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केंदुवाल STP से जुड़ेंगी बद्दी-बरोटीवाला इंडस्ट्रियल एरिया की सभी यूनिट्स, HC में सौंपी रिपोर्ट - sewage linked to STP Kenduwala

Sewage linked to STP KenduWala: इंडस्ट्रियल एरिया बद्दी-बरोटीवाला की सभी यूनिट्स व घरों को अब केंदुवाल एसटीपी से जोड़ा जाएगा. बीबीएनडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने इस मामले में हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपी है.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 10:12 PM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला (फाइल फोटो)

शिमला: जिला सोलन के इंडस्ट्रियल एरिया बद्दी-बरोटीवाला की सभी यूनिट्स व घरों को अब केंदुवाल एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) से जोड़ा जाएगा. इस क्षेत्र के खुले इलाकों और नालों में किसी को भी सीवरेज फेंकने की इजाजत नहीं होगी.

बीबीएनडीए (बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ डवलपमेंट अथॉरिटी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने इस मामले में हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट के माध्यम से बताया गया है कि बद्दी इंफ्रा के सीईओ उन औद्योगिक इकाइयों की सूची तैयार करेंगे जो केंदुवाल एसटीपी से नहीं जुड़ी है.

इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अभियंता उन इकाइयों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करेंगे की ये इकाइयां सीएसटीपी केंदूवाल से जुड़ जाए. औद्योगिक इकाइयों के वर्षा जल संग्रहण सिस्टम की जांच की जाएगी और पता लगाया जाएगा कि कोई इकाई वर्षा जल संग्रहण टैंकों में फैक्ट्रियों से निकलने वाला अपशिष्ट तो नहीं फैंक रहीं.

जनहित याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने उपरोक्त क्षेत्र में भू-जल प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए पर्यावरण विभाग के सचिव को स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए.

मामले की सुनवाई के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आग्रह पर केंद्रीय भू-जल बोर्ड धर्मशाला के क्षेत्रीय निदेशक, राज्य भू-जल प्राधिकरण के सदस्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, जल विज्ञान विभाग और पर्यावरण विभाग के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया.

कोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी पक्षकारों में सामंजस्य स्थापित कर भू-जल प्रदूषण से निपटने के लिए उचित कदम उठाने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है कि आईआईटी मंडी द्वारा क्षेत्र में की गई जांच में पाया गया कि भूतल से 30 से 80 मीटर की गहराई में पानी खतरनाक रसायन युक्त है.

प्राकृतिक और औद्योगिक दोनों प्रकार के स्रोतों से उत्पन्न होने वाले भू-जल में भारी धातुओं और जियोजेनिक यूरेनियम के तत्व पाए गए हैं. इस तरह पानी में कार्सिनोजेनिक रसायनों की उपस्थिति से मानवीय स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है.

उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने प्रदेश सरकार को बीबीएन क्षेत्र में भू-जल प्रदूषण की जांच आईआईटी मंडी से करवाने के आदेश दिए थे. इस मामले में हाईकोर्ट ने सोलन जिला के बद्दी में कॉमन एफफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट केंदूवाल की क्षमता से कम दोहन किये जाने के मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सहित जिलाधीश सोलन, एसडीएम नालागढ़, सीईओ बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ विकास प्राधिकरण, प्रतिनिधि बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ इंडस्ट्रीस एसोसियेशन व सीईओ बद्दी इनफ्रास्ट्रक्चर बद्दी टेक्निकल ट्रनिन्ग इन्स्टिट्यूट से स्टेट्स रिपोर्ट तलब की थी.

मामले के अनुसार, सोलन जिला के बद्दी में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले गन्दे पानी का सही से उपचार न होने के कारण बद्दी क्षेत्र में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ रही है. करीब 60 करोड़ रुपये की लागत से इस क्षेत्र में कॉमन एफफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया है.

इसकी प्रस्तावित क्षमता 250 लाख लीटर प्रतिदिन गन्दे पानी का उपचार करने की है जबकि इसमें 110 लाख लीटर प्रतिदिन गन्दे पानी का ही उपचार किया जा रहा है. ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता से कम दोहन किये जाने की बात तब सामने आयी जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारीयों ने यह बात ज़िला परिषद की त्रैमासिक बैठक में बताई थी. आरोप है कि क्षेत्र के प्राकृतिक जल स्त्रोत औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले गन्दे पानी से प्रदूषित हो रहे हैं जिससे लोग बीमार हो रहे हैं. मामले पर अगली सुनवाई 16 सितम्बर को होगी.

ये भी पढ़ें: केंद्र से मिले 30 करोड़ रुपये लौटाएगी सुक्खू सरकार, अपने खर्चे से बनाएगी ये प्रोजेक्ट

शिमला: जिला सोलन के इंडस्ट्रियल एरिया बद्दी-बरोटीवाला की सभी यूनिट्स व घरों को अब केंदुवाल एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) से जोड़ा जाएगा. इस क्षेत्र के खुले इलाकों और नालों में किसी को भी सीवरेज फेंकने की इजाजत नहीं होगी.

बीबीएनडीए (बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ डवलपमेंट अथॉरिटी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने इस मामले में हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट के माध्यम से बताया गया है कि बद्दी इंफ्रा के सीईओ उन औद्योगिक इकाइयों की सूची तैयार करेंगे जो केंदुवाल एसटीपी से नहीं जुड़ी है.

इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अभियंता उन इकाइयों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित करेंगे की ये इकाइयां सीएसटीपी केंदूवाल से जुड़ जाए. औद्योगिक इकाइयों के वर्षा जल संग्रहण सिस्टम की जांच की जाएगी और पता लगाया जाएगा कि कोई इकाई वर्षा जल संग्रहण टैंकों में फैक्ट्रियों से निकलने वाला अपशिष्ट तो नहीं फैंक रहीं.

जनहित याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने उपरोक्त क्षेत्र में भू-जल प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए पर्यावरण विभाग के सचिव को स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए.

मामले की सुनवाई के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आग्रह पर केंद्रीय भू-जल बोर्ड धर्मशाला के क्षेत्रीय निदेशक, राज्य भू-जल प्राधिकरण के सदस्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, जल विज्ञान विभाग और पर्यावरण विभाग के सचिव को प्रतिवादी बनाया गया.

कोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी पक्षकारों में सामंजस्य स्थापित कर भू-जल प्रदूषण से निपटने के लिए उचित कदम उठाने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है कि आईआईटी मंडी द्वारा क्षेत्र में की गई जांच में पाया गया कि भूतल से 30 से 80 मीटर की गहराई में पानी खतरनाक रसायन युक्त है.

प्राकृतिक और औद्योगिक दोनों प्रकार के स्रोतों से उत्पन्न होने वाले भू-जल में भारी धातुओं और जियोजेनिक यूरेनियम के तत्व पाए गए हैं. इस तरह पानी में कार्सिनोजेनिक रसायनों की उपस्थिति से मानवीय स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है.

उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने प्रदेश सरकार को बीबीएन क्षेत्र में भू-जल प्रदूषण की जांच आईआईटी मंडी से करवाने के आदेश दिए थे. इस मामले में हाईकोर्ट ने सोलन जिला के बद्दी में कॉमन एफफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट केंदूवाल की क्षमता से कम दोहन किये जाने के मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष सहित जिलाधीश सोलन, एसडीएम नालागढ़, सीईओ बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ विकास प्राधिकरण, प्रतिनिधि बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ इंडस्ट्रीस एसोसियेशन व सीईओ बद्दी इनफ्रास्ट्रक्चर बद्दी टेक्निकल ट्रनिन्ग इन्स्टिट्यूट से स्टेट्स रिपोर्ट तलब की थी.

मामले के अनुसार, सोलन जिला के बद्दी में औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले गन्दे पानी का सही से उपचार न होने के कारण बद्दी क्षेत्र में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ रही है. करीब 60 करोड़ रुपये की लागत से इस क्षेत्र में कॉमन एफफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया है.

इसकी प्रस्तावित क्षमता 250 लाख लीटर प्रतिदिन गन्दे पानी का उपचार करने की है जबकि इसमें 110 लाख लीटर प्रतिदिन गन्दे पानी का ही उपचार किया जा रहा है. ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता से कम दोहन किये जाने की बात तब सामने आयी जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारीयों ने यह बात ज़िला परिषद की त्रैमासिक बैठक में बताई थी. आरोप है कि क्षेत्र के प्राकृतिक जल स्त्रोत औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले गन्दे पानी से प्रदूषित हो रहे हैं जिससे लोग बीमार हो रहे हैं. मामले पर अगली सुनवाई 16 सितम्बर को होगी.

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