हल्द्वानी: सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल हल्द्वानी में ओपीडी यानी बाह्य रोगी विभाग में रसीद घोटाले का मामला सुर्खियों में है. अब सुशीला तिवारी अस्पताल प्रशासन ने इस घोटाले में शामिल कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. अस्पताल प्रशासन ने गंभीर लापरवाही मानते हुए घोटाले में शामिल कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने को लेकर भी निदेशालय को पत्र भेज दिया है.
मार्च महीने में घोटाले का हुआ था खुलासा: दरअसल, मार्च के पहले हफ्ते में सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में लाखों रुपए के गबन का मामला सामने आया था. जिसमें कुछ कर्मचारियों पर आरोप लगा था कि खून, एक्स रे, एमआरआई समेत अन्य जांचों के नाम पर मरीजों से फीस तो ली गई, लेकिन मेडिकल कॉलेज के खाते में जमा नहीं किए गए.
महिला कर्मी से रिकवर किए गए 7 लाख 77 हजार रुपए: वहीं, मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने जांच की तो एक महिला कर्मी के घर से कई रसीद बुकें बरामद हुई. जिसके बाद कर्मचारी को बिलिंग काउंटर से हटाकर उससे दो किस्तों में 7 लाख 77 हजार रुपए रिकवर भी किए गए. दूसरी ओर दो अन्य महिला कर्मचारियों की गंभीर लापरवाही मानते हुए कॉलेज प्रशासन ने उनकी सेवाएं समाप्त करने को लेकर भी निदेशालय को पत्र भेज दिया है.
मामले में जांच अधिकारी वित्त नियंत्रक सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि अभी तक की जांच में उपनल कर्मी दोषी पाई गई है, जो आउटसोर्सिंग के माध्यम से सुशीला तिवारी अस्पताल में तैनात थी. अग्रिम कार्रवाई के लिए आउटसोर्सिंग कंपनी को भेजा गया है. पंजीकरण प्रभारी महिला कर्मी की भी गलती है, जिन्होंने रसीदों की गणना का ध्यान नहीं रखा.
इसके अलावा सुशीला तिवारी अस्पताल के दो महिला कर्मचारियों की इस मामले में लापरवाही भी सामने आई है. जहां इन दोनों महिला कर्मचारी की सेवा समाप्ति के लिए निदेशालय को पत्र लिखा गया है. साथ ही उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की सरकारी पैसे के गबन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके अलावा अन्य वित्तीय संबंधी कार्यों की जांच भी कराई जा रही है.
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