अनूपपुर : अनूपपुर जिले में स्थित इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU) के मेगा मेस में रविवार को विशेष भोज बनता है. इसी दौरान विशेष भोजन करने से 120 छात्राएं बीमार हो गईं. सभी को उल्टी, दस्त के साथ ही तेज घबराहट होने लगी. विश्वविद्यालय के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में सभी का उपचार किया गया. इसके दो दिन बाद जिम्मेदार अधिकारी जागे. अफसरों ने जांच के लिए टीम गठित की और ये साबित करने के लिए कि खाना सही तरीके से बनता है, जिम्मेदारों ने मेस में भोजन भी किया.
विश्वविद्यालय स्थित अस्पताल में छात्राओं का इलाज
बता दें कि अमरकंटक स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में विवाद लगातार होते हैं. मेगा मेस में बने विषाक्त भोजन को खाने से 120 छात्राएं बीमार होने के बाद यहां की पोल फिर खुल गई. मेस का खाना खाने से बीमार हुई छात्राओं के साथ ही अन्य छात्राओं में डर समा गया है. साथ ही अभिभावकों में भी चिंता फैल गई है. इस मामले को लेकर आईजीएनटीयू के कुलसचिव ने घटना के 2 दिन बाद प्रेस नोट जारी कर बताया "24 फरवरी को प्रातः 09:40 पर रानी दुर्गावती कन्या छात्रावास की कुछ छात्राओं को अस्वस्थ्यता के कारण छात्रावास की केयरटेकर डिस्पेंसरी लेकर पहुंची. इनका उपचार विश्वविद्यालय के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में किया गया. किसी भी छात्रा को जिला चिकित्सालय या अन्यत्र भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ी."
अफसरों की टीम ने किया मेगा मेस का निरीक्षण
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने ये भी बताया "छात्राओं के बीमार होने के मामले में समिति गठित कर जांच के निर्देश दिये गये हैं." 25 फरवरी को जिला चिकित्सालय से सीएमएचओ और अन्य दो डॉक्टरों सहित तहसीलदार पुष्पराजगढ़ एवं एसडीएम भी विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे और छात्राओं से स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली. वहीं सीएमएचओ और अन्य डॉक्टरों ने मेगा मेस का निरीक्षण किया. भोज्य पदार्थों और कच्ची सामग्री के सैंपल लिए. तेल और पानी के सैंपल लेकर भी परीक्षण हेतु भेजा.
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विश्वविद्यालय प्रबंधन ने घटना छुपाने का किया प्रयास
इसके बाद सीएमएचओ के साथ ही तहसीलदार और विश्वविद्यालय के अधिकारी, प्राध्यापक, वार्डन आदि ने खाद्य सामग्री की गुणवत्ता आदि को परखने के लिये दोपहर का भोजन छात्राओं के साथ किया. इस मामले में छात्राओं का कहना है कि मेगा मेस की दर्जनों शिकायत की जा चुकी हैं, परंतु प्रबंधन के द्वारा कभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता. कई बार छात्राएं खाना छोड़कर बिना भोजन के लौटी. छात्रावासों में पानी के फिल्टर खराब हैं. इस मामले में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी रजनीश त्रिपाठी ने ईटीवी भारत को बताया "छात्रों की मौखिक शिकायतों तथा घटनाओं को लेकर टीम गठित की गई है, जिसमें एसडीएम, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया गया है. जल्द ही जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी."