शिमला: हिमाचल प्रदेश में सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला के स्वास्थ्य सुविधाएं चरमराई हुई नजर आ रही हैं. अस्पताल में डॉक्टरों की पेन डाउन स्ट्राइक के चलते मरीजों को काफी सार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आरकेएस यूनियन कर्मियों की हड़ताल के कारण आईजीएमसी शिमला और केएनएच अस्पताल में काफी मुश्किलें सामने आ रही हैं. शुक्रवार को भी आईजीएमसी में ओपीडी के बाहर मरीजों की लंबी लाइनें लगी रही.
डॉक्टरों की 1 घंटे की हड़ताल से मरीज परेशान
वहीं, अस्पतालों में चल रहे डॉक्टरों के प्रदर्शन का असर, अस्पतालों की साफ सफाई व्यवस्था पर भी पड़ा है. अस्पताल में सही से साफ-सफाई नहीं हो रही है. जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है. वहीं, अस्पताल में मरीजों की लंबी लाइनें लगी हुई हैं. इलाज के लिए लोगों घंटों में लाइन में खड़े रहना पड़ रहा है. शुक्रवार को भी डॉक्टरों की 1 घंटे की हड़ताल के चलते मरीजों को सुबह 10 से 11 बजे तक कई दिक्कतें पेश आई. हड़ताल के दौरान अस्पताल में पर्ची भी नहीं बनाई जा रही थी, न ही किसी प्रकार की फीस जमा हो पाई. इस दौरान सिर्फ आपातकालीन मरीजों की ही पर्ची बनाई जा रही थी. 11 बजे के बाद ही अन्य मरीजों की पर्ची बनना भी शुरू हुई.
वहीं, इसे लेकर आरकेएस यूनियन के अध्यक्ष अरविंद ने बताया कि अपनी मांगों को लेकर आईजीएमसी शिमला के एमएस डॉ. राहुल राव व अन्य डॉक्टर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी से मिलने गए थे, लेकिन इस दौरान उनकी सीएम और स्वास्थ्य सचिव से मुलाकात नहीं हो पाई. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है. वे लोग पेन डाउन स्ट्राइक को जारी रखेंगे.
उग्र आंदोलन की चेतावनी
गौरतलब है कि आईजीएमसी में आरकेएस के तहत तैनात कर्मचारी अपने रेगुलर पे स्केल की मांग को लेकर बीते 31 जनवरी से काले रिबन लगाकर काम कर रहे हैं और 14 फरवरी से उन्होंने 1 घंटे की पेन डाउन स्ट्राइक भी शुरू कर दी है. आरकेएस यूनियन ने उनकी मांगें न माने जाने की सूरत में आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.