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भारत ने EFTA के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया, जानें क्या है समझौते का महत्व

Free trade agreement- भारत ने ईएफटीए व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं. ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ भारत के एफटीए जैसे प्रमुख सौदे अभी भी राजनीतिक अनिश्चितता का जोखिम उठाते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Free trade agreement
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
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By PTI

Published : Mar 10, 2024, 1:19 PM IST

नई दिल्ली: भारत और चार देशों के यूरोपीय समूह ईएफटीए ने निवेश और वस्तुओं एवं सेवाओं के दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए रविवार को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए. यूरोपीय फ्री ट्रेड यूनियन (ईएफटीए) के सदस्य देशों में आइसलैंड, लीशटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल हैं. बता दें कि समझौते में 14 अध्याय हैं. इनमें माल में व्यापार, उत्पत्ति के नियम, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सेवाओं में व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल है.

Free trade agreement
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

ईएफटीए से अधिक विदेशी निवेश मिलेगा
ईएफटीए सदस्यों की ओर से संघीय काउंसलर गाई पार्मेलिन ने कहा कि ईएफटीए देशों को वृद्धि के एक प्रमुख बाजार तक पहुंच मिली है. आगे कहा कि हमारी कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक जुझारू बनाते हुए उनमें विविधता लाने का प्रयास करेंगी. इसके एवज में भारत को ईएफटीए से अधिक विदेशी निवेश मिलेगा. इससे अच्छी नौकरियों में वृद्धि होगी. कुल मिलाकर टीईपीए से हमें अपनी आर्थिक क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने और भारत और ईएफटीए दोनों के लिए अतिरिक्त अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी.

इसके तहत दो व्यापारिक साझेदारी
मुक्त व्यापार समझौते के तहत, दो व्यापारिक साझेदार सेवाओं और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को आसान बनाने के अलावा, उनके बीच व्यापार की वाली वस्तुओं की अधिकतम संख्या पर सीमा शुल्क को काफी कम या समाप्त कर देते हैं.

भारत और ईएफटीए आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जनवरी, 2008 से आधिकारिक तौर पर व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) समझौते पर बातचीत कर रहे थे. दोनों पक्षों ने अक्टूबर, 2023 में वार्ता फिर शुरू की और इसे तेजी से पूरा किया. ईएफटीए देश यूरोपीय संघ (ईयू) का हिस्सा नहीं हैं. यह मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और तेज करने के लिए एक अंतर-सरकारी संगठन है. इसकी स्थापना उन देशों के लिए एक विकल्प के रूप में की गई थी जो यूरोपीय समुदाय में शामिल नहीं होना चाहते थे.

भारत 27 देशों के समूह यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ अलग से एक वृहद मुक्त व्यापार करार के लिए बातचीत कर रहा है. भारत-ईफएटीए का द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 18.65 अरब डॉलर रहा था. यह 2021-22 में 27.23 अरब डॉलर था. पिछले वित्त वर्ष में व्यापार घाटा 14.8 अरब डॉलर था. इन देशों में स्विट्जरलैंड, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. इसके बाद नॉर्वे का स्थान है.

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Free trade agreement
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

ईएफटीए से अधिक विदेशी निवेश मिलेगा
ईएफटीए सदस्यों की ओर से संघीय काउंसलर गाई पार्मेलिन ने कहा कि ईएफटीए देशों को वृद्धि के एक प्रमुख बाजार तक पहुंच मिली है. आगे कहा कि हमारी कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक जुझारू बनाते हुए उनमें विविधता लाने का प्रयास करेंगी. इसके एवज में भारत को ईएफटीए से अधिक विदेशी निवेश मिलेगा. इससे अच्छी नौकरियों में वृद्धि होगी. कुल मिलाकर टीईपीए से हमें अपनी आर्थिक क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने और भारत और ईएफटीए दोनों के लिए अतिरिक्त अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी.

इसके तहत दो व्यापारिक साझेदारी
मुक्त व्यापार समझौते के तहत, दो व्यापारिक साझेदार सेवाओं और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को आसान बनाने के अलावा, उनके बीच व्यापार की वाली वस्तुओं की अधिकतम संख्या पर सीमा शुल्क को काफी कम या समाप्त कर देते हैं.

भारत और ईएफटीए आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जनवरी, 2008 से आधिकारिक तौर पर व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) समझौते पर बातचीत कर रहे थे. दोनों पक्षों ने अक्टूबर, 2023 में वार्ता फिर शुरू की और इसे तेजी से पूरा किया. ईएफटीए देश यूरोपीय संघ (ईयू) का हिस्सा नहीं हैं. यह मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और तेज करने के लिए एक अंतर-सरकारी संगठन है. इसकी स्थापना उन देशों के लिए एक विकल्प के रूप में की गई थी जो यूरोपीय समुदाय में शामिल नहीं होना चाहते थे.

भारत 27 देशों के समूह यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ अलग से एक वृहद मुक्त व्यापार करार के लिए बातचीत कर रहा है. भारत-ईफएटीए का द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 18.65 अरब डॉलर रहा था. यह 2021-22 में 27.23 अरब डॉलर था. पिछले वित्त वर्ष में व्यापार घाटा 14.8 अरब डॉलर था. इन देशों में स्विट्जरलैंड, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. इसके बाद नॉर्वे का स्थान है.

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