया है कि सीएचसी में डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों की भारी कमी है. इस दिशा में राज्य द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं. यहां खाली पदों को भरा जाना जरूरी है. फिलहाल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए दो हफ्ते का समय दिया है.

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