देहरादून/उत्तरकाशी/पौड़ी: आज से भगवान शिव की भक्ति और आराधना का पर्व सावन शुरू हो गया है. इस बार सावन का महीना सोमवार को शुरू हो रहा है और सोमवार के ही दिन खत्म हो रहा है. सूबे के तमाम मंदिरों में सावन के महीने की शुरुआत यानी पहले सोमवार पर भक्तों का जमावड़ा देखने को मिला. देहरादून के टपकेश्वर महादेव मंदिर पर भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया. भक्त दर्शन और जलाभिषेक करने के लिए काफी उत्सुक नजर आए.
आज सावन के पहले सोमवार पर श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में शिवभक्तों का आगमन हो रहा है। #UttarakhandPolice द्वारा शिवभक्तों को दर्शन कराने और जल चढ़ाने के उपरान्त सकुशल उनके गंतव्य की ओर भेजा जा रहा है।#KanwadYatra2024@PauriPolice pic.twitter.com/ZuDwiXTctr
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) July 22, 2024
शिव भक्ति के लिए सावन का महीना सबसे खास: मंदिर के पुजारी भरत गिरी महाराज ने बताया कि सावन की शुरुआत सोमवार से हो रही है और सोमवार को भगवान से शिवालय में अपने सौम्य रूप में विराजमान होते हैं. यह मौका भक्तों के लिए उनकी भक्ति करने के लिए बेहद खास होता है. उन्होंने बताया कि सावन मास भगवान शिव के लिए बेहद खास होता है. क्योंकि, इस महीने पूरी धरती हरी भरी होती है.
भगवान शिव का सबसे प्रिय प्रसाद भांग भी इस मौसम में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि भगवान शिव इस महीने अपनी भक्ति करने वालों का कल्याण करते हैं और जो भी इस पूरे सावन महीने भगवान शिव की भक्ति में लीन रहता है, एक वक्त का आहार लेता है और भगवान शिव के लिए व्रत रखता है. भगवान से उससे प्रसन्न होकर उसकी मनोकामना पूरी करते हैं.
देहरादून के टपकेश्वर मंदिर में होंगे भव्य आयोजन: देहरादून के पौराणिक शिवालय टपकेश्वर महादेव मंदिर में हर साल सावन के महीने भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए भक्तों का बड़ा सैलाब उमड़ता है. वहीं, शिवालय के मुख्य पुजारी भरत गिरी महाराज ने बताया कि इसी सावन के महीने एक भव्य शोभायात्रा का भी आयोजन किया जाएगा. जो कि इस बार रक्षाबंधन से 2 दिन पहले यानी 17 अगस्त को होगा. यह शोभायात्रा पूरी नगर परिक्रमा कर टपकेश्वर महादेव में लौटेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार की शोभायात्रा भगवान राम को समर्पित होगी.
उत्तरकाशी में भगवान शिव के साथ शनिदेव की होती है पूजा: उत्तरकाशी में एक शिव मंदिर ऐसा भी है, जहां शिव के साथ शनि देव की भी पूजा होती है. यह शिव मंदिर जोशियाड़ा का कालेश्वर महादेव मंदिर है. माना जाता है कि अगर कोई सच्चे मन से भगवान शिव और शनि की पूजा या अर्चना करता है तो उसके सारे संकट दूर हो जाते हैं. यही वजह है कि यहां दर्शन और पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
बता दें कि पौराणिक कालेश्वर महादेव मंदिर उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के जोशियाड़ा क्षेत्र में स्थित है. मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रह्मानंद पुरी बताते हैं कि यहां कभी खेतों में हल लगाते समय शिवलिंग हल से टकराया था. जब पत्थर समझकर उसे निकालना चाहा तो वो और नीचे चला गया. चार से साढ़े पांच फीट गहराई में जब गणेश, अंबा, कार्तिकेय, शिव परिवार की मूर्तियां मिली तो वो शिवलिंग उससे नीचे नहीं गया.
इससे नीचे खुदाई भी संभव नहीं हो पाई. जिसके बाद से यहां प्रकट स्वयंभू शिवलिंग को कालेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है. कालेश्वर नाम पड़ने के पीछे पुरी बताते हैं कि यहां पहले कभी काले सांपों का डेरा था. शिवलिंग पर भी काले सांप दिखाई देते थे, जिसके चलते इस जगह का नाम कालेश्वर पड़ा. उन्होंने बताया कि मंदिर के आसपास ग्रामीण आज भी पूजा-अर्चना के बाद ही खेतीबाड़ी से जुड़ा काम शुरू करते हैं.
शिव के अधीन नवग्रहों में से एक हैं शनि: पंडित शिव प्रसाद ने बताया कि शनि शिव के अधीन नवग्रहों में से एक हैं. इस कारण यहां कलयुग में शनि देव की पूजा का प्रचलन बढ़ा है. जीवन में किसी भी तरह का संकट जैसे कालसर्प दोष, शनि की साढ़े साती या ढैय्या आदि में सच्चे मन से भक्त पूजा-अर्चना करते हैं तो शिव और शनि भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं.
तिल, तेल और वस्त्र दान का है माहात्म्य: सोमवार को श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन और पूजन करते हैं. जबकि, शनिवार को कालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. यहां तेल, तिल के साथ ही वस्त्र दान से शनि की पूजा की जाती है. इसके साथ काली दाल के साथ तुला दान और छाया दान भी किया जाता है.
पौड़ी नीलकंठ महादेव मंदिर जा रहे श्रद्धालुओं का पुष्प बरसाकर स्वागत: सावन माह के पहले सोमवार को नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने जा रहे श्रद्धालुओं का यमकेश्वर विधायक रेनू बिष्ट, डीएम आशीष चौहान और एसएसपी लोकेश्वर सिंह ने गरुड़ चट्टी में पुष्प बरसाकर स्वागत किया. विधायक रेनू बिष्ट ने कहा कि सावन माह में नीलकंठ मंदिर में जलाभिषेक के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत करना सौभाग्य की बात है.
डीएम आशीष चौहान ने भी इस अवसर पर श्रद्धालुओं का अभिनंदन किया और मंदिर परिसर में व्यवस्था को लेकर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि जलाभिषेक करने आ रहे श्रद्धालुओं के लिए किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े, इसका ध्यान रखना सुनिश्चित करें. वहीं, गरुड़ चट्टी के पास एक पेड़ मां के नाम कार्यक्रम के तहत कटहल, आम और लीची के पौधे लगाए गए. डीएम ने कहा कि जो पौधे रोपे गए हैं, उनकी सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड लगाए जाएंगे.
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