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प्लॉट दिलाने के नाम पर मांगी 50 लाख की रिश्वत, अफसरों को भी बताया इसमें हिस्सेदार, दो सस्पेंड - Housing Board action

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 23, 2024, 1:56 PM IST

प्लॉट दिलाने के नाम पर 50 लाख रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में सहायक लेखाधिकारी और संपत्ति अनुभाग के ईएमओ को निलंबित कर दिया गया है. हाउसिंग बोर्ड की इस कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मच गया है.

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सहायक लेखाधिकारी और ईएमओ निलंबित (photo credit- Etv Bharat)


लखनऊ: गाजियाबाद की सिद्धार्थ विहार योजना में व्यावसायिक प्लॉट दिलाने के नाम पर 50 लाख रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में सहायक लेखाधिकारी राजकुमार और संपत्ति अनुभाग के ईएमओ आनंद गौतम को आवास विकास परिषद के आयुक्त डॉ. बलकार सिंह के आदेश पर निलंबित कर दिया गया. हाउसिंग बोर्ड की यह कार्रवाई शनिवार की देर रात की गई.

मामले की शिकायत होने के बाद कमिश्नर के निर्देश पर हुई शुरूआत जांच में दोनों को प्रथम दृष्ट्या दोषी मानते हुए यह कार्रवाई हुई है. इसके साथ ही इस पूरे मामले की विभागीय जांच का आदेश भी जारी कर दिया गया है. मेरठ जोन के जोनल आयुक्त को जांच अधिकारी बनाया गया है. जांच पूरी होने तक सहायक लेखाधिकारी राजकुमार और ईएमओ आनंद गौतम को लखनऊ स्थित मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है.

आवास विकास परिषद के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सिद्धार्थ विहार में प्राइम लोकेशन के प्लॉट की नीलामी होनी थी. इसे खरीदने के इच्छुक एक खरीददार ने इस प्लॉट की जानकारी के लिए, सहायक लेखाधिकारी राजकुमार से संपर्क किया. आरोप है, कि राजकुमार ने 35 लाख रुपये लेकर नीलामी में प्लॉट दिलाने का आश्वासन दिया. कुछ दिनों बाद बड़े अधिकारियों को भी हिस्सा देने की बात कहते हुए उसने इस काम के लिए 50 लाख रुपये मांगना शुरू कर दिया.

इसपर खरीददार ने ईएमओ आनंद गौतम से संपर्क किया. लेकिन, उन्होंने भी राजकुमार की डिमांड का समर्थन किया. प्लॉट खरीदने गए युवकों ने इसका वीडियो बनाकर कमिश्नर को भेज दिया. इसे देखते हुए कमिश्नर ने 21 जून को आनन फानन में मामले की जांच करायी, जिसमें प्रथम दृष्ट्या दोनों दोषी पाए गए.

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लखनऊ में भी नीलामी के बाद गड़बड़ी के लग चुके हैं आरोप: नीलामी में पसंदीदा प्लॉट और दुकान निकलवाने के लिए रिश्वतखोरी के आरोप लखनऊ की योजनाओं में भी लगते रहे हैं. लखनऊ निवासी हरप्रीत भाटिया ने अवध विहार योजना स्थित अलखनंदा अपार्टमेंट की दुकान नंबर 7 के लिए नीलामी में हिस्सा लिया था. साल 2021 से लेकर 2022 के बीच सात बार नीलामी हुई, जिसमें से छह बार हरप्रीत भाटिया ने सबसे ज्यादा बोली लगायी. लेकिन, हर बार नीलामी को यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया, कि इससे ज्यादा कीमत मिलने की उम्मीद है.

वहीं, सातवीं बार नीलामी में दुकान दिलाने के लिए रिश्वत मांगी गई. जिसका ऑडियो हरप्रीत भाटिया ने आला अधिकारियों को सौंप दिया था. इसके बाद योजना सहायक को हटा दिया गया. इसके बाद इस दुकान के लिए नए सिरे से बोली लगी. इसमें हरप्रीत भाटिया की पिछली बोली से कम पर दुकान बेच दी गई. इस मामले को लेकर शासन स्तर पर शिकायत हुई. लेकिन, आज तक मामले की जांच रिपोर्ट सामने नहीं आ सकी.

यह भी पढ़े-NEET पेपर लीक; बनारस में NSUI के कार्यकर्ताओं ने जलाया अपना रिजल्ट, सड़क किनारे बैठ किया जूता पॉलिश - PROTEST NEET PAPER LEAK


लखनऊ: गाजियाबाद की सिद्धार्थ विहार योजना में व्यावसायिक प्लॉट दिलाने के नाम पर 50 लाख रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में सहायक लेखाधिकारी राजकुमार और संपत्ति अनुभाग के ईएमओ आनंद गौतम को आवास विकास परिषद के आयुक्त डॉ. बलकार सिंह के आदेश पर निलंबित कर दिया गया. हाउसिंग बोर्ड की यह कार्रवाई शनिवार की देर रात की गई.

मामले की शिकायत होने के बाद कमिश्नर के निर्देश पर हुई शुरूआत जांच में दोनों को प्रथम दृष्ट्या दोषी मानते हुए यह कार्रवाई हुई है. इसके साथ ही इस पूरे मामले की विभागीय जांच का आदेश भी जारी कर दिया गया है. मेरठ जोन के जोनल आयुक्त को जांच अधिकारी बनाया गया है. जांच पूरी होने तक सहायक लेखाधिकारी राजकुमार और ईएमओ आनंद गौतम को लखनऊ स्थित मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है.

आवास विकास परिषद के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सिद्धार्थ विहार में प्राइम लोकेशन के प्लॉट की नीलामी होनी थी. इसे खरीदने के इच्छुक एक खरीददार ने इस प्लॉट की जानकारी के लिए, सहायक लेखाधिकारी राजकुमार से संपर्क किया. आरोप है, कि राजकुमार ने 35 लाख रुपये लेकर नीलामी में प्लॉट दिलाने का आश्वासन दिया. कुछ दिनों बाद बड़े अधिकारियों को भी हिस्सा देने की बात कहते हुए उसने इस काम के लिए 50 लाख रुपये मांगना शुरू कर दिया.

इसपर खरीददार ने ईएमओ आनंद गौतम से संपर्क किया. लेकिन, उन्होंने भी राजकुमार की डिमांड का समर्थन किया. प्लॉट खरीदने गए युवकों ने इसका वीडियो बनाकर कमिश्नर को भेज दिया. इसे देखते हुए कमिश्नर ने 21 जून को आनन फानन में मामले की जांच करायी, जिसमें प्रथम दृष्ट्या दोनों दोषी पाए गए.

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लखनऊ में भी नीलामी के बाद गड़बड़ी के लग चुके हैं आरोप: नीलामी में पसंदीदा प्लॉट और दुकान निकलवाने के लिए रिश्वतखोरी के आरोप लखनऊ की योजनाओं में भी लगते रहे हैं. लखनऊ निवासी हरप्रीत भाटिया ने अवध विहार योजना स्थित अलखनंदा अपार्टमेंट की दुकान नंबर 7 के लिए नीलामी में हिस्सा लिया था. साल 2021 से लेकर 2022 के बीच सात बार नीलामी हुई, जिसमें से छह बार हरप्रीत भाटिया ने सबसे ज्यादा बोली लगायी. लेकिन, हर बार नीलामी को यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया, कि इससे ज्यादा कीमत मिलने की उम्मीद है.

वहीं, सातवीं बार नीलामी में दुकान दिलाने के लिए रिश्वत मांगी गई. जिसका ऑडियो हरप्रीत भाटिया ने आला अधिकारियों को सौंप दिया था. इसके बाद योजना सहायक को हटा दिया गया. इसके बाद इस दुकान के लिए नए सिरे से बोली लगी. इसमें हरप्रीत भाटिया की पिछली बोली से कम पर दुकान बेच दी गई. इस मामले को लेकर शासन स्तर पर शिकायत हुई. लेकिन, आज तक मामले की जांच रिपोर्ट सामने नहीं आ सकी.

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