शिमला: हिमाचल प्रदेश में पिछले डेढ़ महीने से लगातार सूखे के हालत बने हुए हैं. पोस्ट मानसून सीजन में अब तक बारिश न होने से जमीन सूखी पड़ी है. प्रदेश में 15 नवंबर तक का समय गेहूं की बिजाई के लिए उपयुक्त माना जाता है, लेकिन जमीन में पर्याप्त नमी न होने से किसानों के चेहरों पर गेहूं सहित रबी सीजन में बोई जाने वाली अन्य फसलों की बिजाई की चिंता नजर आ रही है. पोस्ट मानसून सीजन में अच्छी बारिश होने से अक्टूबर महीने में गेहूं की बिजाई का काम शुरू हो जाता था, लेकिन अबकी बार बारिश न होने से प्रदेश में मुश्किल से 15 फीसदी एरिया में ही गेहूं की बिजाई हुई है. हिमाचल में इस बार रबी सीजन में 3.24 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा असर
हिमाचल प्रदेश में इस बार रबी सीजन में कृषि विभाग ने 3.24 लाख हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बिजाई का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन पोस्ट मानसून सीजन में पिछले डेढ़ महीने से बारिश न होने से मुश्किल से 15 फीसदी एरिया में ही गेहूं की बिजाई हुई है. ऐसे में अगर 15 नवंबर तक बारिश नहीं होती है तो प्रदेश में गेहूं की बिजाई का उपयुक्त समय बीत जाएगा. जिसका असर गेहूं के उत्पादन पर पड़ सकता है. प्रदेश में इस साल 620 लाख मीट्रिक टन गेहूं की पैदावार उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है. ऐसे में देरी से बिजाई होने के कारण गेहूं उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करना काफी मुश्किल हो जाएगा. हिमाचल प्रदेश में कुल 9.97 लाख परिवार कृषि से जुड़े हैं. इसमें करीब 7.50 लाख परिवार गेहूं की बिजाई करते हैं.
किस जिले में कितने हेक्टेयर भूमि पर बिजाई का लक्ष्य
हिमाचल में इस बार 3.24 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई का लक्ष्य रखा गया है. इसमें जिला बिलासपुर में 23 हजार हेक्टेयर, चंबा में 17 हजार हेक्टेयर, हमीरपुर में 28 हजार, कांगड़ा में 92 हजार, किन्नौर में 0.40 हजार, कुल्लू में 16.50 हजार, लाहौल स्पीति में 0.10 हजार, मंडी में 60 हजार, शिमला में 14 हजार, सिरमौर में 27.70 हजार, सोलन में 20.30 हजार व ऊना जिले में 27 हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बिजाई का लक्ष्य निर्धारित किया है.
जिला | गेहूं की बिजाई का लक्ष्य (भूमि) |
बिलासपुर | 23 हजार हेक्टेयर |
चंबा | 17 हजार हेक्टेयर |
हमीरपुर | 28 हजार हेक्टेयर |
कांगड़ा | 92 हजार हेक्टेयर |
किन्नौर | 0.40 हजार हेक्टेयर |
कुल्लू | 16.50 हजार हेक्टेयर |
लाहौल-स्पीति | 0.10 हजार हेक्टेयर |
मंडी | 60 हजार हेक्टेयर |
शिमला | 14 हजार हेक्टेयर |
सिरमौर | 27.70 हजार हेक्टेयर |
सोलन | 20.30 हजार हेक्टेयर |
ऊना | 27 हजार हेक्टेयर |
1.14 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा
हिमाचल में रबी और खरीफ सीजन में कुल 9,59,223 हेक्टेयर भूमि पर बिजाई की जाती है. इसमें 5,47,556 हेक्टेयर एरिया में एक बार बिजाई कर फसल की जाती है. इसके अलावा 4,11,667 हेक्टेयर एरिया ऐसा है, जिस पर एक से अधिक बार बिजाई की जाती है. प्रदेश में 1,14,381 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. यानी प्रदेश में 11.92 फीसदी कृषि योग्य भूमि सिंचाई के दायरे में आती है. वहीं, हिमाचल में 88.08 फीसदी कृषि योग्य भूमि बारिश पर निर्भर है. किसान रमेश कुमार का कहना है, "गेहूं का बीज पहले ही खरीद कर रख लिया है, लेकिन बारिश न होने की वजह से अभी तक गेहूं की बिजाई नहीं कर पाए हैं.
रबी सीजन में इन फसलों की बिजाई
हिमाचल प्रदेश में रबी सीजन में गेहूं प्रमुख फसल है. इसके अलावा इस मौसम में मटर, आलू, सरसों, पालक, मूली, चना, मसूर, अलसी, तारामीरा व धनिया की बिजाई की जाती है. वहीं, इन दिनों फूल गोभी, बंद गोभी, ब्रोकली व प्याज की पनीरी के लिए भी उपयुक्त समय है. हिमाचल में 88.08 फीसदी कृषि योग्य भूमि बारिश पर आधारित है. ऐसे में लंबे समय से जारी सूखे के चलते जमीन से नमी गायब है. इस कारण अभी तक किसान फसलों की बिजाई नहीं कर पाए हैं.
कृषि विभाग की निदेशक कुमुद सिंह का कहना है, "हिमाचल प्रदेश में गेहूं की बिजाई के लिए 15 नवंबर तक का समय उपयुक्त माना गया है, लेकिन बारिश न होने से किसान बिजाई नहीं कर पा रहे हैं. अगर समय पर बारिश नहीं होती है तो इसका सीधा असर गेहूं की पैदावार पर पड़ेगा."