नई दिल्ली: वित्त मंत्री ने अपने अंतरिम बजट भाषण में 25,000 रुपये तक के सभी बकाया विवादित प्रत्यक्ष कर मांग को वापस लेने की घोषणा की है. यह घोषणा करदाताओं के जीवन को आसान बनाने के लिए की गई है. भाषण के मुताबिक इस कदम से 1 करोड़ करदाताओं को फायदा होगा.
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही जीवन में आसानी और व्यापार करने में आसानी में सुधार के लिए हमारी सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप, मैं करदाता सेवाओं में सुधार के लिए एक घोषणा करना चाहता हूं. मैं ऐसे बकाया प्रत्यक्ष कर को वापस लेने का प्रस्ताव करता हूं. वित्त वर्ष 2009-10 तक की अवधि के लिए 25,000 रुपये तक और वित्तीय वर्ष 2010-11 से 2014-15 के लिए 10,000 रुपये तक की कर मांग को वापस लिया जायेगा. इससे लगभग एक करोड़ करदाताओं को लाभ होने की उम्मीद है.
कर विशेषज्ञों ने अंतरिम बजट 2024 में करदाता सेवाओं को बढ़ाने के लिए वित्त वर्ष 2009-10 तक की अवधि के लिए 25,000 रुपये और वित्त वर्ष 2010-11 से वित्त वर्ष 2014-15 की अवधि के लिए 10,000 रुपये तक की विवादित आयकर मांगों को वापस लेने के प्रस्ताव को एक सराहनीय प्रयास बताया है. विशेषज्ञों ने कहा कि करदाताओं पर बोझ कम होगा तो आर्थिक विकास के लिए अधिक अनुकूल माहौल को बढ़ावा मिलेगा. सरकार के इस कदम से कर विवाद समाधान के महत्वपूर्ण बैकलॉग संबंधी चिंताओं को कम करने में भी मदद मिलेगी.
बता दें कि एक व्यक्ति को आयकर अधिनियम, 1961 की विभिन्न धाराओं के तहत बकाया कर मांग नोटिस मिल सकता है. आमतौर पर, एक वेतनभोगी व्यक्ति को छह प्रकार के कर नोटिस मिलते हैं. एक वेतनभोगी को धारा - 143(1), 139(9), 142, 143(2), 148 और 245 के तहत कर नोटिस मिल सकता है.
धारा 143(1) कर नोटिस तब भेजा जाता है जब सीपीसी, आयकर विभाग की ओर से आयकर रिटर्न संसाधित होने के बाद कर मांग देय होती है. धारा 139(9) कर नोटिस तब भेजा जाता है जब कोई व्यक्ति दोषपूर्ण आयकर रिटर्न दाखिल करता है. इसमें गलत आईटीआर फॉर्म का उपयोग करके आईटीआर दाखिल करना या टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय हुई कोई अन्य त्रुटि शामिल है.