देहरादून: उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ ने उत्तराखंड को भी ऐसी घटनाओं को लेकर सोचने पर मजबूर कर दिया है. इसी को लेकर उत्तराखंड पुलिस ने राज्य में विभिन्न मेले और धार्मिक आयोजनों को लेकर होमवर्क किया है. जिसमें महकमे के तमाम अधिकारियों को भीड़ प्रबंधन के लिए जरूरी दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं. उत्तराखंड के लिए ऐसी घटनाओं पर सीख लेने की जरूरत इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि राज्य में चार धाम यात्रा समेत तमाम ऐसे मेले और धार्मिक कार्यक्रम रहते हैं, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
हाथरस में सत्संग के दौरान हुए बड़े हादसे पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार इस घटना को गंभीर मानते हुए इस पर जांच के आदेश कर चुकी है तो वहीं बाकी राज्य भी ऐसी घटनाओं से सीख ले रहे हैं. उत्तराखंड में भी हाथरस घटना के बाद पुलिस विभाग ने वृहद समीक्षा बैठक की है. इस दौरान विभिन्न मेले, और धार्मिक आयोजन में भारी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर जरूरी दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं.
उत्तराखंड में भीड़ प्रबंधन पर पुलिस और प्रशासन का विशेष नियंत्रण इसलिए भी जरूरी है. क्योंकि राज्य में चार धाम यात्रा के साथ ही दूसरी तमाम यात्राओं और मेलों के आयोजन होते रहते हैं. यही नहीं देवभूमि होने के नाते यहां पर सत्संग या दूसरे धार्मिक आयोजनों की संख्या भी बड़ी संख्या में रहती है. लिहाजा ऐसी घटनाओं से उत्तराखंड जैसे राज्यों को सीख लेने की सबसे ज्यादा आवश्यकता नजर आती है. बड़ी बात यह है कि उत्तराखंड में भी धार्मिक आयोजन होने के दौरान भगदड़ के पूर्व में कई मामले आए हैं, जिसमें लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है.
पुलिस मुख्यालय के स्तर पर की गई समीक्षा के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं. इसमें जिलों में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों को संवेदनशीलता और कार्यक्रम से पहले पुलिस अधिकारियों के कार्यक्रम स्थल और यहां आने वाली संभावित भीड़ को लेकर आकलन किए जाने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा कार्यक्रम स्थल में प्रवेश और निकासी से लेकर पार्किंग की स्थिति देखने के बाद अनुमति देने के निर्देश दिए हैं. स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बिना अनुमति के किसी भी कार्यक्रम को आयोजित ना होने दिया जाए और सभी कार्यक्रमों पर विशेष रूप से निगरानी रखी जाए.
जिलों में होने वाले ऐसे तमाम कार्यक्रमों के लिए SOP तैयार की जाए, जबकि पुलिस मुख्यालय के स्तर पर भी बड़े कार्यक्रमों की SOP तैयार हो, जिन्हें जिलों को भेजा जाए.राज्य में आयोजित होने वाले ऐसे कार्यक्रमों का वार्षिक कैलेंडर भी तैयार किया जाए जिसके आधार पर पुलिस प्रबंधन को सुनिश्चित किया जाए. कहा कि किसी भी बिना अनुमति वाले कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ कड़ी वैधानिक कार्रवाई की जाए. किसी भी मिले या धार्मिक आयोजनों की आयोजकों द्वारा 15 दिन पहले अनुमति आवेदन के रूप में दी जाए इसके लिए सभी को जानकारी देने के लिए प्रचार प्रसार भी किया जाए.
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