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हेल्थ से पता लगेगा कि आप गाड़ी चला सकते हैं या नहीं; ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल के लिए डॉक्टर देंगे सर्टिफिकेट, जानिए प्रोसेस - DRIVING LICENSE RENEWAL

प्रदेश में अब बिना मेडिकल सर्टिफिकेट के ड्राइविंग लाइसेंस का रिन्यूअल नहीं हो सकेगा.

ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल के लिए डॉक्टर से कराना पड़ेगा चेकअप.
ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल के लिए डॉक्टर से कराना पड़ेगा चेकअप. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 27, 2025, 7:58 PM IST

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के विधायक फहीम इरफान ने हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान परिवहन मंत्री से सवाल किया. उन्होंने पूछा- क्या प्रदेश के परिवहन कार्यालय से ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में अभ्यर्थी की तरफ से दाखिल स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की सत्यता जांचने की व्यवस्था है.

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जो मेडिकल सर्टिफिकेट लगता है वह कहां से बनता है और मेडिकल बनवाने की क्या व्यवस्था है? साथ ही किन डॉक्टरों से मेडिकल बनवाया जाता है. इसके बाद प्रदेश भर में नामित डॉक्टर को मेडिकल के लिए नियुक्त कराए जाने की परिवहन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है.

नियमों को सख्ती से लागू करने की तैयारी : परिवहन विभाग अब ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों को सख्ती से लागू करने की तैयारी कर रहा है. लाइसेंस का रिन्यूअल बिना मेडिकल जांच के संभव नहीं हो पाएगा. अभी तक कहीं से मेडिकल कराकर लोग ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लेते थे.

पैनल में सरकारी अस्पताल के डॉक्टर : परिवहन विभाग की तरफ से लखनऊ में दर्जन भर से ज्यादा सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को मेडिकल के लिए पैनल में शामिल किया जा रहा है. इनमें से चार अस्पतालों में डॉक्टर की नियुक्ति भी हो गई है. इन्हीं से मेडिकल कराना होगा और यही मेडिकल मान्य होगा.

डॉक्टर ही अपलोड करेंगे सर्टिफिकेट: मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) की तरफ से तय किया गया डॉक्टरों का पैनल ही स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अपलोड करेगा. इसके बाद ही रिन्यूअल लाइसेंस अप्रूव हो पाएगा. मेडिकल करने के बाद डॉक्टर खुद ही परिवहन विभाग के पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड करेंगे. ये नई व्यवस्था लागू की जा रही है.

उम्र संबंधी दिक्कतों की होगी जांच: डीएल रिन्यूअल के दौरान डॉक्टर की ओर से उम्र के मुताबिक जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की जरूरत होती है. इसके पीछे मकसद होता है कि नवीनीकरण के समय आवेदक को स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत तो नहीं है. उसके स्वास्थ्य की जांच की जाती है. आंखों की जांच, कान की जांच, हाथ और पैरों से पूरी तरह स्वस्थ है, इसकी जांच की जाती है.

हार्टबीट भी मापी जाती है. इसके बाद ही हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. अभी तक की व्यवस्था के अनुसार यह प्रमाण पत्र मैनुअल जमा होता था, अब चूंकि आरटीओ की सेवाओं को ऑनलाइन किया जा रहा है, इसीलिए व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है.

12 डॉक्टरों के पैनल पर विचार : लखनऊ आरटीओ के अधिकारियों के मुताबिक, इस नई व्यवस्था के तहत लखनऊ में 12 से ज्यादा डॉक्टरों का पैनल होगा. सीएमओ की तरफ से जब इन डॉक्टरों का निर्धारण हो जाएगा, तो ऑनलाइन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी. साथ ही आवेदकों की जानकारी के लिए डॉक्टर किस अस्पताल में कहां बैठते हैं, इसकी भी डिटेल जारी की जाएगी, जिससे आवेदकों को किसी प्रकार की समस्या न हो.

लखनऊ में चार डॉक्टरों की हुई तैनाती : लखनऊ आरटीओ कार्यालय की तरफ से मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए चार डॉक्टरों की तैनाती फिलहाल कर दी गई है. इनमें से सीएचसी काकोरी में डॉक्टर अंशुल किशोर गौतम, सीएचसी सरोजनीनगर में डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार मौर्य, कंबाइंड हॉस्पिटल ठाकुरगंज में डॉक्टर रंजना बाला और डॉक्टर परमात्मानंद अहिरवार को पैनल में शामिल किया गया है.

कब पड़ती है मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता : बता दें कि 50 साल या उससे ज्यादा आयु के व्यक्तियों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत होती है. व्यावसायिक लाइसेंस बनवाने और लाइसेंस के रिन्यूअल के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है.

विशेष परिस्थितियों में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के डीएल बनने में भी मेडिकल प्रमाण पत्र लगता है. ऐसे में आवेदक मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाते रहते हैं और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार तो ऐसा भी सामने आया कि कई आवेदक फर्जी प्रमाण पत्र भी सहायक संभागीय कार्यालय में जमा करा देते थे, लेकिन अब इस पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है.

हर माह जारी होते हैं 60000 से ज्यादा लाइसेंस : 50 साल से ऊपर की उम्र के व्यक्तियों को अपना ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल कराने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ती है. अगर पूरे प्रदेश में हर माह इस आयु वर्ग के ड्राइविंग लाइसेंस जारी होने के आंकड़े की बात की जाए तो यह 60000 के करीब है. हर रोज 3000 रिन्यूअल ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाते हैं. लखनऊ में रिन्यूअल ड्राइविंग लाइसेंस का स्लॉट 201 व्यक्तियों का है.

लखनऊ के एआरटीओ (प्रशासन) प्रदीप कुमार सिंह का कहना है कि लखनऊ में डॉक्टरों का पैनल बनाया जा रहा है. अभी तक सीएमओ की तरफ से चार डॉक्टरों को तैनात किया गया है. शेष डॉक्टरों की तैनाती भी जल्द कराई जाएगी.

ऑनलाइन व्यवस्थाओं को फूलप्रूफ करने की दिशा में यह कदम अहम है. डॉक्टरों को सारथी पोर्टल की एक लॉग इन आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा. डॉक्टरों की पूरी सूची जारी होने के बाद इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें: परिवहन विभाग बड़े बकायेदारों के नाम सोशल मीडिया पर प्रसारित कराएगा - DEFAULTERS OF TRANSPORT DEPARTMENT

यह भी पढ़ें: गजब! RTO जारी कर रहा एक्सपायर्ड ड्राइविंग लाइसेंस; रिनुअल होते ही वैधता खत्म, आवेदक का पैसा हजम - Driving Licenses Validity Issue - DRIVING LICENSES VALIDITY ISSUE



लखनऊ : समाजवादी पार्टी के विधायक फहीम इरफान ने हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान परिवहन मंत्री से सवाल किया. उन्होंने पूछा- क्या प्रदेश के परिवहन कार्यालय से ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में अभ्यर्थी की तरफ से दाखिल स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की सत्यता जांचने की व्यवस्था है.

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जो मेडिकल सर्टिफिकेट लगता है वह कहां से बनता है और मेडिकल बनवाने की क्या व्यवस्था है? साथ ही किन डॉक्टरों से मेडिकल बनवाया जाता है. इसके बाद प्रदेश भर में नामित डॉक्टर को मेडिकल के लिए नियुक्त कराए जाने की परिवहन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है.

नियमों को सख्ती से लागू करने की तैयारी : परिवहन विभाग अब ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों को सख्ती से लागू करने की तैयारी कर रहा है. लाइसेंस का रिन्यूअल बिना मेडिकल जांच के संभव नहीं हो पाएगा. अभी तक कहीं से मेडिकल कराकर लोग ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लेते थे.

पैनल में सरकारी अस्पताल के डॉक्टर : परिवहन विभाग की तरफ से लखनऊ में दर्जन भर से ज्यादा सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को मेडिकल के लिए पैनल में शामिल किया जा रहा है. इनमें से चार अस्पतालों में डॉक्टर की नियुक्ति भी हो गई है. इन्हीं से मेडिकल कराना होगा और यही मेडिकल मान्य होगा.

डॉक्टर ही अपलोड करेंगे सर्टिफिकेट: मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) की तरफ से तय किया गया डॉक्टरों का पैनल ही स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अपलोड करेगा. इसके बाद ही रिन्यूअल लाइसेंस अप्रूव हो पाएगा. मेडिकल करने के बाद डॉक्टर खुद ही परिवहन विभाग के पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड करेंगे. ये नई व्यवस्था लागू की जा रही है.

उम्र संबंधी दिक्कतों की होगी जांच: डीएल रिन्यूअल के दौरान डॉक्टर की ओर से उम्र के मुताबिक जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की जरूरत होती है. इसके पीछे मकसद होता है कि नवीनीकरण के समय आवेदक को स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत तो नहीं है. उसके स्वास्थ्य की जांच की जाती है. आंखों की जांच, कान की जांच, हाथ और पैरों से पूरी तरह स्वस्थ है, इसकी जांच की जाती है.

हार्टबीट भी मापी जाती है. इसके बाद ही हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. अभी तक की व्यवस्था के अनुसार यह प्रमाण पत्र मैनुअल जमा होता था, अब चूंकि आरटीओ की सेवाओं को ऑनलाइन किया जा रहा है, इसीलिए व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है.

12 डॉक्टरों के पैनल पर विचार : लखनऊ आरटीओ के अधिकारियों के मुताबिक, इस नई व्यवस्था के तहत लखनऊ में 12 से ज्यादा डॉक्टरों का पैनल होगा. सीएमओ की तरफ से जब इन डॉक्टरों का निर्धारण हो जाएगा, तो ऑनलाइन व्यवस्था लागू कर दी जाएगी. साथ ही आवेदकों की जानकारी के लिए डॉक्टर किस अस्पताल में कहां बैठते हैं, इसकी भी डिटेल जारी की जाएगी, जिससे आवेदकों को किसी प्रकार की समस्या न हो.

लखनऊ में चार डॉक्टरों की हुई तैनाती : लखनऊ आरटीओ कार्यालय की तरफ से मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए चार डॉक्टरों की तैनाती फिलहाल कर दी गई है. इनमें से सीएचसी काकोरी में डॉक्टर अंशुल किशोर गौतम, सीएचसी सरोजनीनगर में डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार मौर्य, कंबाइंड हॉस्पिटल ठाकुरगंज में डॉक्टर रंजना बाला और डॉक्टर परमात्मानंद अहिरवार को पैनल में शामिल किया गया है.

कब पड़ती है मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता : बता दें कि 50 साल या उससे ज्यादा आयु के व्यक्तियों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत होती है. व्यावसायिक लाइसेंस बनवाने और लाइसेंस के रिन्यूअल के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है.

विशेष परिस्थितियों में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के डीएल बनने में भी मेडिकल प्रमाण पत्र लगता है. ऐसे में आवेदक मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाते रहते हैं और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार तो ऐसा भी सामने आया कि कई आवेदक फर्जी प्रमाण पत्र भी सहायक संभागीय कार्यालय में जमा करा देते थे, लेकिन अब इस पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है.

हर माह जारी होते हैं 60000 से ज्यादा लाइसेंस : 50 साल से ऊपर की उम्र के व्यक्तियों को अपना ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल कराने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ती है. अगर पूरे प्रदेश में हर माह इस आयु वर्ग के ड्राइविंग लाइसेंस जारी होने के आंकड़े की बात की जाए तो यह 60000 के करीब है. हर रोज 3000 रिन्यूअल ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाते हैं. लखनऊ में रिन्यूअल ड्राइविंग लाइसेंस का स्लॉट 201 व्यक्तियों का है.

लखनऊ के एआरटीओ (प्रशासन) प्रदीप कुमार सिंह का कहना है कि लखनऊ में डॉक्टरों का पैनल बनाया जा रहा है. अभी तक सीएमओ की तरफ से चार डॉक्टरों को तैनात किया गया है. शेष डॉक्टरों की तैनाती भी जल्द कराई जाएगी.

ऑनलाइन व्यवस्थाओं को फूलप्रूफ करने की दिशा में यह कदम अहम है. डॉक्टरों को सारथी पोर्टल की एक लॉग इन आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा. डॉक्टरों की पूरी सूची जारी होने के बाद इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें: परिवहन विभाग बड़े बकायेदारों के नाम सोशल मीडिया पर प्रसारित कराएगा - DEFAULTERS OF TRANSPORT DEPARTMENT

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