त्रिची (तमिलनाडु): जिले के कोट्टापट्टू इलाके में श्रीलंकाई तमिलों के लिए एक पुनर्वास शिविर है. इस कैंप में रहने वाली नलिनी कृपाकरण नाम की 38 वर्षीय महिला ने चुनाव आयोग के माध्यम से इंटरनेट के जरिए मतदाता पहचान पत्र के लिए आवेदन किया. पिछले साल मतदाता पहचान पत्र प्राप्त कर आगामी चुनावों में मतदान करने जा रही है.
इस संबंध में त्रिची जिला प्रशासन ने कहा, 'नलिनी के माता-पिता श्रीलंकाई तमिल हैं. वे श्रीलंका से आए और 1985 में रामनाथपुरम जिले के मंडपम शिविर में शादी कर ली. नलिनी का जन्म 1986 में मंडपम शिविर में हुआ था. भले ही वह भारत में पैदा हुई थी, फिर भी उसे भारतीय नागरिकता नहीं मिल सकी.'
ऐसे में पता चला है कि जब नलिनी ने कुछ साल पहले पहली बार पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था तो कानूनी समस्या थी. बाद में उसने वकीलों की मदद से मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै शाखा से संपर्क किया.
संबंधित मामला एक साल से अधिक समय से चल रहा है. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हाई कोर्ट की मदुरै शाखा ने महिला को पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया. इसके बाद पिछले साल 2022 में पासपोर्ट मिला.
बाद में नलिनी ने पासपोर्ट दस्तावेज़ के आधार पर मतदाता पहचान पत्र प्राप्त करने के लिए चुनाव आयोग में ऑनलाइन आवेदन किया. ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग ने दस्तावेजों की जांच करने के बाद मतदाता पहचान पत्र डाक के जरिए नलिनी को भेज दिया है. इसी दस्तावेज के आधार पर वह कल मतदान करने जा रही है.
ईटीवी भारत ने त्रिची जिला कलेक्टर प्रदीप कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, '1987 से पहले भारत में जन्मे लोगों को नागरिकता देने का नियम है. इसके आधार पर महिला ने कोर्ट जाकर कानूनी तौर पर पासपोर्ट हासिल कर लिया. इसका इस्तेमाल कर उन्होंने वोटर आईडी कार्ड भी हासिल कर लिया. वह वोट कर सकती हैं.' उन्होंने कहा कि 'अनुमति है. लेकिन नलिनी नाम की एक अन्य महिला को भी वोटर आईडी कार्ड मिला है. उनका वोटर कार्ड रद्द किया जा रहा है.'