बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश में सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या चिंता का विषय है. सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार और प्रशासन प्रयासरत है. इसके बाद भी कई स्कूलों में बच्चों की संख्या में लगातार गिरावट जारी है. स्कूलों में शिक्षकों की कमी और मूलभूत ढांचे का न होना इसका मुख्य कारण है.
अब बिलासपुर में पिछले वर्ष की भांति इस बार भी कम संख्या वाले प्राथमिक स्कूल बंद होने की कगार पर हैं. यहां 27 स्कूल ऐसे हैं, जहां 6 से कम बच्चे हैं. वहीं, 16 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें कोई अध्यापक ही नहीं है. ऐसे में बच्चों का भविष्य अंधकार में जाता नजर आ रहा है. हालांकि, शिक्षा विभाग ने इसके बारे में निदेशालय को रिपोर्ट भेज दी है. जहां से अब निर्देश आने पर इन स्कूलों के भविष्य के बारे में निर्णय लिया जाएगा.
कहीं बच्चे नहीं...कहीं अध्यापक नहीं
इस बारे में उपनिदेशक प्राथमिक शिक्षा राज कुमार शर्मा ने बताया 'जिला बिलासपुर में 575 प्राइमरी स्कूल हैं, जिनमें से 27 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें 6 से कम बच्चे हैं और 16 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें कोई अध्यापक नहीं है. इसके अलावा कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जिनमें एक ही अध्यापक है और बच्चों की संख्या ज्यादा है. वहीं, जिले में 88 मिडिल स्कूल हैं. उनमें से 2 स्कूल ऐसे हैं, जहां बच्चों की संख्या 6 से कम है. इस बारे में विभाग को सूचित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि ऐसे स्कूल बंद करने का निर्णय सरकार की तरफ से लिया जाता है. कम बच्चों वाले स्कूल पिछले साल भी बंद हुए थे. इस साल भी स्कूल बंद होंगे, लेकिन, इसका निर्णय सरकार की ओर से लिया जाएगा.'
800 स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी कर चुकी है सरकार
बता दें कि कि बीते माह में हिमाचल सरकार ने प्रदेश में छात्रों की कम संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी शुरू की थी. पहले चरण में दो से कम संख्या वाले ऐसे करीब 800 स्कूलों को मर्ज किया जाना था, जहां साथ में ही डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी पर अन्य स्कूल है.हिमाचल में पिछले साल भी कम छात्रों की संख्या वाले करीब 700 स्कूल मर्ज किए गए थे.शिक्षा मंत्री ने रोहित ठाकुर ने अपने एक बयान में कहा था, "प्रदेश में बिना शिक्षक 350 स्कूल चल रहे हैं. इसके अतिरिक्त 3200 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर केवल एक ही शिक्षक तैनात है."
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