शिमला: हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी से करीब तीन महीने का ड्राई स्पेल टूट गया है, लेकिन किसानों और बागवानों की चिंता अभी भी खत्म नहीं हुई है. प्रदेश के ऊंचाई और मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी और कम ऊंचाई व मैदानी क्षेत्रों में हल्की बारिश के कारण जमीन का तीन महीनों का सूखा खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में बारिश और बर्फबारी के बाद भी खेतों में बिजाई नहीं हो रही है.
अभी भी अच्छी बारिश-बर्फबारी का इंतजार
वहीं, बागवान भी जमीन में पर्याप्त नमी न होने के कारण बगीचों का काम नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में किसानों और बागवानों को अभी भी अच्छी बारिश और बर्फबारी का इंतजार है. किसानों के लिए चिंता की बात ये है कि प्रदेश में गेहूं की बिजाई का उचित समय बीत चुका है. हिमाचल में 15 नवंबर तक का समय ही गेहूं की बिजाई के लिए अच्छा माना गया है. जिसका असर अब गेहूं के उत्पादन पर पड़ने वाला है. वहीं, किसानों की लहसुन और प्याज की फसल पर भी सूखे की मार पड़ने लगी है.
गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा असर
हिमाचल प्रदेश में इस बार रबी सीजन में कृषि विभाग ने 3.24 लाख हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बिजाई का लक्ष्य तय किया है, लेकिन लंबे समय से बारिश न होने से मुश्किल से 15 से 20 फीसदी एरिया में ही गेहूं की बिजाई हुई है. प्रदेश में इस साल 620 लाख मीट्रिक टन गेहूं की पैदावार के उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है. ऐसे में बिजाई का समय बीतने से गेहूं उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करना काफी मुश्किल हो जाएगा. हिमाचल प्रदेश में कुल 9.97 लाख परिवार कृषि से जुड़े हैं. इसमें करीब 7.50 लाख परिवार गेहूं की बिजाई करते हैं.
किस जिला में कितने हेक्टेयर भूमि पर बिजाई का लक्ष्य
हिमाचल में इस बार 3.24 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई का लक्ष्य रखा गया है. इसमें सबसे अधिक कांगड़ा में 92 हजार हेक्टेयर, बिलासपुर में 23 हजार हेक्टेयर, चंबा में 17 हजार हेक्टेयर, हमीरपुर में 28 हजार हेक्टेयर, किन्नौर में 0.40 हजार हेक्टेयर, कुल्लू में 16.50 हजार हेक्टेयर, लाहौल स्पीति में 0.10 हजार हेक्टेयर, मंडी में 60 हजार हेक्टेयर, शिमला में 14 हजार हेक्टेयर, सिरमौर में 27.70 हजार हेक्टेयर, सोलन में 20.30 हजार हेक्टेयर व ऊना जिले में 27 हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बिजाई का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन इन सभी जिलों में मुश्किल से 20 फीसदी एरिया में ही गेहूं की बिजाई हो पाई है.
1.14 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा
हिमाचल में रबी और खरीफ सीजन में कुल 9,59,223 हेक्टेयर भूमि पर बिजाई की जाती है. इसमें 5,47,556 हेक्टेयर एरिया में एक बार बिजाई कर फसल की जाती है. इसके अलावा 4,11,667 हेक्टेयर एरिया ऐसा है. जिस पर एक से अधिक बार बिजाई की जाती है. प्रदेश में 1,14,381 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. यानी प्रदेश में 11.92 फीसदी कृषि योग्य भूमि सिंचाई के दायरे में आती है. वहीं, प्रदेश में 88.08 फीसदी कृषि योग्य भूमि बारिश पर निर्भर है. किसान रोशन लाल और महेश का कहना है बिजाई के लिए गेहूं खरीद रखा है, लेकिन लंबे समय से बारिश न होने की वजह से बिजाई नहीं कर पा रहे हैं. अभी हल्की बारिश उसका भी बिजाई के लिए कोई लाभ नहीं हैं. जमीन में सूखा अभी समाप्त नहीं हुआ है.
रबी सीजन में इन फसलों की बिजाई
हिमाचल प्रदेश में रबी सीजन में गेहूं प्रमुख फसल है. इसके अलावा इस मौसम में मटर, आलू, सरसों, पालक, मूली, चना, मसूर, अलसी, तारामीरा व धनिया की बिजाई की जाती है. वहीं, इन दिनों फूल गोभी, बंद गोभी, ब्रोकली व प्याज की पनीरी भी तैयार है, लेकिन इसकी रोपाई के लिए भी किसानों को अच्छी बारिश का इंतजार है. प्रदेश में 88.08 फीसदी कृषि योग्य भूमि बारिश पर निर्भर है. ऐसे में लंबे समय से जारी सूखे के चलते जमीन से नमी गायब है. इस कारण अभी तक किसान फसलों की बिजाई नहीं कर पाए हैं.
कृषि विशेषज्ञ रामकृष्ण चौहान का कहना है, "हिमाचल प्रदेश में भले ही बारिश और बर्फबारी से ड्राई स्पेल टूटा है, लेकिन लंबे समय से चले आ रहे सूखे से निपटने के लिए अच्छी बारिश और बर्फबारी की जरूरत है, ताकि जमीन में पर्याप्त नमी होने से किसान फसलों की बिजाई कर सकें. प्रदेश में गेहूं की बिजाई का उपयुक्त समय निकल चुका है."