शिमला: हिमाचल प्रदेश के राजभवन में प्रभु श्री राम विराजे हैं. शिमला स्थित राजभवन में प्रभु श्रीराम की पीतल से बनी मनोहारी प्रतिमा स्थापित की गई है. विधि-विधान से प्रतिमा की स्थापना की गई है. ये मूर्ति चंबा के कारीगर गौरव प्रधान ने बनाई है.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश राजभवन में पहले से ही राम भक्त हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है. अब बजरंग बली के आराध्य प्रभु श्रीराम की मूर्ति की स्थापना भी हो गई है. मूर्ति स्थापना में शिमला के जाखू मंदिर के पुजारियों ने सहयोग प्रदान किया.
विधि-विधान से मंत्रोच्चारण के साथ मूर्ति की स्थापना की गई. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद राजभवन में हवन का आयोजन किया गया. प्रतिमा के निर्माण में लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला ने एक लाख रुपये का अंशदान दिया.
शेष राशि राज्यपाल के स्वैच्छिक कोष से दी गई है. राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा राजभवन में पहले से ही वीर हनुमान जी की मूर्ति विराजमान है. अब उनके आराध्य प्रभु श्रीराम की मूर्ति स्थापित होने से मंगलमय वातावरण हुआ है. जाखू मंदिर के पुजारियों बीपी शर्मा, हरिनंद शर्मा व सौम्य शर्मा सहित आचार्य अनिल शास्त्री ने पूजा संपन्न करवाने में सहयोग किया.
राज्यपाल देवव्रत के समय में होता रहा है यज्ञ
हिमाचल राजभवन में आचार्य देवव्रत के कार्यकाल के दौरान यज्ञ होता रहा है. इसके अलावा राजभवन में गौपालन भी शुरू किया गया था. राजभवन में पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार के समय तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल शामिल हुए थे. वर्ष 2016 में हिमाचल राजभवन में यज्ञशाला की स्थापना की गई थी.
यज्ञशाला की स्थापना के समय आयोजित हवन में तब के सीएम वीरभद्र सिंह, नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल, प्रतिभा सिंह, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल आदि शामिल हुए थे. उस दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत के इस प्रयास की सराहना की थी. आचार्य देवव्रत के समय ही राजभवन से बार यानी शराबखाना हटाया गया था और गौशाला बनाई गई थी.
देशी नस्ल की गाय उस समय से ही राजभवन में पाली जाना शुरू हुई थी. राजभवन में अंग्रेज हुकूमत के समय स्थापित शराबखाने को आचार्य देवव्रत के समय में हटाया गया था. अब राजभवन में शराबखाना यानी बार नहीं है. इस बार में मेहमानों को मदिरा परोसी जाती थी. अब राजभवन में प्रभु श्रीराम की प्रतिमा स्थापित हुई है.
ये भी पढ़ें: तारा देवी मंदिर में आज से टौर के पत्तल में परोसा जाएगा लंगर, जानें हिमाचली संस्कृति में क्या है इसका महत्व?