नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली नगर निगम के 12 वार्ड कमेटियों के चुनाव करने को लेकर बीते कुछ दिनों से असमंजस की स्थिति अब दूर हो गई है. मंगलवार देर रात इस मामले में गृह मंत्रालय तक को दखल देना पड़ा. इसके बाद उपराज्यपाल से प्राप्त आदेश के बाद बुधवार को प्रस्तावित वार्ड कमेटियों के चुनाव का फैसला लिया गया है. एमसीडी के 12 वार्ड कमेटियों के चेयरमैन व डिप्टी चेयरमैन चुनने की प्रक्रिया शाम 4 बजे तक चलेगी. जानकार बताते हैं कि एमसीडी में दल-बदल कानून लागू नहीं है. 12 वार्ड कमेटी में से सात पर बीजेपी का पलड़ा भारी है, ऐसे में आम आदमी पार्टी के पार्षद पद की चाह में पाला भी बदल सकते हैं.
एलजी ने अधिकार का किया इस्तेमाल: मंगलवार देर शाम वार्ड कमेटियों के चुनाव स्थगित करने संबंधी मेयर शैली ओबेरॉय द्वारा आदेश जारी किए जाने के बाद गृह मंत्रालय की तरफ से इसमें दखल दिया. इसके बाद उपराज्यपाल के अधिकार को देर रात और बढ़ा दिया गया. गृह मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना राष्ट्रपति के नियंत्रण में रहते हुए और अगले आदेशों तक उक्त अधिनियम की धारा 45 डी के अधीन राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं.
इसके तहत वह किसी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी वैधानिक निकाय के गठन कर सकेंगे. इस प्राप्त अधिकार के तहत ही मेयर शैली ओबेरॉय द्वारा वार्ड कमेटी चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने से इनकार के फैसले को उपराज्यपाल ने देर रात बदल दिया. उपराज्यपाल के आदेश में यह भी कहा गया है कि यह चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो यह सुनिश्चित किया जाए. प्रत्येक जोन के डिप्टी कमिश्नर पीठासीन अधिकारी की भूमिका निभाएंगे.
30 अगस्त को नामांकन भरने की प्रक्रिया हुई थी पूरी: उपराज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद एमसीडी के सभी वार्ड कमेटियों के चुनाव कराने के निर्देश दिए गए हैं. दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर अश्विनी कुमार ने देर रात वार्ड कमेटियों के चुनाव कराने के लिए 30 अगस्त को नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया खत्म होते ही मेयर के पास पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने संबंधी फाइल भेज दी थी. मगर मेयर ने मंगलवार देर शाम इस पर सवाल उठाते हुए चुनाव स्थगित करने के संबंध में कमिश्नर को अपना जवाबी पत्र भेजा था. अब उपराज्यपाल को गृह मंत्रालय द्वारा मिले विशेष अधिकार के तहत, पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने के अधिकार संबंधी अधिसूचना जारी कर दी.
एल्डरमैन मामले में एलजी के पक्ष में आया था फैसला: इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में एक आदेश में कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के साथ किसी भी परामर्श के बिना एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं. कोर्ट के इस फैसले के बाद 19 महीने की देरी से एमसीडी में 12 वार्ड कमेटी के चुनाव का रास्ता अब खुला है. दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस के 60 पार्षद इस चुनाव में खड़े हैं.
एमसीडी की सबसे ताकतवर कमेटी में चुनकर जाते हैं सदस्य: दिल्ली नगर निगम की सबसे शक्तिशाली माने जाने वाली स्थायी समिति में जो सदस्य होते हैं, उनमें 12 सदस्य वार्ड कमेटियों से चुने जाते हैं. एमसीडी सदन में आम आदमी पार्टी के पास बहुमत है. मगर अलग-अलग वार्ड कमेटी में संख्या में काफी अंतर है. वार्ड कमेटी के चुनाव में 10 एल्डरमैन भी वोट डाल सकते हैं. इनकी नियुक्ति पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल को दे दी है.
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क्या कहते हैं जानकार: एमसीडी के जानकार जगदीश ममगाई ने कहा कि, दिल्ली नगर निगम में दल-बदल कानून लागू नहीं है. अगर आम आदमी पार्टी के पार्षद पाला बदलते हैं, तो बीजेपी को बड़ा फायदा हो सकता है. आम आदमी पार्टी को डर है कि बीजेपी उनके कुछ पार्षदों को तोड़ सकती है. एमसीडी में मौजूदा स्थिति को देखा जाए तो 12 वार्ड कमेटी में से सात कमेटियों पर बीजेपी का कब्जा हो सकता है तो पांच कमेटी पर आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष चुने जा सकते हैं. अब ऐसे हालात में बुधवार देर शाम को वार्ड कमेटी चुनाव के बाद आए नतीजे पर ही सबकी नजरें टिक गई हैं.
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