देहरादून (उत्तराखंड): मोक्षधाम कहे जाने वाले बदरीनाथ धाम के आसपास का नजारा श्रद्धालुओं को बदला-बदला सा नजर आएगा. आने वाले सालों में यह बदलाव और अधिक दिखाई देगा. बदरीनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो और दूर से ही भगवान बदरी-विशाल के दर्शन हो सकें, इसको लेकर पीएमओ इस मामले की खुद मॉनिटरिंग कर रहा है और बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान से कार्य जोरों पर चल रहा है. यात्रा के दौरान जो बदरीनाथ धाम दिखाई दे रहा है उसमें मंदिर के दोनों तरफ बने भवनों को हटा दिया गया है. इतना ही नहीं, कई धर्मशालाओं और दुकानों के साथ-साथ अन्य व्यवसायिक इमारतों को भी हटाया गया है, जिससे आने वाले दिनों में बदरीनाथ धाम दिव्य और भव्य दिखाई देगा.
बदरीनाथ में मास्टर प्लान से हो रहा कार्य: हिमालय के सबसे खूबसूरत धार्मिक स्थलों में बदरीनाथ धाम का भव्य नजारा आने वाले दिनों में अलग ही दिखाई देगा. लाइट और मंदिर के आसपास से गुजरने वाला कॉरिडोर बदरीनाथ की भव्यता को और बढ़ा देगा. साल 2020 में पीएमओ ने उत्तराखंड सरकार के आदेश के बाद एक प्रस्ताव भेजा गया था. इस प्रस्ताव में प्रधानमंत्री कार्यालय को विस्तृत जानकारी देकर यह बताया था कि बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत काम किस तरह से और कैसे हो सकता है. इसके बाद साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बदरीनाथ धाम आए तो उन्होंने इस मास्टर प्लान की आधारशिला रखी.
पीएमओ कर रहा खुद मॉनिटरिंग: इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ के बाद लगातार बदरीनाथ के डेवलपमेंट पर फोकस कर रहे हैं. यही कारण है कि राज्य सरकार के प्रस्ताव के बाद तत्काल केंद्र सरकार ने इस पर अपनी मुहर लगाकर काम शुरू करने के आदेश दे दिए थे. शुरुआती दौर में इसका बजट 424 करोड़ रुपए रखा गया था. बदरीनाथ में हो रहे एक-एक काम को प्रधानमंत्री कार्यालय स्वयं देख परख कर आगे बढ़ा रहा है. बदरीनाथ पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव एसएस संधु से इस पूरे मामले की जानकारी ली थी और बदरीनाथ धाम में हो रहे कामों की एक-एक ब्लूप्रिंट को खुद से देखा था.
दो नई झीलों का होगा निर्माण: जिस वक्त इस काम की आधारशिला रखी गई थी, उस वक्त इसका बजट 424 करोड़ रुपए था. लेकिन बताया जा रहा है कि अब बजट बढ़कर करीब 600 करोड़ रुपए पहुंच गया है. नए मास्टर प्लान के तहत बदरीनाथ में यात्रियों के ठहरने सामान रखने की व्यवस्था तो होगी ही, साथ ही साथ नदी पर घाटों का निर्माण और मिनी स्मार्ट सिटी के तहत आध्यात्मिक का एक नया केंद्र बनाया जाएगा. इसके साथ ही आर्ट गैलरी और सभी पौराणिक मंदिरों को एक ही मार्ग से जोड़कर नया कॉरिडोर बनाया जाएगा. मास्टर प्लान के तहत बदरीनाथ में दो नई झीलों का निर्माण होगा, जिनका नाम शीश नेत्रा और बद्रीश रखा जाएगा. मंदिर के आसपास लगभग 5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में तमाम तालाबों को संरक्षित करके उनको और भी खूबसूरत बन जाएगा.
इन गुफाओं को भी किया जाएगा डेवलप: पार्किंग की सुविधा से लेकर मंदिर को जोड़ने वाले अन्य सभी पुलों का निर्माण और अलकनंदा के साथ-साथ केशव प्रयाग, व्यास गुफा, गणेश गुफा भी इस मास्टर प्लान के तहत डेवलप किया जा रहे हैं. साथ ही रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, लूप रोड, मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण,प्लाजा,अस्पताल का निर्माण लगभग पूरा हो गया है. बदरीनाथ धाम पिछले 2 साल से बिल्कुल अलग दिख रहा है. मंदिर और माणा तक जाने वाली सड़कों का निर्माण पूरी तरह से लगभग हो गया है. इसके साथ ही बदरीनाथ मंदिर में जाने वाली पुरानी सड़क के अलावा दूसरी एक और सड़क को अपग्रेड करके खूबसूरत तरीके से बनाया गया है. सड़क के दोनों तरफ कुछ इस तरह की पिलर लाइट लगी हैं जो रात के समय जलने के बाद बदरीनाथ का नजारा मनमोहक नजर आता है.
स्थानीय लोगों के मन में है कई सवाल: बदरीनाथ धाम में चल रहे निर्माण कार्यों के लिए अभी कई इमारतें को हटा दिया गया है. मंदिर के एक छोर पर बनी नेपाली धर्मशाला, आंध्र भवन और कई दुकानों को हटाकर नए निर्माण कार्य को शुरू किया गया है. हालांकि इस प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय लोग फिलहाल निराश दिख रहे हैं बदरीनाथ में दुकान लगाने वाले जयदीप बताते हैं कि वह कई साल से यहां पर दुकान लगा रहे हैं, लेकिन सामने जिस तरह की तोड़फोड़ की गई है और नई बसावट की जा रही है. उसे हो सकता है कि आने वाले समय में श्रद्धालुओं को फायदा मिले, लेकिन यहां के स्थानीय लोगों को अपनी जमीन खोने का डर सता रहा है. जयदीप बताते हैं कि डेवलपमेंट होना चाहिए, लेकिन मंदिर से बहुत दूर अगर दुकानों को बना दिया जाएगा तो उनके काम पर इसका असर पड़ेगा.
बदलते स्वरूप को लेकर ये बोले श्रद्धालु: हालांकि, बदरीनाथ धाम आने वाले भक्त भी इस बदलते स्वरूप को पसंद कर रहे हैं. धाम में कई सालों से आ रहे प्रशांत जो कि उत्तर प्रदेश बिजनौर के रहने वाले हैं, वह बताते हैं कि बहुत कुछ बदलाव इस साल बदरीनाथ धाम में दिखाई दे रहा है. थोड़ी बहुत दिक्कत अगर हो रही है तो उम्मीद है कि आने वाले समय में सब कुछ बेहतर हो जाएगा. जब कुछ बेहतर होता है तो कुछ समस्याएं जरूर आती हैं. इसी तरह से एक अन्य श्रद्धालु का कहना है कि यात्रा के दौरान किसी तरह का निर्माण कार्य अगर हो रहा है तो उससे दिक्कत हो रही है.
तेजी से चल रहे विकास कार्य: अच्छा होता की यात्रा में काम श्रद्धालु जिस वक्त आते हैं, या फिर यात्रा समाप्त हो जाती है, उसे समय काम को तेजी से किया जाना चाहिए था. लेकिन अमूमन श्रद्धालुओं की अगर हमने राय जानी तो सभी का यह कहना था कि विकास कार्य किसी भी जगह के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन पौराणिकता और पर्यावरण को देखकर ही कुछ करना होगा. हां, इतना जरूर है कि जिस तरह से राम मंदिर और काशी विश्वनाथ का मंदिर भव्य बन गया है, उसी तर्ज पर आने वाले समय में केदारनाथ और बदरीनाथ भी दिखाई देगा.
क्या कह रहे जिम्मेदार: चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना कहते हैं कि सभी काम बहुत तेजी से चल रहे हैं. हम लगातार इस बात का ध्यान रख रहे हैं की किसी तरह से पौराणिक धरोहर को नुकसान ना हो, अभी दूसरे चरण का काम लगभग पूरा हो गया है. जिसमें कई तरह के काम हुए हैं, जो दिखाई दे रहे हैं. डीएम कहते हैं कि मास्टर प्लान के तहत कार्य हो रहे हैं.
वहीं, मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय कहते हैं कि बदरीनाथ और केदारनाथ पर लगातार जिस तरह से काम हुआ है और भव्यता दिखाई दे रही है, उसको देखकर सभी भक्त बेहद खुश हैं. धीरे-धीरे पूरा बदरीनाथ का क्षेत्र बेहद बदला हुआ दिखाई देगा.
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