शिमला: सोलन से कैथलीघाट फोरलेन का निर्माण बिना डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार किए हुए ही कर दिया है. ये गंभीर आरोप सामने आने पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) से जवाब तलब किया है. एनएचएआई को दो हफ्ते में जवाब देना होगा. इसी प्रकार हाईकोर्ट के ध्यान में ये तथ्य भी आया है कि शिमला-मटौर फोरलेन में कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए एलाइनमेंट बदली गई है। इसे भी हाईकोर्ट ने गंभीर मुद्दा बताया है और एजेंसी से स्पष्टीकरण मांगा है.
हाईकोर्ट ने आरोपों को बताया गंभीर
उल्लेखनीय है कि सोलन से कैथलीघाट फोरलेन निर्माण को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. उस पर अदालत ने एमिकस क्यूरी यानी कोर्ट मित्र नियुक्त किया हुआ है. एमिकस क्यूरी ने हाईकोर्ट में एक आवेदन दाखिल कर अदालत को बताया कि सोलन से कैथलीघाट का निर्माण बिना डीपीआर के ही कर दिया गया है. कोर्ट मित्र के आवेदन में लगाए गए आरोपों को हाईकोर्ट ने गंभीर बताते हुए जवाब तलब किया है. अदालत में दाखिल कोर्ट मित्र के आवेदन के साथ संलग्न कुछ दस्तावेजों का अवलोकन करने पर हाईकोर्ट ने पाया कि संभवत: इस मामले में कोई डीपीआर तैयार नहीं की गई है, लेकिन भी सड़क निर्माण का कार्य जारी है. हैरानी की बात है कि निर्माण कार्य पूरा होने के कगार पर भी है.
14 अक्टूबर तक मांगा NHAI से जवाब
हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि बिना डीपीआर सड़क का निर्माण कैसे किया गया? अब हाईकोर्ट ने एनएचएआई से 2 हफ्ते के भीतर जवाब तलब किया है. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को शिमला-मटौर फोरलेन के निर्माण से जुड़ी अहम जानकारी भी दी गई. कोर्ट मित्र ने बताया कि इस फोरलेन सड़क के निर्माण में कुछ लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए शिमला से नौणी तक सड़क की एलाइनमेंट में परिवर्तन कर दिया गया है. कोर्ट ने इसे भी गंभीर मुद्दा बताया और एनएचएआई से 14 अक्टूबर तक इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा है.
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