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सिरमौर में खुलेगा 100 बिस्तरों का राज्यस्तरीय नशा मुक्ति केंद्र, इन व्यवस्थाओं से सुसज्जित होगा ये सेंटर - drug de addiction center - DRUG DE ADDICTION CENTER

सीए सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जिला सिरमौर में राज्य स्तरीय नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र खोलने की योजना बनाई. ये केंद्र सिरमौर जिला के पच्छाद उपमंडल के कोटला बड़ोग में स्थापित किया जाएगा. इस केंद्र के स्थापित होने से मादक पदार्थों की लत से जूझ रहे लोगों की सहायता की जाएगी.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 11, 2024, 4:44 PM IST

सिरमौर: देवभूमि हिमाचल प्रदेश में नशे का खात्मा करने के इरादे से प्रदेश की सुक्खू सरकार जिला सिरमौर में राज्य स्तरीय नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र खोलेगी. रविवार को प्रदेश सरकार ने यह नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित करने का ऐलान किया है. ये केंद्र सिरमौर जिला के पच्छाद उपमंडल के कोटला बड़ोग में स्थापित किया जाएगा. इस केंद्र के स्थापित होने से मादक पदार्थों की लत से जूझ रहे लोगों की सहायता की जाएगी और उन्हें नशीली दवाओं पर अपनी निर्भरता से उबरने और आत्मनिर्भरता के साथ समाज में फिर से एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलेगी.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को नशे से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए कहा कि, 'राज्य सरकार ने युवाओं को मादक पदार्थों के खतरे के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं. इसका उद्देश्य उन्हें नशे की लत से बचाना है. इसी के चलते कोटला बड़ोग में सरकार राज्य स्तरीय नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र को स्थापित करेगी. आज के दौर में युवाओं को नशे से दूर रखना सबसे बड़ी चुनौती है. समाज को भी नशे की लत से जूझ रहे लोगों का मनोबल बढ़ाना चाहिए, ताकि वो दृढ़ इच्छाशक्ति से मादक पदार्थों का सेवन छोड़ सकें.'

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि नशा मुक्ति केंद्र ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सिंथेटिक मादक पदार्थों के सेवन को खत्म करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है. नशा मुक्ति केंद्र का उद्देश्य एक ही परिसर में सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करके इसेे संकट से उत्पन्न गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य मुद्दों से निपटना है. नशा मुक्ति केंद्र में कमरे, शौचालय, भोजन की व्यवस्था, मनोरंजन स्थल, पुस्तकालय, व्यायामशाला, खेल, ध्यान और योग की सुविधाएं भी दी जाएंगी. इसके अतिरिक्त केंद्र में कौशल विकास व व्यावसायिक प्रशिक्षण और इन-हाउस उपचार, भोजन, कपड़े और लॉन्डरी जैसी अनिवार्य सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी. उन्होंने कहा कि इस समग्र दृष्टिकोण का उद्देश्य नशे की लत से जूझ लहे लोगों के लिए महत्वपूर्ण सहायता और पुनर्वास सेवाओं का मानकीकरण करना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि नशे से जूझ रहे पुरुष और महिलाओं के लिए इस केंद्र में 100 बिस्तरों की सुविधा होगी. इस केंद्र का उद्देश्य राज्य के युवाओं को नशे से दूर रखना और समाज में सकारात्मक योगदान सुनिश्चित करना है. नशा मुक्ति केंद्र के लिए चयनित स्थल 157 बीघा और 07 बिस्वां में फैला हुआ है. यहां मौजूदा इमारतों को मामूली मरम्मत के साथ फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की योजना भी तैयार की गई है. लोक निर्माण विभाग को कार्य को आगे बढ़ाने के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है.

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस केंद्र की स्थापना मादक पदार्थों के दुरुपयोग से निपटने और ऐसे लोगों को मुख्यधारा में लाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, राज्य सरकार आदर्श नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र के निर्माण के लिए पर्याप्त धनराशि मुहैया कराएगी. इसके अतिरिक्त केंद्र में नशे की लत से जूझ रहे व्यक्तियों की उचित देखभाल के लिए पर्याप्त स्टाफ भी सुनिश्चित किया जाएगा. बता दें कि सिरमौर जिला तीन राज्यों के साथ सटा है. 225 किलोमीटर में से 223 किलोमीटर की सीमा हरियाणा और उत्तराखंड को छूती है, जबकि दो किलोमीटर का एरिया यूपी के साथ भी लगता है. ऐसे में यहां राज्य स्तरीय नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित करना सरकार का सराहनीय प्रयास है. इससे काफी हद तक नशे की लत में जा चुके लोगों को लाभ मिल सकेगा.

ये भी पढ़ें: मंडी में HRTC बस हादसे: कहीं दलदल में धंसी, कहीं स्किड होकर पहाड़ी से टकराई, बाल-बाल बची सवारियों की जान

सिरमौर: देवभूमि हिमाचल प्रदेश में नशे का खात्मा करने के इरादे से प्रदेश की सुक्खू सरकार जिला सिरमौर में राज्य स्तरीय नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र खोलेगी. रविवार को प्रदेश सरकार ने यह नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित करने का ऐलान किया है. ये केंद्र सिरमौर जिला के पच्छाद उपमंडल के कोटला बड़ोग में स्थापित किया जाएगा. इस केंद्र के स्थापित होने से मादक पदार्थों की लत से जूझ रहे लोगों की सहायता की जाएगी और उन्हें नशीली दवाओं पर अपनी निर्भरता से उबरने और आत्मनिर्भरता के साथ समाज में फिर से एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलेगी.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को नशे से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए कहा कि, 'राज्य सरकार ने युवाओं को मादक पदार्थों के खतरे के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं. इसका उद्देश्य उन्हें नशे की लत से बचाना है. इसी के चलते कोटला बड़ोग में सरकार राज्य स्तरीय नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र को स्थापित करेगी. आज के दौर में युवाओं को नशे से दूर रखना सबसे बड़ी चुनौती है. समाज को भी नशे की लत से जूझ रहे लोगों का मनोबल बढ़ाना चाहिए, ताकि वो दृढ़ इच्छाशक्ति से मादक पदार्थों का सेवन छोड़ सकें.'

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि नशा मुक्ति केंद्र ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सिंथेटिक मादक पदार्थों के सेवन को खत्म करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है. नशा मुक्ति केंद्र का उद्देश्य एक ही परिसर में सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करके इसेे संकट से उत्पन्न गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य मुद्दों से निपटना है. नशा मुक्ति केंद्र में कमरे, शौचालय, भोजन की व्यवस्था, मनोरंजन स्थल, पुस्तकालय, व्यायामशाला, खेल, ध्यान और योग की सुविधाएं भी दी जाएंगी. इसके अतिरिक्त केंद्र में कौशल विकास व व्यावसायिक प्रशिक्षण और इन-हाउस उपचार, भोजन, कपड़े और लॉन्डरी जैसी अनिवार्य सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी. उन्होंने कहा कि इस समग्र दृष्टिकोण का उद्देश्य नशे की लत से जूझ लहे लोगों के लिए महत्वपूर्ण सहायता और पुनर्वास सेवाओं का मानकीकरण करना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि नशे से जूझ रहे पुरुष और महिलाओं के लिए इस केंद्र में 100 बिस्तरों की सुविधा होगी. इस केंद्र का उद्देश्य राज्य के युवाओं को नशे से दूर रखना और समाज में सकारात्मक योगदान सुनिश्चित करना है. नशा मुक्ति केंद्र के लिए चयनित स्थल 157 बीघा और 07 बिस्वां में फैला हुआ है. यहां मौजूदा इमारतों को मामूली मरम्मत के साथ फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की योजना भी तैयार की गई है. लोक निर्माण विभाग को कार्य को आगे बढ़ाने के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है.

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस केंद्र की स्थापना मादक पदार्थों के दुरुपयोग से निपटने और ऐसे लोगों को मुख्यधारा में लाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, राज्य सरकार आदर्श नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र के निर्माण के लिए पर्याप्त धनराशि मुहैया कराएगी. इसके अतिरिक्त केंद्र में नशे की लत से जूझ रहे व्यक्तियों की उचित देखभाल के लिए पर्याप्त स्टाफ भी सुनिश्चित किया जाएगा. बता दें कि सिरमौर जिला तीन राज्यों के साथ सटा है. 225 किलोमीटर में से 223 किलोमीटर की सीमा हरियाणा और उत्तराखंड को छूती है, जबकि दो किलोमीटर का एरिया यूपी के साथ भी लगता है. ऐसे में यहां राज्य स्तरीय नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित करना सरकार का सराहनीय प्रयास है. इससे काफी हद तक नशे की लत में जा चुके लोगों को लाभ मिल सकेगा.

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