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इको सेंसिटिव जोन के सख्त नियमों के चलते नहीं हो पा रहा सड़क का निर्माण, अधिकारी दे रहे ये दलील - Uttarkashi eco sensitive zone - UTTARKASHI ECO SENSITIVE ZONE

Uttarkashi Eco Sensitive Zone इको सेंसिटिव जोन के सख्त नियमों के चलते विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं. जिसका लंबे समय से खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. साथ ही इसका असर पर्यटन व्यवसाय पर भी पड़ रहा है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 27, 2024, 5:03 PM IST

उत्तरकाशी: इको सेंसिटिव जोन के सख्त नियमों के चलते भटवाड़ी विकासखंड में सड़क और हेलीपैड का निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है. जिस कारण ग्रामीणों सहित स्थानीय पर्यटन और चारधाम यात्रा पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. वहीं लंबे समय से इको सेंसिटिव जोन कमेटी की बैठक न होने के कारण इनकी प्रक्रिया में देरी हो रही है.

उत्तरकाशी जनपद में जिला मुख्यालय से गंगोत्री तक का 100 किमी का क्षेत्र इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत आता है. इसलिए यहां पर भागीरथी के किनारे या वनाच्छादित क्षेत्र में निर्माण के लिए इको सेंसिटिव जोन कमेटी की स्वीकृति अनिवार्य है. वहीं इसमें पर्यावरण संरक्षण के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं. जिससे भटवाड़ी विकासखंड में सड़कों सहित हेलीपैड के निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है. इन कार्याें में सबसे महत्वपूर्ण गंगोत्री हेलीपैड सहित भटवाड़ी विकासखंड के दूरस्थ गांव जौड़ाव और हुर्री का सड़क निर्माण महत्वपूर्ण है. लोक निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिलंग जौड़ाव सहित गंगनानी-हुर्री और बार्सू-चिलोथरा मोटर,जसपुर-पुराली मार्ग निर्माण के लिए शासन की ओर से प्रथम स्तर की स्वीकृति मिल गई है.
पढ़ें-नंधौर इको सेंसिटिव जोन में माइनिंग पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब

लेकन इको सेंसिटिव जोन कमेटी की स्वीकृति मिलना अभी बाकी है. क्योंकि उसके बाद इसे वन भूमि हस्तांतरण के लिए भेजा जा सकता है. वहीं गंगोत्री में हेलीपैड की भूमि भी इको सेंसिटिव जोन और गंगोत्री नेशनल पार्क के सख्त नियमों के कारण भूमि हस्तांतरण नहीं हो पा रहा है. जिसका असर चारधाम यात्रा पर सहित आपदा कालीन समय में देखने को मिलता है. वहीं सड़कें न बनने के कारण ग्रामीण आज भी 10 से 15 किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती है.

इको सेंसिटिव जोन कमेटी की बैठक मुख्य सचिव के निर्देश और अध्यक्षता में आयोजित की जाती है. बीच में बैठक किन्हीं कारणों से स्थगित की गई थी. मुख्य सचिव से दोबारा बैठक के लिए अनुरोध किया जाएगा. भटवाड़ी विकासखंड के सभी सड़कों और हेलीपैड के प्रस्ताव तैयार किए गए हैं. जिन्हें स्वीकृति के लिए बैठक में रखा जाएगा. डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट, डीएम उत्तरकाशी

उत्तरकाशी: इको सेंसिटिव जोन के सख्त नियमों के चलते भटवाड़ी विकासखंड में सड़क और हेलीपैड का निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है. जिस कारण ग्रामीणों सहित स्थानीय पर्यटन और चारधाम यात्रा पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. वहीं लंबे समय से इको सेंसिटिव जोन कमेटी की बैठक न होने के कारण इनकी प्रक्रिया में देरी हो रही है.

उत्तरकाशी जनपद में जिला मुख्यालय से गंगोत्री तक का 100 किमी का क्षेत्र इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत आता है. इसलिए यहां पर भागीरथी के किनारे या वनाच्छादित क्षेत्र में निर्माण के लिए इको सेंसिटिव जोन कमेटी की स्वीकृति अनिवार्य है. वहीं इसमें पर्यावरण संरक्षण के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं. जिससे भटवाड़ी विकासखंड में सड़कों सहित हेलीपैड के निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है. इन कार्याें में सबसे महत्वपूर्ण गंगोत्री हेलीपैड सहित भटवाड़ी विकासखंड के दूरस्थ गांव जौड़ाव और हुर्री का सड़क निर्माण महत्वपूर्ण है. लोक निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिलंग जौड़ाव सहित गंगनानी-हुर्री और बार्सू-चिलोथरा मोटर,जसपुर-पुराली मार्ग निर्माण के लिए शासन की ओर से प्रथम स्तर की स्वीकृति मिल गई है.
पढ़ें-नंधौर इको सेंसिटिव जोन में माइनिंग पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब

लेकन इको सेंसिटिव जोन कमेटी की स्वीकृति मिलना अभी बाकी है. क्योंकि उसके बाद इसे वन भूमि हस्तांतरण के लिए भेजा जा सकता है. वहीं गंगोत्री में हेलीपैड की भूमि भी इको सेंसिटिव जोन और गंगोत्री नेशनल पार्क के सख्त नियमों के कारण भूमि हस्तांतरण नहीं हो पा रहा है. जिसका असर चारधाम यात्रा पर सहित आपदा कालीन समय में देखने को मिलता है. वहीं सड़कें न बनने के कारण ग्रामीण आज भी 10 से 15 किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती है.

इको सेंसिटिव जोन कमेटी की बैठक मुख्य सचिव के निर्देश और अध्यक्षता में आयोजित की जाती है. बीच में बैठक किन्हीं कारणों से स्थगित की गई थी. मुख्य सचिव से दोबारा बैठक के लिए अनुरोध किया जाएगा. भटवाड़ी विकासखंड के सभी सड़कों और हेलीपैड के प्रस्ताव तैयार किए गए हैं. जिन्हें स्वीकृति के लिए बैठक में रखा जाएगा. डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट, डीएम उत्तरकाशी

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