देहरादून: उत्तराखंड निकाय चुनाव से पहले धामी मंत्रिमंडल ने दो से अधिक जीवित संतान वाले व्यक्तियों के लिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सदस्यता को लेकर बड़ा फैसला लिया है. बुधवार 24 जनवरी को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 की धारा 8 (1) (द), 53 (1) (द) और धारा 90(1) (द) में बदलाव करते हुए दो से अधिक जीवित संतान वाले व्यक्तियों को राहत दी गई है. अब ऐसे व्यक्ति निकाय चुनाव लड़ सकेंगे.
मंत्रिमंडल ने त्रिस्तरीय पंचायतों की सदस्यता के लिए उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम 2016 में क्वालिफिकेशन संबंधी व्यवस्था को बदले जाने का निर्णय लिया है. अब उत्तराखंड पंचायतीराज (संशोधन) विधेयक, 2024 को सदन के पटल पर रखा जाएगा.
बता दें, इससे पहले साल 2019 में तत्कालीन त्रिवेंद्र रावत सरकार ने पंचायतीराज (संशोधन) अधिनियम 2019 पारित किया था, जिसमें दो से ज्यादा बच्चों वाले प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई थी. तब त्रिवेंद्र सरकार ने परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के मकसद से ये फैसला लिया था. तब के पंचायतीराज संशोधन के मुताबिक जिन लोगों की दो से अधिक संतानें हैं और इनमें एक का जन्म इस प्रावधान के लागू होने की तारीख से 300 दिन के बाद हुआ है, वो भी चुनाव नहीं लड़ सकते थे. इसके साथ ही इसमें पंचायत का कोई भी प्रतिनिधि एक साथ दो पद धारण नहीं कर सकता था.
इसके साथ ही त्रिवेंद्र सरकार कार्यकाल के उस विधेयक के अनुसार, पंचायत चुनाव लड़ने के लिए सामान्य जाति के प्रत्याशियों के लिए कक्षा दसवीं पास होना अनिवार्य होगा. सामान्य जाति की महिलाओं के लिए 8वीं पास होना जरूरी थी. वहीं, अनुसूचित जाति/जनजाति के पुरुषों के लिए 8वीं जबकि महिलाओं के लिए 5वीं पास होना अनिवार्य रखा गया था.
जोड़ा जाएगा अलग क्लॉज: त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ कुछ लोग हाईकोर्ट पहुंच गए थे. याचिका में जुड़वां बच्चों को लेकर बात कही गई थी. हालांकि, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि 25 जुलाई 2019 से पहले दो से अधिक बच्चे वाले प्रत्याशी पंचायत चुनाव लड़ सकते हैं जबकि इस तारीख के बाद दो से अधिक बच्चे वाले प्रत्याशी चुनाव लड़ने के अयोग्य माने जाएंगे. इसके बाद सरकार ने इसमें क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत को भी जोड़ दिया था.
हालांकि, तब के संशोधन में जुड़वां बच्चों को लेकर संशय की स्थिति थी जिसे दूर करने के लिए अब धामी सरकार पंचायतीराज में संशोधन कर इस स्थिति को साफ करेगी. अब एक समय में जुड़वां या फिर अधिक बच्चे होने पर उसे एक ही बच्चा माना जाएगा. इसके लिए पंचायतीराज में संशोधन कर एक अलग क्लॉज जोड़ा जाएगा.
चाइल्ड केयर लीव पर भी बड़ा फैसला: धामी कैबिनेट ने राज्य सरकार की महिला सरकारी सेवकों/ एकल अभिभावक (महिला एवं पुरूष) सरकारी सेवकों को चाइल्ड केयर लीव के दौरान मिलने वाली वेतन में संशोधन करने की अनुमति दे दी है. दरअसल, विपरीत परिस्थितियों, बच्चे की बीमारी या परीक्षा समेत अन्य कारणों के चलते बच्चे की देखभाल के लिए कर्मचारी पूरी सेवाकाल में अधिकतम 2 साल तक बाल्य देखभाल अवकाश ले सकते हैं, लेकिन इसमें प्रावधान था कि पहले साल बच्चे की देखभाल अवकाश के दौरान शत प्रतिशत वेतन दिया जाएगा. इसके बाद अगले साल वेतन का मात्र 80 फीसदी वेतन दिया जाएगा. इसमें संशोधन करते हुए अब दोनों साल शत प्रतिशत वेतन दिया जाएगा.