धर्मशाला: डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की विवादित टिप्पणी पर देशभर में विरोध हो रहा है. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस विधायकों ने इस बयान के खिलाफ विधानसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने "इसे संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का अपमान बताते हुए गृह मंत्री से माफी मांगने या अपने पद से इस्तीफा देने की मांग की." उन्होंने कहा डॉ. आंबेडकर ने देश को एक ऐसा संविधान दिया है जो समानता, स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है.
गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी ना केवल संविधान का, बल्कि दलितों और पिछड़े वर्गों का भी अपमान है. सीएम सुक्खू ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा यह घटना भाजपा की मानसिकता को दर्शाती है. भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है. दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के प्रति उनकी असंवेदनशीलता बार-बार उजागर हो रही है. विधानसभा के बाहर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी करते हुए गृह मंत्री अमित शाह से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की.
भाजपा द्वारा बाबा साहब अंबेडकर जी का अपमान एक सोची-समझी साजिश के तहत लगातार किया जा रहा है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है। संविधान की शपथ लेने वालों को उसकी मर्यादा का भी पालन करना चाहिए।
— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) December 19, 2024
हम बाबा साहब का अपमान किसी भी स्थिति में सहन नहीं करेंगे।
आज, हम माननीय… pic.twitter.com/i4OQ5qzcqV
कांग्रेस नेताओं ने भाजपा को दलित विरोधी करार देते हुए कहा कि इस बयान से साफ है कि भाजपा को बाबा साहेब आंबेडकर के योगदान और उनके आदर्शों की कद्र नहीं है. देशभर में इस मुद्दे को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस ने इस बयान को लेकर संसद में भी सवाल उठाने की बात कही.
क्या कहा था अमित शाह ने ?
यहां आपको बता दें कि संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर राज्यसभा में बहस का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने आंबेडकर को लेकर एक बयान दिया था. शाह ने कहा था कि आजकल आंबेडकर को लेकर एक फैशन सा चल पड़ा है, विपक्षी पार्टियां और उनके नेता आंबेडकर-आंबेडकर चिल्लाते रहते हैं ...अगर इतनी बार भगवान का नाम लिया होता, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिलता. उनके इसी बयान की कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने आलोचना की है.
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