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सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल कांग्रेस के बागियों से पूछा- "हाइकोर्ट क्यों नहीं गए ?, ये मौलिक अधिकार नहीं"

SC on Himachal Congress Rebel MLAs : हिमाचल प्रदेश के बागी कांग्रेस विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि इस मामलो को लेकर हाइकोर्ट में क्यों नहीं गए ? स्पीकर के अयोग्य करार देने के फैसले के खिलाफ बागियों की याचिका पर अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी.

Supreme Court of India
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 1:49 PM IST

Updated : Mar 12, 2024, 2:49 PM IST

दिल्ली: मंगलवार को हिमाचल कांग्रेस के अयोग्य विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों से पूछा है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा स्पीकर की कार्रवाई से उनके किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है ? अब इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी.

"हाइकोर्ट क्यों नहीं गए ?"

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने विधायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सत्य पाल जैन से पूछा कि याचिकाकर्ताओं ने हिमाचल हाइकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया. गौरतलब है कि हिमाचल में राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने और पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ वोट करने के लिए कांग्रेस के 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था. जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि इस फैसले से किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है.

"ये मौलिक अधिकार नहीं"

बागी कांग्रेस विधायकों की ओर से वकील सत्य पाल जैन ने पीठ के समक्ष कहा कि यह उन दुर्लभ मामलों में से एक है जहां विधायकों को 18 घंटे के भीतर अयोग्य घोषित कर दिया गया है. पीठ ने वकील से पूछा, यहां किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है? वकील ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ताओं को लोगों द्वारा विधिवत चुना गया है. पीठ ने कहा कि यह मौलिक अधिकार नहीं है. दलीलें सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की आगे की सुनवाई सोमवार को तय की है. अब इस मामले पर सुनवाई सोमवार को होगी.

इन 6 विधायकों को स्पीकर ने किया था अयोग्य घोषित
इन 6 विधायकों को स्पीकर ने किया था अयोग्य घोषित

स्पीकर ने किया था 6 विधायकों को अयोग्य घोषित

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने 29 फरवरी, 2024 को व्हिप का उल्लंघन करने पर 6 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. दरअसल 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान इन 6 विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन करते हुए क्रॉस वोटिंग की थी. राज्यसभा चुनाव में जो सीट सीधे कांग्रेस की झोली में जा रही थी. इन विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन की जीत हो गई. जिसके बाद स्पीकर ने विधायक राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर, इंदर दत्त लखनपाल और देवेंद्र भुट्टो को अयोग्य घोषित कर दिया.

18 मार्च को होगी सुनवाई

स्पीकर के इसी फैसले को इन अयोग्य करार दिए गए विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर कर छह विधायकों की अयोग्यता पर कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुने जाने की मांग की है. अयोग्य ठहराए गए विधायकों ने अदालत के समक्ष अपनी याचिका में नोटिस का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिए जाने के फैसले पर सवाल उठाया है. विधायकों ने अपनी याचिका में स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें अयोग्यता आदेश पर प्रतिक्रिया देने का मौका नहीं दिया गया. अब इस मामले की सुनवाई सोमवार 18 मार्च को होगी.

ये भी पढ़ें: बागी विधायकों के पाप गंगा मैया भी नहीं धो पाएंगी, हिमाचल में नहीं चलेगी बिकने की राजनीति- CM सुक्खू

दिल्ली: मंगलवार को हिमाचल कांग्रेस के अयोग्य विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों से पूछा है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा स्पीकर की कार्रवाई से उनके किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है ? अब इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी.

"हाइकोर्ट क्यों नहीं गए ?"

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने विधायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सत्य पाल जैन से पूछा कि याचिकाकर्ताओं ने हिमाचल हाइकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया. गौरतलब है कि हिमाचल में राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने और पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ वोट करने के लिए कांग्रेस के 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था. जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि इस फैसले से किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है.

"ये मौलिक अधिकार नहीं"

बागी कांग्रेस विधायकों की ओर से वकील सत्य पाल जैन ने पीठ के समक्ष कहा कि यह उन दुर्लभ मामलों में से एक है जहां विधायकों को 18 घंटे के भीतर अयोग्य घोषित कर दिया गया है. पीठ ने वकील से पूछा, यहां किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है? वकील ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ताओं को लोगों द्वारा विधिवत चुना गया है. पीठ ने कहा कि यह मौलिक अधिकार नहीं है. दलीलें सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की आगे की सुनवाई सोमवार को तय की है. अब इस मामले पर सुनवाई सोमवार को होगी.

इन 6 विधायकों को स्पीकर ने किया था अयोग्य घोषित
इन 6 विधायकों को स्पीकर ने किया था अयोग्य घोषित

स्पीकर ने किया था 6 विधायकों को अयोग्य घोषित

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने 29 फरवरी, 2024 को व्हिप का उल्लंघन करने पर 6 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. दरअसल 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान इन 6 विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन करते हुए क्रॉस वोटिंग की थी. राज्यसभा चुनाव में जो सीट सीधे कांग्रेस की झोली में जा रही थी. इन विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन की जीत हो गई. जिसके बाद स्पीकर ने विधायक राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर, इंदर दत्त लखनपाल और देवेंद्र भुट्टो को अयोग्य घोषित कर दिया.

18 मार्च को होगी सुनवाई

स्पीकर के इसी फैसले को इन अयोग्य करार दिए गए विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर कर छह विधायकों की अयोग्यता पर कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुने जाने की मांग की है. अयोग्य ठहराए गए विधायकों ने अदालत के समक्ष अपनी याचिका में नोटिस का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिए जाने के फैसले पर सवाल उठाया है. विधायकों ने अपनी याचिका में स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें अयोग्यता आदेश पर प्रतिक्रिया देने का मौका नहीं दिया गया. अब इस मामले की सुनवाई सोमवार 18 मार्च को होगी.

ये भी पढ़ें: बागी विधायकों के पाप गंगा मैया भी नहीं धो पाएंगी, हिमाचल में नहीं चलेगी बिकने की राजनीति- CM सुक्खू

Last Updated : Mar 12, 2024, 2:49 PM IST
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